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    आपका पत्र मिला 2016-04-27
    2016-05-24 15:10:04 cri

    पंकज:आपका पत्र मिला कार्यक्रम सुनने वाले सभी श्रोताओं को पंकज श्रीवास्तव का नमस्कार।

    हैया:सभी श्रोताओं को हैया का भी प्यार भरा नमस्कार।

    पंकज:दोस्तो, पहले की तरह आज के कार्यक्रम में हम श्रोताओं के ई-मेल और पत्र पढ़ेंगे। चलिए श्रोताओं के पत्र पढ़ने का सिलसिला शुरू करते हैं। पहला पत्र हमें आया है, पश्चिम पंगाल से हमारे मॉनिटर रविशंकर बसु का। उन्होंने लिखा है......

    दिनांक 22 अप्रैल ,2016 शुक्रवार को रात साढ़े नौ से साढ़े दस बजे तक शार्ट वेव 7395 किलोहर्ट्ज (kHz) पर आपका रेडियो प्रोग्राम सुना। पंकज श्रीवास्तव जी द्वारा पेश किये गए दुनिया भर के ताज़ा समाचार सुनने के बाद साप्ताहिक "चीन का तिब्बत" प्रोग्राम एवं "दक्षिण एशिया फोकस" प्रोग्राम सुना।

    आज साप्ताहिक "चीन का तिब्बत" प्रोग्राम में मीरा जी और हुमिन जी ने तिब्बत के परंपरागत हस्तशिल्पी कला का खजाना तिब्बती कालीन (Tibetan carpet) को लेकर एक खास रिपोर्ट हमें दी जो बहुत ही सूचनाप्रद लगी। तिब्बती कालीन तिब्बत की पारंपरिक जातीय दस्तकारी कृतियों का आसाधारण प्रतिनिधि है जो विश्व भर में मशहूर है। परंपरागत तिब्बती कालीन याक और पहाड़ी बकरे के ऊन से बनाई जाती है। लेकिन आजकल अधिकांश तिब्बती कालीन मशीन निर्मित होने लगे हैं।

    मीरा जी ने बताया कि उन्होंने हाल ही में ल्हासा में गावाचेन तिब्बती कालीन कारखाना दौरा किया और उनके वर्णन के अनुसार, कारखाने में सुन्दर सुन्दर तिब्बती कालीन हस्त शिल्पीकारों के हाथों से बनाया जाता है।

    तिब्बती कालीन ऊंचे पठार के बकरों के ऊन से बनाता है। और यही उसके बढ़िया होने का कारण है।कच्चे ऊन की छंटनी के बाद मजदूर चुने हुए बढ़िया ऊन की बुनाई करते हैं। इसके बाद ऊन को कई अलग अलग रंगों में रंग कर मजदूरों की करघा मशीनों पर रखा जाएगा। दो मजदूर एक महीने तक बहुत कष्ट के बाद आम आकार वाला एक तिब्बती कालीन बनाने का काम समाप्त कर सकते हैं। फूबू ड्वनचू गावाचेन तिब्बती कालीन कारखाने के तकनीशियन हैं। वे बचपन से ही अपने माता पिता के साथ तिब्बती कालीन की बुनाई में लगे हुए हैं। अभी तक उन्हें तिब्बती कालीन का निर्माण करने में 23 वर्ष बीत चुके हैं। अनेक वर्षों के लिए काम करके उन्हें यह अनुभव प्राप्त है कि तिब्बती कालीन का गुण ऊन की गुणवत्ता पर निर्भर होता है।

