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    आपका पत्र मिला 2016-05-25
    2016-05-30 15:04:01 cri


    अनिल:आपका पत्र मिला कार्यक्रम सुनने वाले सभी श्रोताओं को अनिल का नमस्कार।

    हैया:सभी श्रोताओं को हैया का भी प्यार भरा नमस्कार।

    अनिल:दोस्तो, पहले की तरह आज के कार्यक्रम में हम श्रोताओं के ई-मेल और पत्र पढ़ेंगे। इसके बाद एक श्रोता के साथ हुई बातचीत के मुख्य अंश पेश किए जाएंगे।

    चलिए श्रोताओं के पत्र पढ़ने का सिलसिला शुरू करते हैं। पहला पत्र हमें आया है, छत्तीसगढ़ से चुन्नीलाल कैवर्त जी का। उन्होंने लिखा है......

    चाइना रेडियो इंटरनेशनल के सभी दोस्तों को मेरा प्यार भरा नमस्कार। आशा है,आप सब स्वस्थ एवं प्रसन्न होंगे। सेतु संबंध त्रैमासिक पत्रिका का मई-जुलाई,2016 अंक की 10 प्रतियाँ प्राप्त हुई। जिसके लिए आप सबका हार्दिक धन्यवाद। पत्रिका पढ़ने के बाद अपनी प्रतिक्रिया से शीघ्र अवगत कराऊंगा।'आपका पत्र मिला'कार्यक्रम के बारे में कुछ कहना चाहूँगा। यदि गलती हो ,तो क्षमा चाहूँगा।

    पहली बात तो ,यह कार्यक्रम पत्रोत्तर कार्यक्रम जैसा नहीं लगता। बल्कि पिछले हफ्ते प्रसारित कार्यक्रमों का सारांश जैसा लगता है। इस कार्यक्रम में श्रोताओं के पत्र सिर्फ पढ़े जाते हैं ,जवाब नहीं दिये जाते। चाहे वह प्रश्न हो ,शिकायत हो अथवा सुझाव। जिस प्रकार श्रोता कार्यक्रमों को सुनकर अपनी प्रतिक्रियाओं से अवगत कराते हैं ,उसी प्रकार से आप लोग भी उन पत्रों के संबंध में अपनी प्रतिक्रियाओं से अवगत कराना चाहिये। इसीलिए यह कार्यक्रम विचारों का एकतरफा मंच लगता है। कम से कम सी आर आई के मॉनिटर जो थोड़ी बहुत आलोचना अथवा सुझाव प्रस्तुत करते हैं ,उनका जवाब जरूर दिया करें। वैसे अब कार्यक्रम में शामिल पत्रों की संख्या पहले की तुलना में बहुत कम हो गई है। 3 -4 पत्र ही शामिल कर पाते हैं। हाथ से लिखे पत्र कभी कभार ही,नहीं के बराबर शामिल किये जाते हैं। भारत के ग्रामीण क्षेत्रों में बहुत कम लोगों के पास ही इंटरनेट की सुविधा है। जिनके पास इंटरनेट है ,वे ज़्यादातर दूसरे का करते हैं। मतलब इंटरनेट पर बहुत कम लोग ही रेडियो प्रसारण सुनते हैं।मेरे खयाल से रेडियो सेट पर प्रसारण सुनने वाले अधिक हैं ,इंटरनेट की तुलना में। लेकिन वे तुरंत पत्र नहीं लिख पाते और ये पुराने हो चुके पत्र शामिल नहीं हो पाते।

    18 मई को प्रसारित 'आपका पत्र मिला' कार्यक्रम के आरंभ में बताया गया कि आखिर में किसी श्रोता के साथ हुई बातचीत सुनवाई जाएगी। लेकिन कार्यक्रम समाप्त हो गई ,लेकिन किसी श्रोता के साथ बातचीत नहीं सुनवाई गई।

    सी आर आई की हिन्दी वेब साइट में जहां एक ओर सभी कार्यक्रमों को अपडेट किया जाता है ,जो अच्छी बात है। लेकिन 'आपका पत्र मिला' कार्यक्रम कई महीनों से अपडेट नहीं किया जा रहा है। पता नहीं क्यों ? इस ओर मैंने फोन पर भी याद दिलाया था ,आश्वासन भी दिया गया। लेकिन ध्यान नहीं दिया गया।

    पहले श्रोताओं को भी सी आर आई से पत्र मिलते थे ,लेकिन अब साल में एकाक पत्र मिल जाये,तो किस्मत की बात होगी।

    हैया:चुन्नीलाल कैवर्त जी, हमें रोजाना पत्र भेजने के लिए आपका बहुत बहुत धन्यवाद। चलिए, अगला पत्र मेरे हाथ आया है पश्चिम बंगाल से हमारे मॉनिटर रविशंकर बसु जी का। उन्होंने लिखा है......

