क्या अमेरिका व कनाडा अभी भी विश्व में सबसे धनी देश हैं?जवाब है नहीं । हालिया एशियाई देशों के तेज़ विकास की स्थिति में पहले तथाकथित विकसित देशों की शक्ति इतनी बड़ी नहीं रही। हाल में वेल्थ अनुसंधान संस्था न्यू वर्ड वेल्थ्स ने एक नयी रिपोर्ट जारी की। जिसके अनुसार धनी देशों की रेंकिंग में बदलाव आया है। अमेरिका अभी भी पहले स्थान पर रहा, लेकिन दूसरे स्थान पर न ही कनाडा है और न ही ब्रिटेन है। अब चीन दूसरे स्थान पर है। पिछले पाँच सालों में विश्व में सबसे तेज़ विकास होने वाला देश चीन ही है।
रिपोर्ट के अनुसार अमेरिकियों के पास कुल 489 खरब अमेरिकी डॉलरों की निजी संपत्ति है, जबकि चीनियों के पास 174 खरब अमेरिकी डॉलरों की निजी संपत्ति है। जापान तीसरे स्थान पर रहा है और जापानियों के पास 151 खरब अमेरिकी डॉलरों की निजी संपत्ति है। ब्रिटेन, जर्मनी व फ्रांस अलग अलग तौर पर चौथे, पांचवें व छठे स्थान पर हैं।
हालांकि कनाडा विश्व के पहले दस धनी देशों में शामिल है, फिर भी भारत के पीछे रहा। इस बार की रेकिंग में भारत विश्व में सातवां धनी देश बना और भारतियों के पास 56 खरब अमेरिकी डॉलरों की निजी संपत्ति है। कनाडा भारत के बाद आठवें स्थान पर रहा। नौवें और दसवें देश ऑस्ट्रेलिया व इटली है।
कनाडा की 加拿大乐活网(lahoo.ca)से मिली खबर के अनुसार निजी संपत्ति में रियल एस्टेट, नकदी, शेयर, वाणिज्य शेयर आदि शामिल हैं, लेकिन सरकारी संपत्ति नहीं शामिल है। लेकिन निजी संपत्ति की गणना करते समय आबादी भी एक अहम तत्व है। कनाडा में विशाल भूमि और कम आबादी है। शायद इसी वजह से ही चीन व भारत की रेंकिंग कानाडा के पहले जा सकती है।
इसे ध्यान में रखकर हम पता चलेगा कि ऑस्ट्रेलिया एक बहुत धनी देश है। कारण यह है कि हालांकि ऑस्ट्रेलिया की आबादी केवल 2.2 करोड़ है, फिर भी विश्व के नौवें स्थान पर है।
यदि औसत व्यक्तियों की संपत्ति की रेंकिंग को देखे, तो यूरोपीय देश एशियाई देशों से और ज़्यादा धनी हैं। मोनाको एक कर हेवन के रूप में दुनिया के पहले स्थान पर रहा, जिसकी औसत व्यक्ति की संपत्ति 16 लाख अमेरिकी डॉलर तक जा पहुंची है। और लिकटेंस्टीन 6.1 लाख अमेरिकी डॉलर की औसत व्यक्ति संपत्ति से दूसरे स्थान पर रहा है। जबकि कनाडा व चीन इस रेंकिंग के पहले दस देशों में शामिल नहीं हैं। पहले दस देशों में एशिया में एकमात्र सिंगापुर रहा है, जिसकी औसत व्यक्ति संपत्ति 1.57 लाख अमेरिकी डॉलर है।