    तिब्बती कालीन का कुछ परिचय देते हुए मीरा जी ने हमें बताया कि तिब्बती कालीन का दो हजार वर्षों का लंबा इतिहास है। इसकी कौशल में कताई, रँगाई ट्रिमिंग और धुलाई आदि शामिल हैं। तिब्बती कालीन का रंग इतना मज़बूत है जो पानी में धोने के बाद भी बना रहता है। तिब्बती कालीन के पैटर्न भी जातीय विशेषताओं से सुरक्षित हैं। तिब्बती कालीन अपने बढ़िया गुण, विशेष पैटर्न और सुन्दरता से विश्व बाजार में लोकप्रिय होता है और इसे विश्व के तीन सर्वश्रेष्ठ कालीनों में से एक माना जाता है।तिब्बती कालीन के तीन तरीके हैं। पहला, याक और पहाड़ी बकरे के ऊन से बनाया जाता है , जो मुलायम और हल्का होता है , और चमकीले रंग व जटिल पैटर्न से सुसज्जित है। दूसरा, भेड़ के ऊन से बनाया जाता है , जिसका रंग और पैटर्न सीधा सादा है और जिसपर कभी कभी रंगीन धागों से बूटेदार डिज़ाइन बनाते हैं। तीसरा यानी "खा-डियन" नाम की मैट भी है।

    ल्हासा शहर में गावाचेन कारखाना ऐसा एकमात्र कारखाना है, जो परंपरागत हस्तशिल्पी ढंग से तिब्बती कालीन का उत्पादन करता है। लेकिन अभी तक कारखाने में सिर्फ तीसेक मज़दूर बाकी हैं। कारखाने में उत्पादित तिब्बती कालीन अमेरिका और जापान में भी निर्यातित किये गये। वर्ष 2001 में गावाचेन कारखाने में उत्पादित तिब्बती कालीन अमेरिका के न्यूयॉर्क में आयोजित प्रदर्शनी में भी शामिल हुआ था। कारखाने के संस्थापक कसांग त्साशी भी परंपरागत कला का पुनरुत्थान करने में कृतसंकल्प हैं। 1986 में कसांग त्साशी ने ल्हासा शहर में जो बुनाई और रंगाई करने वाले शिल्पकार हैं, उन्हें खोजकर इकट्ठा किया, इनके साथ गावाचेन बुनाई कला केंद्र स्थापित किया, और तिब्बती कालीन का उत्पादन करने की नयी पीढ़ी के शिल्पकारों को प्रशिक्षण दिया। तिब्बती जातीय व्यक्तियों के अलावा कुछ परदेशी भी तिब्बती कालीन की परंपरागत कला को जारी रखने का प्रयास किया करते हैं।पूर्वी चीन के शानतुंग प्रांत के वांग ज़-छिआंग ने कुछ ही दिनों पहले विदेशी आयरलैंस में अपनी ऊंची पगार वाले पद से विदाई लेकर ल्हासा के गावाचेन कारखाने में विक्रेता का पद सँभाला।गावाचेन कारखाने की महिला डिज़ानर वू ची भी परंपरागत हस्तशिल्पी की वफादार प्रशंसक है। उनका मानना है कि परंपरागत हस्तशिल्पी कला के पुनरुद्धार की लहर आज नज़र आ रही है। तिब्बती कालीन भी इस लहर से छुटकारा नहीं पा सकेगी।सुना है कि राजधानी ल्हासा और शिगाज़े प्रिफेक्चर के ग्यानत्से क्षेत्र में उत्पादित कालीन सबसे जाने माने हैं। ग्यानत्से में "खा-डियन"का छह सौ वर्षों का इतिहास है और वहां हरेक सड़क के किनारे कालीन के कारखाने दिखते हैं।ग्यानत्से में उत्पादित "खा-डियन"कालीन देश में लोकप्रिय है और इसे भारत, नेपाल और भूटान के बाजारों में भी व्यापक स्वागत मिलता है।

    पिछले कुछ वर्षों में सरकार ने तिब्बती कालीन के उत्पादन को विशेष महत्व दिया है और इसके देसी विदेशी बाजारों को तलाशने का भारी प्रयास किया है।समाज के विकास के चलते प्राचीन काल के तिब्बती कालीन को नयी जीवनी शक्ति मिली है।तिब्बती स्वायत्त प्रदेश की सरकार प्रति वर्ष विशेष खर्च से तिब्बती कालीन बनाने के 80 हस्त शिल्पीकारों का प्रशिक्षण करती है, ताकि इस दुर्लभ परंपरागत कौशल का संरक्षण किया जा सके।मुझे आशा है कि तिब्बत के हस्त शिल्पीकार अपने हाथों से इस सांस्कृतिक विरासत को बनाये रखने का अथक प्रयास करेंगे। खूबसूरततिब्बती कालीन के बारे में विस्तार से जानकारी देने के लिए मीरा जी को हार्दिक धन्यवाद।