    रविवार,15 मई ,2016 को रात साढ़े नौ से साढ़े दस बजे तक शार्ट वेव 7395 किलोहर्ट्ज (kHz) पर आपका रेडियो प्रोग्राम सुना। अखिल पाराशर जी द्वारा पेश किये गए दुनिया भर के ताज़ा समाचार सुनने के बाद अखिल पाराशर जी और मैडम श्याओ थांग जी द्वारा पेश "संडे की मस्ती" प्रोग्राम सुना।

    आज "संडे की मस्ती" कार्यक्रम में मैडम श्याओ थांग जी ने मध्य चीन के हेनान प्रांत की मशहूर यू ऑपेरा की स्वर्गीय गायिका छांग श्यांगयू की कहानी हमें सुनाई जो बेहद अच्छी लगी।

    रिपोर्ट सुनकर पता चला कि हेनान प्रांत में पैदा होने वाले ऑपेरा को यू ओपेरा कहा जाता है। यू ऑपेरा की गायिका छांग श्यांगयू देश भर में बहुत लोकप्रिय और मशहूर थी।उनकी जन्म 1923 में हेनान प्रांत के कोंगयी शहर में हुआ और वर्ष 2004 में उनका देहांत हो गया। उनके द्वारा गाये गए "मूलान" और "लालटेन"जैसे ऑपेरा चीन में बहुत विख्यात है। पिछले शताब्दी के 50 के दशक में छांग श्याओयू द्वारा गाया गया मूलान ओपेरा ने युद्ध मोर्चे पर लड़ते हुए अनगिनत चीनी सैनिकों को प्रोत्साहित किया। उनकी बेटी छांग श्याओयू ने कहा कि मूलान ओपेरा से माता-पिता की देशभक्ति भावना दिखाई गई है। छांग श्याओयू बचपन से ही मां छांग श्यांगयू द्वारा गाया गया मूलान ओपेरा को सुनते हुए बढ़ी हुयी है। बड़ी होने के बाद उसे अपनी मां के जीवन अनुभव और ओपेरा के प्रति मां की दृढ़ता के बारे में अधिक समझ हुई। वर्ष 2002 में बुढ़ी मां की देखभाल करने और छांग शैली वाली कला को विरासत में ग्रहण करते हुए उसका आगे विकास करने के लिए छांग श्याओयू स्वदेश वापस लौटी। इसके पूर्व वह दसेक सालों तक विदेश में रही। हेनान प्रांत की राजधानी चनचो में छांग श्याओयू अपनी दूसरी बहनों के साथ मिलकर यू ओपेरा को विरासत में ग्रहण करते हुए उसके विकास में संल्गन है। सितंबर वर्ष 2015 में छांग श्याओयू ने हेनान प्रांतीय कला स्कूल में पढ़ाई का काम शुरू किया। पढ़ाई का मुख्य विषय छांग शैली का क्लासिकल ओपेरा "मूलान" है। वर्तमान में यू ओपेरा के विकास की चर्चा करते हुए छांग श्याओयू ने कहा कि अभी यू ओपेरा के सामने कई मुसीबतें और चुनौतियां मौजूद हैं। उनके विचार में यह अपरिहार्य रूझान है। छांग श्याओयू ने कहा कि वह इसी क्षेत्र में कोशिश करती रहेगी, ताकि श्रेष्ठ पारंपरिक संस्कृति को विरासत में ग्रहण करते हुए इसका ज्यादा तौर पर आगे विकास हो सके। इसके लिए वह अतीत से अलग विकसित रास्ता चुनेगी जिससे यू ओपेरा को जीवन शक्ति मिलेगी।

