वर्ष 2015 में पोस्टडॉक्टोरल की पढ़ाई पूरी करने के बाद यू छिंगच्या और उनके पति ने चीन वापस आकर काम करना शुरू किया। यू छिंगच्या ने शहरी आपदा के मेजर से संबंधित काम करने के बजाय एक मिठाई की दुकान खोली। क्योंकि कई वर्षों तक आपदा ग्रस्त क्षेत्रों में काम करने के बाद उनका मन डूबता हुआ सा लगता था। दूसरी तरफ़ पेइचिंग में जो मिठाइयां उन्होंने खाईं हैं, जिनका स्वाद इतना कोमल और हल्का नहीं है। स्वादिष्ट पेस्ट्री खाने और दोस्तों के साथ साझा करने के उद्देश्य में यू छिंगच्या ने दो महीने की तैयारी करने के बाद अगस्त 2015 में पेइचिंग के मशहूर नानलुओकुश्यांग सड़क पर शिंगक्वो नाम की मिठाई की दुकान खोली।
"शुरुआती दिनों में हर दिन सिर्फ़ दो-तीन लोग दुकान में आते थे। एक दिन मैंने दुकान और पेस्ट्री के कुछ फ़ोटो खींचे और इन्हें वेबसाइट पर डाले। हज़ारों लोगों ने इसे शेयर किया और पढ़ने वालों की संख्या दो लाख से भी अधिक हो गई। उसके बाद बहुत से लोग हमारे पेस्ट्री का स्वाद चखने के लिए आने लगे हैं। हमारी दुकान छोटी है और कर्मचारियों की संख्या भी कम है। इसके कारण सप्ताहांत में बहुत से अतिथियों को एक घंटे तक इंतज़ार करना पड़ता है। मैं सोचती हूं कि शायद उस समय पेइचिंग में हमारी तरह के पेस्ट्री कम मिलते थे, इसलिए मेरी दुकान लोकप्रिय बनी रही।"
पेस्ट्री पर उपभोक्ताओं की रुचि यू छिंगच्या के अनुमान से काफ़ी हद तक अधिक रही। जल्द ही दुकान में मिठाइयों और सीटों की आपूर्ति मांग से कम बन गई। दुकान खुलने का समय सुबह साढ़े दस बजे से शाम को साढ़े छः बजे तक निर्धारित था। यह भी वस्तुगत स्थिति के अनुरूप नहीं है। यू छिंगच्या ने आरक्षण करने और मंगवाने की कोशिश की, लेकिन वे सोचती हैं कि उच्च गुणवत्ता वाली पेस्ट्री के अलावा, श्रेष्ठ सेवा और आरामदेह वातावरण भी मिठाई की दुकान के लिए महत्वपूर्ण है। इसलिए छः महीनों की तैयारी के बाद जून 2016 में यू छिंगच्या ने दूसरी मिठाई की दुकान खोली।
"पहली दुकान खुलने के बाद अब दूसरी दुकान भी खोली गई। लगता है कि कोई शक्ति मुझे आगे बढ़ा रही है। मैंने नहीं सोचा था कि इतने ज़्यादा लोग हमारी दुकान के पेस्ट्री पसंद करते हैं। दुकान में व्यापार करने का समय भी उचित नहीं था। शनिवार और रविवार को दुकान में व्यापार की राशि काम के दिन के कुल व्यापार से भी अधिक होती है। सप्ताहांत में लोगों को लम्बे समय तक लाइन में खड़ा होना पड़ता है। दुकान में अक्सर भीड़ रहती है, ग्राहकों को अच्छा नहीं लगता। उस समय बहुत से अतिथि हमसे शिकायत करते थे। तो मैंने शीघ्र ही दूसरी दुकान खोलने और रात तक काम करने का फैसला किया।"