    आज "दक्षिण एशिया फोकस" प्रोग्राम में पंकज श्रीवास्तव जी ने 'दैनिक जागरण' के पत्रकार तथा खेल विशेषज्ञ संजय श्रीवास्तव जी के साथ टी-20 खेल का असली रोमांच को लेकर एक चर्चा की। भले ही भारत सेमीफाइनल में वेस्टइंडीज से हारकर वर्ल्ड टी20 से बाहर हो गए थे लेकिन मैं इस टी-20 विश्वकप में टीम इंडिया के शानदार प्रदर्शन की तारीफ करता हूं।

    हैया:आगे बसु जी लिखते हैं...... सोमवार,18 अप्रैल,2016 को पंकज जी द्वारा पेश किये गए दुनिया भर के ताज़ा समाचार सुनने के बाद मैडम श्याओ थांग जी द्वारा पेश साप्ताहिक "आर्थिक जगत" प्रोग्राम पुरे मनोयोग से सुना।

    आज "आर्थिक जगत" कार्यक्रम में मैडम श्याओ थांग जी द्वारा प्रस्तुत चीन के कानसू प्रांत के तिंगशी शहर में रहने वाली महिला किसान छ्यांग छाईश्या की सफलता की कहानी हमें सुनने को मिली जो आलू उत्पादक किसानों के लिए एक मिसाल है।

    रिपोर्ट सुनकर पता चला कि छ्यांग छाईश्या तिंगशी शहर के आनतिंग जिले में शीछ्वान टाउनशिप के ल्युफिंग गांव में एक महिला किसान है। उत्तर-पश्चमी चीन के कानसू प्रांत के तिंगशी शहर में खेती योग्य भूमि में पोटैशियम प्रचुर मात्रा में मौजूद है, जो आलू के उत्पादन योग्य है। परिश्रमी छ्यांग छाईश्या ने आलू को अपना उद्योग बनाया है और साथ ही वह स्थानीय गांव वासियों का नेतृत्व कर गरीबी उन्मूलन के रास्ते पर आगे बढ़ रही है।वर्ष 1998 में छ्यांग छाईश्या ने बैंक से 8500 युआन का ऋण लेकर गांव में छोटी दुकान खोली और तीन पहियों की पांव से चलने वाली गाड़ी यानी तिपहिया साइकिल खरीदी। दिन में वह वस्तुएं बेचती थी और रात को दूसरे स्थान से सामान खरीदती थी। आधे साल की मेहनत के बाद उसने कुछ पैसे जमा किये। तभी छ्यांग छाईश्या आलू खरीदने लगा और उसने आलू से संबंधित उद्यमिता शुरू की। करीब 20 साल पहले छ्यांग छाईश्या ने किसानों से 0.3 युआन की किमत से प्रति किलो से आलू खरीदना शुरू किया और उसे 0.5 युआन की किमत पर शहरी लोगों को आलू बेचती थी। रोज़ उन्होंने 100 युआन की आय प्राप्त करती थी।जल्द ही वह अमीर होने लगी।