    आज प्रोग्राम में प्रेरक कहानी "ड्राईवर" मेरे साथ मेरा बेटा उदित शंकर को भी बहुत अच्छा लगा। इस प्रेरक कहानी से यह सीख हमें मिलती है कि स्वमूल्यांकन यानी self-evaluation एक ऐसी ही महत्वपूर्ण प्रक्रिया है,जिसके द्वारा हम स्वयं ही स्वयं की परीक्षा लेते हैं, और अपनी कमजोरियों या कमियों को जानने की कोशिश करते हैं।

    रविवार,8 मई,2016 को पंकज श्रीवास्तव जी द्वारा पेश किये गए दुनिया भर के ताज़ा समाचार सुनने के बाद अखिल पाराशर जी और मैडम श्याओ थांग जी द्वारा पेश "संडे की मस्ती" प्रोग्राम पुरे मनोयोग से सुना।

    आज सुना है कि चीन में एक किसान ने 60 दिन में एक 'मिनी सबमरीन' बनाया है जिसकी तारीफ करनी चाहिए। आंहुई प्रांत के 51 साल के चांग शंगवू ने 2 महीने की कठिन मेहनत के बाद सबमरीन तैयार कर इसका पैटेंट भी हासिल कर लिया।यह सबमरीन 7 नॉटिकल। प्रति घंटे की रफ्तार से चलती है। आज आपने चीन के शनचंग शहर में जन्म हुआ एक अजीबोगरीब बच्चे के बारे में हमें बताई जो आश्चर्यजनक है। सुना है कि तीन महीने के इस बच्चे को जो भी देख रहा है हैरानी से उसकी आंखें फटी की फटी रह जाती है क्योंकि बच्चे के हाथ में 15 उंगलियां और पैरों में 16 उंगलियां हैं। मेरे विचार के अनुसार,यह दुखद है। बच्चे में ईश्वरीय कुछ भी नहीं है। यह एक आनुवांशिक विकार(genetic disorder) है। इसे पोलिडेक्टिलिज्म(polydactylism) के नाम से भी जाना जाता है।

    इसके बाद आज आपने चीन में एक लड़की के अद्भुत चैलेंज को लेकर जो हंगामा इन दिनों सोशल मीडिया पर खूब सराहा जा रहा है,इसके बारे हमें रूबरू कराया। इस चैलेंज के मुताबिक आपको अपने एक हाथ को पीठ के पीछे से ले जाते हुए अपनी नाभि को छूना पड़ेगा। इस ख़बर को सुनने के बाद मैंने भी इस चैलेंज को ट्राई किया लेकिन मैं कामयाब नहीं हुआ।इसके अलावा आज दुनिया के कुछ अजीबोगरीब रेस्टोरेंट्स में मेहमानों को अनोखे तरीकों से खाना सर्व के बारे में सुनने के बाद मैं बिलकुल हैरान हो गया। अंत में सामान्य ज्ञान के सेगमेंट में ब्रेड में छोटे-छोटे छेद क्यों होता है, इस बारे में आप द्वारा दी गई जानकारी सुनकर मेरा सामान्य-ज्ञान में वृद्धि हुआ। धन्यवाद।

    अनिल:रविशंकर बसु जी, हमें पत्र भेजने के लिए आपका बहुत बहुत धन्यवाद। चलिए, अगला पत्र मेरे हाथ आया है पश्चिम बंगाल से देवशंकर चक्रवर्ती जी का। उन्होंने लिखा है...... सादर नमस्कार। आपकी वेबसाइट पर अखिल पाराशर जी और मीरा जी द्वारा पेश "नमस्कार चाइना" प्रोग्राम सुना। पेकिंग ओपेरा या पेइचिंग ओपेरा के बारे में दी गई जानकारी रोचक होने के साथ साथ ज्ञानप्रद भी रही। रिपोर्ट सुनकर पता चला कि पेइचिंग ओपेरा चीन के सांस्कृतिक खजानों में से एक माना जाता है जो संगीत, वाणीयुक्त प्रदर्शन, मूकाभिनय, नृत्य और कलाबाजी का शानदार मिश्रण है। पेइचिंग ओपेरा का अब तक 200 साल से अधिक लम्बा इतिहास रहा है। यह 18 वीं सदी के अंत में उत्पन्न हुआ और 20 वीं शताब्दी के शुरूआत में पेइचिंग ओपेरा ने चीन का सबसे बड़ा ओपेरा का रूप धारण किया। रिपोर्ट में बताया गया है कि पेइचिंग ओपेरा में चार मुख्य प्रकार के कलाकार होते हैं। प्रदर्शन मंडलियों में अक्सर प्रत्येक किस्म के कई माध्यमिक और तृतीयक कलाकार होते हैं। वे भारी-भरकम और रंगीन वेशभूषा के साथ पेइचिंग ओपेरा की विशेष विरल मंच पर अभिनय करते हैं। पेइचिंग ओपेरा के कलाकारों को मुखड़े के भिन्न भिन्न रगों से पहचाना जाता है। हर एक रंग एक व्यक्तित्व का परिचय देता है। मिसाल के लिए, लाल रंग वफादार, काला रंग शरीफ व सीधी बात बोलने का व्यक्तित्व की पहचान देता है।

