चीन की राजधानी पेइचिंग के छाओयांग जिले में एक तेम्पुरा रेस्तरां है, जिसका नाम है शुएवेई। तेम्पुरा एक प्रकार का जापानी खाना है, जो मछली, झींगे या सब्ज़ी को आटे, अंडे और पानी में मिलाकर उसके रस में लपेटकर तेल में सुनहले रंग होने तक तला जाता है। खाते समय सोया सॉस और मसली हुई मूली से मिश्रित रस के साथ खाया जाता है। हालांकि रेस्तरां को खुले अभी सिर्फ छः महीने ही बीते हैं, लेकिन बहुत से ग्राहक विशेष रूप से देश की विभिन्न जगहों से यहां खाने आते रहते हैं। रेस्तरां के मालिक चांग शुएवेई जापान के तेम्पुरा गुरु सौतोम तेत्सुया के छात्र हैं और तेम्पुरा पकाने में चांग शुएवेई का 10 से ज़्यादा वर्षों का अनुभव हो चुका है।
वर्ष 2001 में चांग शुएवेई हाई स्कूल से स्नातक करने के बाद पढ़ाई जारी रखने के लिए जापान गए थे। दो वर्षों की भाषा कक्षा और दो वर्षों की व्यावसायिक प्रशिक्षण लेने के बाद वे समाजशास्त्र की पढ़ाई करने के लिए विश्वविद्यालय में दाखिल हुए। पढ़ने के दौरान अवकाश के समय में पार्ट टाइम नौकरी करना विदेशों में पढ़ने वाले बहुत से चीनी छात्रों का चुनाव है। चांग शुएवेई भी ऐसा करने लगे। उन्होंने दो वर्षों तक फ़ूड डिलिवरी किया और इसके दौरान उन्हें सौभाग्य से जापान की मशहूर कंपनी तेम्पुरा मिकावा में काम करने का मौका मिला। कंपनी में पार्ट टाइम नौकरी करने के तीसरे वर्ष में चांग शुएवेई ने अध्यापक तेम्पुरा गुरु सौतोम तेत्सुया के साथ कंपनी के अधीनस्थ उच्च स्तरीय रेस्तरां चचेन्क्यो में तेम्पुरा पकाना शुरू किया। यह काम उन्होंने छः वर्षों तक किया।
खाना पकाने में प्रतिभा और कई वर्षों के घनिष्ठ सहयोग से सौतोम तेत्सुया चाहते थे कि चांग शुएवेई विश्वविद्यालय से स्नातक होने के बाद उनके साथ काम करें। लेकिन उस समय चांग शुएवेई ने पेशेवर रसोईंया बनने का फैसला नहीं किया था, हालांकि उनका सपना था कि 35 वर्ष की उम्र से पहले अपना रेस्तरां खोला जाए। स्नातक होने के बाद चांग शुएवेई ने जापान के एक बड़े रेस्तरां ग्रुप में शामिल किया। ऐसे में न सिर्फ़ स्थाई काम मिल पाएगा, बल्कि संचालन और प्रबंधन में अनुभव भी प्राप्त हो सकेगा।
"सच कहूं, तो विश्वविद्यालय से स्नातक होने के समय मैं दुविधा में था। मैंने पेशेवर रसोईंया बनने का पूरा मन नहीं बनाया था, क्योंकि मैं सोचता था कि मैंने इतने ज़्यादा वर्षों तक पढ़ाई की है, कम से कम कंपनी में सफ़ेद कॉलर वाली नौकरी करना तो बनता ही है। उस रेस्तरां ग्रुप में शामिल होने के बाद मुझे लगा कि वह काम मेरी योजना के लिए लाभदायक नहीं था। इसलिए एक साल बाद मैंने इस्तीफ़ा दे दिया। मेरा ख़ुद रेस्तरां खोलने का सपना था, लेकिन रेस्तरां ग्रुप में जो अनुभव या कौशल प्राप्त हुआ था, वह मेरी योजना के लिए अनुकूल नहीं था।"
वर्ष 2009 में चांग शुएवेई औपचारिक रूप से अध्यापक सौतोम तेत्सुया के दल में शामिल हुए और तेम्पुरा पकाने लगे। यह काम उन्होंने छः वर्षों तक किया। 10 से अधिक वर्षों तक अनुभव लेने और तैयारी करने के बाद वर्ष 2015 में 35 वर्षीय चांग शुएवेई ने चीन वापस आकर ख़ुद का रेस्तरां खोलने का निर्णय लिया, ताकि उनका सपना पूरा हो सके। तीन महीने की सजावट करने के बाद 11 नवंबर 2015 को शुएवेई तेम्पुरा रेस्तरां पेइचिंग के छाओयांग जिले में खोला गया।
"35 वर्ष की उम्र से पहले रेस्तरां खोलने की योजना अपरिवर्तनीय है। मुझे लगता है कि सभी तैयारियां अच्छी तरह से की जानी चाहिए। मैं सिर्फ़ तेम्पुरा पकाना जानता हूं, इसलिए रेस्तरां में सिर्फ़ तेम्पुरा उपलब्ध होता है। रेस्तरां के आसपास ग्राहकों की स्थिति भी स्पष्ट रूप से जानना चाहिए। ऐसे में कम से कम मैं यह जानता हूं कि रेस्तरां खुलने के बाद मुझे घाटा नहीं होगा। शुरू में मैं सोचता था कि रेस्तरां बन्द नहीं होता, तो काफ़ी अच्छा है, लेकिन व्यापार की स्थिति मेरी कल्पना से कहीं बेहतर है।"