    छ्यांग छाईश्या स्थानीय किसानों को लेकर अमीरी रास्ते पर आगे बढ़ाना चाहती थी। उनकी सफलता को देखकर ल्यूफिंग गांव में गांव वासियों ने आलू को बड़ी मात्रा में उगाना शुरु किया। वर्ष 2010 में छ्यांग छाईश्या ने ल्यूफिंग गांववासियों के साथ मिलकर एक किसान सहयोगी कारोबार की स्थापना की। वर्ष 2014 में उसने किसानों के लिए मशीनरी सेवा दल की स्थापना की। स्थानीय सरकार की सहायता से छ्यांग छाईश्या ने कृषि फ़सल काटने वाली मशीन यानी हार्वेस्टर खरीदा। तिंगशी शहर की सरकार ने भत्ते के रूप में छ्यांग छाईश्या को 3 लाख युआन की राशि दी, जिसका आलू गोदाम की स्थापना के लिए प्रयोग किया जाता है। वर्ष 2015 में छ्यांग छाईश्या ने गांव वासियों के साथ आलू उगाने के लिए नई तकनीक सीखी और उत्पादन मात्रा में बहुत हद तक उन्नत हुई। शाओ यानरोंग वर्ष 2010 में छ्यांग छाईश्या के साथ किसान सहयोगी कारोबार स्थापित वाली संस्थापक है। शाओ ने कहा कि आलू उत्पादन से सालाना आय 70 या 80 हज़ार युआन की आय मिलती है।

    रिपोर्ट में बताया गया है कि तिंगशी के अच्छी गुणवत्ता वाले आलू को देश भर के विभिन्न स्थानों तक बेचने के लिए छ्यांग छाईश्या ने परिवार के सदस्यों का भी प्रोत्साहन किया। उसकी बड़ी बेटी की शादी के बाद मध्य चीन के हूपेई प्रांत की राजधानी वूहान में बसने लगी। तो छ्यांग छाईश्या ने अपनी बेटी को वू हान और क्वांगचो जैसे शहरों में आलू के सौदे की जिम्मेदारी दी।उसने विश्वविद्यालय से अभी-अभी स्नातक किये हुए बेटे को आलू उद्योग के विकास के लिए भी गांव में वापस बुलाया।बेटा भी उनके मां की सपने को पूरा करने में मदद कर रहे है। परिजनों के अलावा छ्यांग छाईश्या अपने आलू उद्योग में विश्वविद्यालय के ग्रेजुएट विद्यार्थियों को भी आकर्षित करती हैं। पहले, ल्युफिंग गांव में गांव वासियों की औसतन सालाना आय मात्र एक या दो सौ युआन होती थी। लेकिन इधर के कुछ वर्षों में आलू उद्योग के विकास, स्थानीय सरकार के समर्थन से गांव वासियों की औसतन सालाना आय दस या बीस हजार युआन तक बढ़ गई है।

    इस रिपोर्ट सुनकर मुझे लगता है कि कृषि आज भी आर्थिक विकास का आधार है।भारत विश्व में चीन के बाद दूसरा सबसे बड़ा आलू उत्पादक देश है।हमारा राज्य पश्चिम बंगाल आलू उत्पादन में देश के दूसरा सबसे बड़ा आलू उत्पादक राज्य है। लेकिन आलू उत्पादक किसानों का हाल आज बेहाल है। आलू की अधिकता और कीमतों में आई कमी के कारण पश्चिम बंगाल में हुगली,बर्दवान और बांकुरा जिले में किसान आत्महत्या कर रहे हैं और सरकार उनके प्रति उदासीन है। लेकिन छ्यांग छाईश्या की सफलता की कहानी आलू उत्पादक किसानों के लिए एक मिसाल है।

    18 अप्रैल को साप्ताहिक "जीवन के रंग " कार्यक्रम में वनिता जी ने हाल ही में रिलीज हुई हॉलीवुड फिल्म निर्देशक जोन फेवरियू की 'द जंगलबुक' को लेकर एक समीक्षा पेश की जो सुनकर बचपन एक बार फिर लौट आया है। सुना है कि इस फिल्म में नवोदित बाल कलाकार नील सेठी ने मोगली का किरदार निभाया है और फिल्म में वह अकेले मानवीय कलाकार हैं, जबकि अन्य सभी कलाकार कम्प्यूटर ग्राफिक्स से बनाए गए हैं।

    एक अन्य रिपोर्ट में सुबह खाली पेट में पानी पीने के कई फायदे के बारे में हमें आगाह करने के लिए वनिता जी को हार्दिक धन्यवाद।

    पंकज:रविशंकर बसु जी, हमें रोजाना पत्र भेजने के लिए आपका बहुत बहुत धन्यवाद। चलिए, अगला पत्र मेरे हाथ आया है उड़ीसा से हमारे मॉनिटर सुरेश अग्रवाल जी का। उन्होंने लिखा है......