    आपकी वेबसाइट विजिट करते हुए देखा कि भारत के महान साहित्यकार और प्रथम एशियाई नोबेल पुरस्कार विजेता रवीन्द्रनाथ टैगोर की 155 वीं जन्म जयंती के उपलक्ष्य में पिछले 5 में को पेइचिंग में पीपुल्स पब्लिशिंग हाउस द्वारा टैगोर के संपूर्ण कृति संग्रह के नए संस्करण का प्रकाशन किया गया है। रवीन्द्रनाथ टैगोर की समूची रचनावली का 33 खंडों में चीनी अनुवाद साहित्य-संस्कृति में रुचि रखने वालों के लिए इस सदी की सबसे बड़ी खबर है। पांच साल से ज्यादा का वक्त लगाकर चाइना रेडियो इंटरनेश्नल , वहां की सरकारी न्यूज एजेंसी सिन्हुआ, कम्युनिस्ट पार्टी के नैशनल पार्टी स्कूल और यहां तक की चीनी फौज से जुड़े 18 अनुवादकों ने इस भगीरथ कार्य को संपन्न कर डाला है। सबसे ज्यादा आश्चर्य की बात यह है कि इस काम में उन्होंने भारत सरकार या किसी भी भारतीय संस्था का कोई सहयोग नहीं लिया। यह समूची रवीन्द्रनाथ ग्रंथावली संग्रह उपन्यासों, लघु कहानियों, कविताओं, गीत, निबंध और पत्रों का एक अद्भुत साहित्य कोष है। इस में 33 खंड है। यह कहा जा सकता है कि यह चीन के अनुवाद इतिहास में एक मील पत्थर की हैसियत रखता है। नोबेल पुरस्कार विजेता रवीन्द्रनाथ टैगोर 1924 में चीन की यात्रा पर गए थे। चीन की प्राचीन संस्कृति टैगोर पर गहरा असर छोड़ा है। रवीन्द्रनाथ टैगोर अपनी कविताओं और रचनाओं के द्वारा पुरे चीन में प्रसिद्ध है। चीन के पाठकों ने उनके साहित्य पढ़ने के लिए निरंतर उत्सुक है। चीन में रवीन्द्रनाथ टैगोर को भारत के एक अभूतपूर्व साहित्यकार,महान कवि के रूप में याद किया जाता है जिन्होंने चीन और भारत के बीच सांस्कृतिक सेतु के रूप में ऐतिहासिक योगदान दिया है।

    वेब साइट पर अखिल पाराशर जी द्वारा लिखित चीन की राष्ट्रीय शराब माओथाई की रंगीन और कथा-भरे इतिहास मुझे बहुत पसंद आया। "आर्थिक जगत" कार्यक्रम में पेइचिंग के युवा उद्यमी चांग छाओ की कहानी भी बहुत सूचनाप्रद लगी। "चीन का तिब्बत" प्रोग्राम में तिब्बती राजवंश कूग राजवंश का पुरातात्विक स्थल में काम करने वाले कर्मचारी 26 वर्षीय तिब्बती युवक बासांग त्सीरन के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी हासिल करने का मौक़ा मिला। 19 मई को "टी टाइम" प्रोग्राम में चीन दौरे पर गए भारत के योगगुरू 84 साल की ओ.पी. तिवारी से अनिल पांडे द्वारा की गई बातचीत सुनवाने के लिये भी हार्दिक धन्यवाद।