    केसिंगा दिनांक 24 अप्रैल। सीआरआई हिन्दी का ताज़ा प्रसारण नियमानुसार प्रतिदिन की तरह आज भी शाम ठीक साढ़े छह बजे हम सभी परिजनों ने एकसाथ मिलकर शॉर्टवेव 9450 किलोहर्ट्ज़ की आवृत्ति पर उत्साहपूर्वक सुना और कार्यक्रम का पूरा लुत्फ़ उठाने के बाद अब मैं उस पर हम सभी की त्वरित टिप्पणी के साथ आपके समक्ष उपस्थित हूँ। अन्तर्राष्ट्रीय समाचारों का ज़ायज़ा लेने के बाद हमने साप्ताहिक "सण्डे की मस्ती" का भी ख़ूब लुत्फ़ उठाया। कार्यक्रम की शुरुआत "प्यार का रास्ता है हज़ारों मील लम्बा" शीर्षक चीनी गीत से किया जाना सर्वथा उचित जान पड़ा। सण्डे स्पेशल में मशहूर चीनी बाल साहित्य लेखक छाओ वनश्वान की रचनाधर्मिता एवं उन्हें मिलने वाले वर्ष 2016 हैंस क्रिश्चियन एण्डरसन अवॉर्ड पर सपनाजी की विशेष रिपोर्ट काफी महत्वपूर्ण लगी। इस वर्ष अप्रैल महीने में आयोजित 53वें बोलोग्ना बाल पुस्तक मेले में चीनी साहित्यिक इतिहास के क्षेत्र में इसे एक बड़ी घटना के रूप में लिया जा रहा है मशहूर चीनी बाल साहित्य लेखक, पेइचिंग विश्वविद्यालय के प्रोफेसर छाओ वनश्वान को अंतरराष्ट्रीय बाल पुस्तक संघ द्वारा हैंस क्रिश्चियन एंडरसन अवार्ड से सम्मानित किया गया। यह पहली बार है कि किसी चीनी लेखक को इस पुरस्कार से सम्मानित किया गया है। हैंस क्रिश्चियन एंडरसन अवॉर्ड अन्तर्राष्ट्रीय बाल पुस्तक संघ द्वारा वर्ष 1956 में स्थापित किया गया, जिसके तहत हर दो साल में चयन कर विश्व भर में श्रेष्ठ बाल साहित्यकार और चित्रकार को यह अवॉर्ड दिया जाता है। जिसका उद्देश्य है कि इन व्यक्तियों द्वारा बाल-साहित्य कार्य में स्थाई योगदान देने के लिए प्रोत्साहन करना। इस अवॉर्ड का उपनाम है "छोटा नोबेल पुरस्कार"। नियम के मुताबिक किसी भी लेखक को जीवन में केवल एक ही बार हैंस क्रिश्चियन एंडरसन अवॉर्ड से नवाज़ा जा सकता है। 2016 में हैंस क्रिश्चियन एंडरसन अवार्ड के उम्मीदवारों में 28 लेखक और 29 साहित्य चित्रकार थे। आखिरकार छाओ वनश्वान को यह पुरस्कार हासिल हुआ। हम इस असाधारण सम्मान प्राप्त करने पर उन्हें हार्दिक बधाई प्रदान करते हैं।