    पिछले 18 मई ,बुधवार को मैं जब मेरा सबसे फेवरिट प्रोग्राम "आपका पत्र मिला " सुना, तब मेरा दिल ख़ुशी से झूम उठा क्योंकि अपने हमारे द्वारा भेजे गए सीआरआई की हिंदी सर्विस के डिरेक्टर श्याओ यांग जी और चंद्रिमा जी के जन्मदिन पर बनाये गए ग्रीटिंग्स कार्ड और उपहार को प्रोग्राम में शामिल किया गया। पहले तो मैं चकित हो गया। मैं सोचने लगा कया हो रहा है प्रोग्राम में,खुद हिंदी सर्विस के डिरेक्टर श्याओ यांग जी ने प्रोग्राम में आकर हमें शुभकामनाएं दे रही है! हमारे न्यू हराइज़न रेडियो लिस्नर्स क्लब के सभी सदस्यों ने उनकी मिठास भरी आवाज़ सुनकर बहुत ही खुश हुए। इसीलिए मैं श्याओ यांग जी को ह्रदय से धन्यवाद देता हूं। आप हमेशा ही इस तरह से हमारे साथ देंगे और हमारा उत्साह बढ़ाते रहेंगे - यह ही हमारा चाहत।

    हैया:देवशंकर चक्रवर्ती जी, पत्र भेजने के लिये आपका बहुत बहुत धन्यवाद। आगे पेश है ओडिसा से हमारे मॉनीटर सुरेश अग्रवाल जी का पत्र। उन्होंने लिखा है......

    केसिंगा दिनांक 21 मई। पूरे चौबीस घण्टे लम्बे इन्तज़ार के बाद प्रतिदिन की तरह जब आज भी शाम साढ़े छह बजे सीआरआई हिन्दी का ताज़ा प्रसारण सुना, तो बाछें खिल उठीं और मैंने अपने तमाम परिजनों के साथ मिलकर शॉर्टवेव 9450 किलोहर्ट्ज़ की आवृत्ति पर कार्यक्रम का भरपूर लुत्फ़ उठाया। अब मैं आज के प्रसारण पर हम सभी की मिलीजुली प्रतिक्रिया के साथ आपके समक्ष उपस्थित हूँ। बहरहाल, देश-दुनिया की ताज़ा ख़बरों का ज़ायज़ा लेने बाद हमने सात-सुरों की साप्ताहिक प्रस्तुति "आपकी पसन्द" की ताज़ा कड़ी सुनी, जिसे हर बार की तरह आज भी पंकज और अंजलिजी ने बखूबी अंज़ाम दिया। श्रोताओं के पसन्दीदा फ़िल्म-सनम तेरी क़सम, मनोरंजन, इन्सान, प्यार का मौसम, ज़हरीला इन्सान तथा बहारों के सपने के छह फड़कते हुये गानों के साथ दी गई तमाम जानकारी रुचिकर और ज्ञानवर्द्धक लगी। कुछ समय इस्तेमाल करने के बाद एंड्रॉएड स्मार्टफ़ोन के धीमे होने के कारणों और समाधान पर दी गई जानकारी काफी महत्वपूर्ण लगी। गूगल और रेलटेल के संयुक्त उद्यम से भारत के पांच और रेलवे स्टेशनों पर मुफ़्त वाई-फाई सेवा उपलब्ध होने के साथ इस प्रकार की सुविधा प्राप्त स्टेशनों की संख्या का पन्द्रह होना और वर्षान्त तक यह आंकड़ा सौ तक पहुंचना, जानकारी भी सूचनाप्रद थी। लीवर की ख़राबी के कारण होने वाली तक़लीफ़ों के साथ-साथ लीवर के काम करने की प्रक्रिया को समझाया जाना भी सामान्य-ज्ञान में वृध्दि करने वाला लगा। कार्यक्रम में अंजलिजी द्वारा कहा गया कि पिछले कुछ समय से कार्यक्रम के लिये श्रोताओं द्वारा पत्र भेजने का सिलसिला थम सा गया है। इस पर मैं कहना चाहूँगा कि -इसका कारण आप द्वारा पत्रों पर पूरी तरह ध्यान नहीं दिया जाना है ! मैं स्वयं दो बार अपनी फ़रमाइश मेल के ज़रिये कर चुका हूँ, गाना सुनवाना तो दूर, मेल की प्राप्तिसूचना भी आपकी ओर से नहीं मिल पायी है। आशा है कि इस पर गौर फ़रमयेंगे। धन्यवाद।