    कार्यक्रम में आगे चीनी वैज्ञानिकों द्वारा पहली बार अंतरिक्ष में चूहे के शुरूआती चरण वाले भ्रूणों को सफलतापूर्वक विकसित करने का दावा किया जाना और अगले हफ्ते किसी भी वक्त पृथ्वी पर लौटने को तैयार एक सूक्ष्म-गुरूत्वीय उपग्रह (माइक्रोगै्रविटी सैटेलाइट) पर ये भ्रूण विकसित करने की बात काफी महत्वपूर्ण उपलब्धि कही जायेगी। सोशल मीडिया पर वायरल हुये एक दो वर्षीय चीनी बच्चे के वीडियो सम्बन्धी जानकारी भी काफी हतप्रभ करने वाली लगी। वहीं आज के सामान्य-ज्ञान सेगमेण्ट के तहत बिजली और टेलीफोन के खम्भों के बीच तार कसकर लगाये जाने का विज्ञान भी काफी मज़ेदार लगा। अखिलजी द्वारा पेश प्रेरक कहानी -'मनुष्य की क़ीमत' भी मनुष्य को अपना जीवन मूल्य समझाती प्रतीत हुई। जब कि जीवन-मन्त्र में आलोचनाओं से कैसे अपने आपको करें मोटिवेट, विषय पर भारत के जाने-माने मोटिवेशनल गुरू राजेश अग्रवालजी के अनुभव वास्तव में क़ाबिल-ए-तारीफ़ जान पड़े। मनोरंजन खण्ड में इस शुक्रवार रिलीज़ हुई ठहाकों से भरी फ़िल्म 'संता बंता प्राइवेट लिमिटेड' की चर्चा के साथ उसका प्रोमो सुनवाया जाना हर बार की तरह आज भी रुचिकर रहा। मज़ेदार जोक्स की कड़ी में आज -सर, आप ज़्यादातर शादीशुदा आदमियों को ही इस ऑफिस में नौकरी पर क्यों रखते हैं, जोक काफी पसन्द आया। धन्यवाद फिर एक शानदार प्रस्तुति के लिये।

    हैया:आगे सुरेश जी लिखते हैं...... पूरे चौबीस घण्टे लम्बे इन्तज़ार के बाद प्रतिदिन की तरह जब आज भी शाम साढ़े छह बजे सीआरआई हिन्दी का ताज़ा प्रसारण सुना, तो बाछें खिल उठीं और मैंने अपने तमाम परिजनों के साथ मिलकर शॉर्टवेव 9450 किलोहर्ट्ज़ की आवृत्ति पर कार्यक्रम का भरपूर लुत्फ़ उठाया। संचार बाधित होने के कारण मैं अब हम सभी की मिलीजुली प्रतिक्रिया के साथ आपके समक्ष उपस्थित हूँ। बहरहाल, देश-दुनिया की ताज़ा ख़बरों का ज़ायज़ा लेने बाद हमने साप्ताहिक "बाल-महिला स्पेशल" भी पूरी दिलचस्पी से सुना। यह जान कर हैरत हुई कि विज्ञान और विकास के क्षेत्र में पूरी दुनिया से अपना लोहा मनवाने वाला चीन अपने यहाँ बालरोग चिकित्सकों की किस कदर कमी महसूस कर रहा है। मैडम चन्द्रिमाजी द्वारा प्रस्तुत विशेष रिपोर्ट सुन कर पता चला कि वर्त्तमान चीन में दो हज़ार बच्चों पर औसतन एक डॉक्टर है। चीन में कुल 99 बालरोग चिकित्सालय हैं और शून्य से चौदह वर्ष की आयु वाले बच्चों संख्या कुल तेईस करोड़ है। इस प्रकार डॉक्टर और अभिभावक दोनों पीड़ित हैं, इसलिये बालरोग चिकित्सा विभाग को गूंगा विभाग भी कहा जाता है। काम अधिक और वेतन कम होने के कारण डॉक्टर भी इसमें कम ही रुचि लेते हैं। धन्यवाद इतनी सूचनाप्रद प्रस्तुति के लिये। आशा है कि चीन देश इस समस्या पर ज़ल्द ही पार पा लगा।