    केसिंगा दिनांक 22 मई । वर्षाजल की चाहत में आकाश की ओर टकटकी लगाये चातक की तरह प्रतिदिन की भांति हमारा इन्तज़ार आज भी तब समाप्त हुआ, जब हम सभी परिजनों ने एकसाथ मिल कर शाम ठीक साढ़े छह बजे शॉर्टवेव 9450 किलोहर्ट्ज़ की आवृत्ति पर सीआरआई हिन्दी का ताज़ा प्रसारण सुना। और अब मैं उस पर हम सभी की मिलीजुली प्रतिक्रिया लिये आपसे मुखातिब हूँ। उम्मीद है कि ज़ल्द ही हमारी बात आप तक पहुँच जायेगी। बहरहाल, देश-दुनिया के ताज़ा समाचारों के बाद पेश साप्ताहिक "सण्डे की मस्ती" की शुरुआत 'रंगीन बादल के दक्षिण में' शीर्षक चीनी गीत के साथ किया जाना, गीत के रसास्वादन के साथ-साथ हमें युन्नान का शाब्दिक अर्थ भी समझा गया, धन्यवाद स्वीकार करें। सण्डे स्पेशल में सपनाजी की प्रस्तुति -मोहिनी दुनिया की पहली कड़ी के तहत चीन में आवाज़ की नक़ल करने (मिमिक्री) के इतिहास पर दिलचस्प जानकारी सुनने को मिली। गैरभौतिक सांस्कृतिक अवशेष के रूप में मान्यताप्राप्त मिमिक्री के उत्तराधिकारी के तौर पर न्यू यूलियांग के बारे में जान कर आश्चर्य होता है कि कैसे उन्होंने वर्ष 1958 में ओरियल पक्षी की नक़ल करना शुरू किया और उसे अपना गुरु बनाया। उनकी आवाज़ में विभिन्न पक्षी एवं अन्य जीवों की हूबहू नक़ल सुन कर सुखद आश्चर्य हुआ। अच्छी बात यह लगी कि न्यू यूलियांग अपनी यह कला अब औरों के साथ भी साझा कर रहे हैं। उनका पक्षी और प्रकृति प्रेम भी क़ाबिल-ए-तारीफ़ लगा। शायद इसी वज़ह से उन्हें इस विधा में सफलता हासिल हुई है। हमें न्यू यूलियांग पर आधारित अगली कड़ी सुनने का भी बेसब्री से इन्तज़ार रहेगा। कार्यक्रम में आगे दक्षिणी चीन के क्वांगचो के तीन रेस्त्राओं में जी का जंजाल बने रोबोट वेटर; लापता और तस्करी का शिकार बच्चों को ढूंढ़ने चीन में लॉन्च किया गया विशेष एप्प तथा चीन के एक विश्वविद्यालय द्वारा विकसित की गई चेहरा पहचानने वाली कार आदि समाचार भी काफी सूचनाप्रद लगे। मनोरंजन खण्ड में इस शुक्रवार रिलीज़ हुई फ़िल्म "सरबजीत" की चर्चा के साथ उसका ट्रैलर सुनवाया जाना अच्छा लगा। और हाँ, आज के तीनों जोक्स भी हमें गुदगुदाने में काफी हद तक कामयाब रहे। धन्यवाद फिर एक शानदार प्रस्तुति हेतु।

    हैया:अब सुनिए हमारे श्रोता दोस्त बलवंत कुमार वर्मा जी के साथ हुई बातचीत।

    अनिल:दोस्तो, इसी के साथ आपका पत्र मिला प्रोग्राम यही संपन्न होता है। अगर आपके पास कोई सुझाव या टिप्पणी हो तो हमें जरूर भेजें, हमें आपके खतों का इंतजार रहेगा। इसी उम्मीद के साथ कि अगले हफ्ते इसी दिन इसी वक्त आपसे फिर मुलाकात होगी। तब तक के लिए अनिल और हैया को आज्ञा दीजिए, नमस्कार।

    हैया:गुडबाय।

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