    कार्यक्रम "टी टाइम" के अन्तर्गत मदर टेरेसा के जीवन पर दी गई महत्वपूर्ण जानकारी के लिये हृदय से आभार। उनके जीवन से जुड़े चमत्कारों के कारण उन्हें संत घोषित किया जाना बहुत ही दिलचस्प लगा। वहीं अधिक काम करने से होने वाली थकान से निज़ात पाने केले और ग्रीन टी सहित जिन चीज़ों का उपयोग फायदेमन्द हो सकता है, पर दी गई जानकारी काफी उपादेय लगी। अमेरिका में प्रियंका चोपड़ा की लोकप्रियता के बजते डंके का समाचार भी उत्साहवर्द्धक लगा। हेल्थटिप्स में ठण्डे पेय-पदार्थों से होने वाले संक्रमण से आगाह करने का भी शुक्रिया। जोक्स में -शादीशुदा ज़िन्दगी में दो मुख्य खर्चे वाला जोक काफी उम्दा लगा। धन्यवाद फिर एक अच्छी प्रस्तुति के लिये।

    पंकज:सुरेश अग्रवाल जी, हमें पत्र भेजने के लिए आपका बहुत बहुत धन्यवाद। चलिए, अगला पत्र मेरे हाथ आया है जमशेदपुर से एस बी शर्मा जी का। उन्होंने लिखा है...... यह जानकर बहुत ख़ुशी हुई की चाइना रेडियो इंटरनेशनल और भारत-चीन आर्थिक और सांस्कृतिक एसोशिएशन ने संयुक्त रूप से "पश्चिम की यात्रा" ऑडियो पुस्तक के हिंदी संस्करण के विमोचन 1 अप्रैल को भारत देश के बिहार राज्य के गया शहर में एक भव्य समारोह आयोजित किया। इस समारोह में चाइना रेडियो इंटरनेशनल के प्रतिनिधिमंडल और गया स्थित बहुत ही पुराने और प्रसिद्ध मगध विश्वविद्यालय के विशेषज्ञों, विद्वानों और चाइना रेडियो इंटरनेशनल के स्थानीय श्रोताओं ने इसमें भाग लिया।

    इस अवसर पर चाइना रेडियो इंटरनेशनल के प्रमुख वांग केंग न्यान ने कहा कि चीन और भारत एक दूसरे के मित्रवत और करीबी पड़ोसी देश है। दोनों देशों के बीच सांस्कृतिक आदान-प्रदान के लंबे इतिहास में बौद्ध धर्म ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। बौद्ध धर्म भारत में ही पैदा हुआ था और ये धरती बौद्ध संस्कृति जानने की सबसे अच्छी जगह मानी जाती है। इस ऑडियो पुस्तक "पश्चिम की यात्रा" में ह्वेन त्सांग के अलावा और एक प्रसिद्ध पात्र हैं इनका नाम है सून ऊ कोंग, जिनका प्रोटोटाइप भारत से ही आया है। यह बहुत ख़ुशी की बात है की चाइना रेडियो इंटरनेशनल के प्रमुख वांग केंग न्यान से बौद्ध धर्म को भारत से जोड़कर देखा और भारत का मान बढ़ाया यही सच्चे मित्र की पहचान है

    भारतीय विशेषज्ञों, विद्वानों और श्रोताओं ने "पश्चिम की यात्रा" के हिन्दी संस्करण का रिलीज होने की बड़ी प्रशंसा की। और ख़ुशी जाहिर की ,हमारा यह मानना है कि चीन-भारत के बीच सांस्कृतिक आदान-प्रदान में इसकी बहुत महत्वपूर्ण भूमिका है।

    दोनों देश बौद्ध धर्म में माध्यम से एक दूसरे के करीब है और जुड़े हुए है पश्चिम की तीर्थ यात्रा पुस्तक के हिंदी संकरण का ऑडियो लॉच भारत देश के बिहार राज्य की बौद्ध नगरी गया में करने के लिए बिहार और झारखण्ड के श्रोताओं और श्रोता संघों के तरफ से सी आर आई को बहुत बहुत धन्यवाद।

    हैया:एस बी शर्मा जी, हमें पत्र भेजने के लिए आपका बहुत बहुत धन्यवाद। चलिए, अगला पत्र मेरे हाथ आया है बिहार से शंकर प्रसाद शंभु जी का। उन्होंने लिखा है...... 17 अप्रैल 2016 के कार्यक्रम संडे की मस्ती में 29 साल के एक चाइनीज बॉस नी हैशन ने पहले अपने 10 सेल्समैन को लग्जरी स्पोर्ट्स कार मसराती गीबली गिफ्ट की। फिर उन्हें एक डेंजरस रोड सिचुआन-तिब्बत हाईवे ट्रिप पर ले गया, 1,294 मील का यह सफर काफी मुश्किलों भरा, इस बीच बीहड़ इलाके और खराब सड़कों से सामना होता है। इस ट्रिप में हैशन खुद भी करीब 5 करोड़ रु. की फरारी एफ-12 में था। उसकी फरारी पथरीली सड़कों का सामना नहीं कर सकी, कार के टायर बर्स्ट हो गए!

    शंघाई में अकेले रह रहे माता-पिता से यदि उनके बच्चे मिलने नहीं जाएंगे, उनका हाल-चाल नहीं जानेंगे तो उनका क्रेडिट स्कोर घटा दिया जाएगा। यानी माता-पिता की उपेक्षा करने वालों को अब आर्थिक नुकसान भुगतने होंगे। चीन में बढ़ती बुजुर्गों की आबादी और उनका ध्यान रखने में बरती जा रही लापरवाही रोकने के लिए सरकार ये सख्ती करने जा रही है ! यह सुनकर मैं बहुत खुश हुआ।

    18 अप्रैल 2016 के कार्यक्रम आर्थिक जगत में तिंगशी शहर उत्तर-पश्चमी चीन के कानसू प्रांत के मध्य में स्थित है, जहां मौसम ठंडा रहता है खेती योग्य भूमि में पोटैशियम प्रचुर मात्रा में मौजूद है, जो आलू के उत्पादन योग्य है। तिंगशी में छ्यांग छाईश्या नाम की एक महिला ने आलू को अपना उद्योग बनाया है। वह स्थानीय गांव वासियों का नेतृत्व कर गरीबी उन्मूलन के रास्ते पर आगे बढ़ रही है। यह सुनकर काफी अच्छा लगा !

    19 अप्रैल 2016 के कार्यक्रम चीन-भारत आवाज़ में हाल के वर्षों में पूरी दुनिया में चीनी भाषा सीखने का रूझान बढ़ा है। चीन और भारत पड़ोसी देश हैं, पिछले कुछ सालों में हमारे दोनों देशों के बीच आर्थिक, व्यापारिक और सांस्कृतिक आदान-प्रदान में व्यापक प्रगति हुई है। अब चीनी भाषा सीखना भारत में भी लोकप्रिय बनता जा रहा है,19 वर्षीय छंग थिंग दक्षिण भारत के आंध्र प्रदेश के रहने वाले हैं। जब वो 6 वर्ष के थे, तब उन्होंने अपने पिता से चीन के बारे में सुना था। बड़ा होने के साथ साथ चीन की भाषा और संस्कृति में उसकी रुचि भी धीरे-धीरे बढ़ने लगी। वर्ष 2015 में छंग थिंग चीनी भाषा की पढ़ाई करने के लिए जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में दाखिल हुए। उन्होंने खुद को छंग थिंग का यह चीनी नाम दिया। धन्यवाद एक अच्छी प्रस्तुति के लिए।

    पंकज:दोस्तो, इसी के साथ आपका पत्र मिला प्रोग्राम यही संपन्न होता है। अगर आपके पास कोई सुझाव या टिप्पणी हो तो हमें जरूर भेजें, हमें आपके खतों का इंतजार रहेगा। इसी उम्मीद के साथ कि अगले हफ्ते इसी दिन इसी वक्त आपसे फिर मुलाकात होगी। तब तक के लिए पंकज श्रीवास्तव और हैया को आज्ञा दीजिए, नमस्कार।

    हैया:गुडबाय।

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