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    आपका पत्र मिला 2016-04-06
    2016-05-24 14:53:22 cri

     

    पंकज:आपका पत्र मिला कार्यक्रम सुनने वाले सभी श्रोताओं को पंकज श्रीवास्तव का नमस्कार।

    हैया:सभी श्रोताओं को हैया का भी प्यार भरा नमस्कार।

    पंकज:दोस्तो, पहले की तरह आज के कार्यक्रम में हम श्रोताओं के ई-मेल और पत्र पढ़ेंगे। इसके बाद एक श्रोता के साथ हुई बातचीत के मुख्य अंआश पेश किए जाएंगे।

    चलिए श्रोताओं के पत्र पढ़ने का सिलसिला शुरू करते हैं। पहला पत्र हमें आया है, पश्चिम पंगाल से हमारे मॉनिटर रविशंकर बसु का। उन्होंने लिखा है......

    अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा के आमंत्रण में चीनी राष्ट्राध्यक्ष शी चिनफिंग आगामी 31 मार्च अमेरीका जा रहे है,जिस को लेकर अभी दुनिया भर में काफी चर्चा चल रही है। यह हर वक्त एक अच्छी खबर है कि चीन और अमेरिका के शीर्ष नेताओं ने एक दूसरे से मिलने के लिए फैसला की है क्योंकि वर्तमान समय में चीन-अमेरिका संबंध एक नये ऐतिहासिक प्रारंभ बिंदु पर पहुंचे हैं। रिपोर्ट के अनुसार ,वाशिंगटन में अमेरिकी नेतृत्व में होने वाली चौथे और निर्णायक परमाणु सुरक्षा शिखर सम्मेलन में चीनी राष्ट्राध्यक्ष शी चिनफिंग सहित दुनिया भर के नेता शिरकत करेंगे। पिछले साल 22 से 25 सितम्बर तक चीनी राष्ट्राध्यक्ष शी चिनफिंग अमेरिका के दौरे पर गए थे। चीनी राष्ट्राध्यक्ष के रूप में एक साल से भी कम समय में अमेरिका का उनका यह दूसरा दौरा होगा। इस शिखर सम्मेलन के दौरान वह बराक ओबामा के साथ द्विपक्षीय बैठकें भी करेंगे जिसमें आपसी संबंधों विशेष रूप से आर्थिक साझेदारी बढ़ाने पर बातचीत की जाएगी। दोनों नेता विभिन्न क्षेत्रीय और अंतरराष्ट्रीय मुद्दों पर भी विचार विमर्श करेंगे।

    पहला परमाणु सुरक्षा सम्मेलन वॉशिंगटन में ही 2010 में, दूसरा सोल में मार्च 2012 तथा तीसरा हेग में मार्च 2014 में हुआ था। आगामी 31 मार्च से 1 अप्रैल तक चलने वाले दो दिवसीय परमाणु शिखर सम्मेलन में परमाणु सुरक्षा पर चर्चा होगी और कदमों को रेखांकित किया जाएगा जिससे कि उच्च संवर्धित यूरेनियम के न्यूनतम इस्तेमाल, संवेदनशील सामग्रियों की सुरक्षा, परमाणु तस्करी का मुकाबला और इसकी रोकथाम, पड़ताल, परमाणु आतंकवाद को खत्म करने के लिए साथ आया जा सके। परमाणु आतंकवाद वैश्विक सुरक्षा को तत्कालिक और बड़ा खतरा है। उम्मीद है कि चीन अंतर्राष्ट्रीय परमाणु सुरक्षा मामलों में अहम नेतृत्व की भूमिका निभाएगा। चीनी हथियार नियंत्रण संघ के महासचिव छन खाई ने कहा कि चीन ने अमेरिका, रूस, फ्रांस, ब्रिटेन, दक्षिण कोरिया, पाकिस्तान और भारत के साथ नाभिकीय सुरक्षा सवाल पर विचार विमर्श, आदान-प्रदान और सहयोग बरकरार रखा है।

    हमने देखा है कि हाल के वर्षों में चीन - अमेरिका दोनों देशों के बीच विभिन्न क्षेत्रों में सहयोग में काफी वृद्धि हुई है। शी चिनफिंग की अमेरिका यात्रा पर टिप्पणी करते हुए चीनी उप विदेश मंत्री ली पाओतोंग (Li Baodong) ने कहा कि चीन के साथ अमेरिका का द्विपक्षीय संबंधों को निरंतरता व स्थिरता के मार्ग पर आगे बढ़ाने की दिशा में यह मुलाकात बेहद महत्वपूर्ण होगी।" उन्होंने कहा कि उत्तर कोरिया,साइबर सुरक्षा और दक्षिण चीन सागर को लेकर इस बार दोनों नेताओं के बीच चर्चा होगा।

    चीनी प्रधानमंत्री ली खछ्यांग ने 16 मार्च को पेइचिंग में कहा कि गत वर्ष चीन, अमेरिका का सबसे बड़ा व्यापारिक साथी बन गया है, दोनों देशों के बीच व्यापारिक राशि करीब 560 अरब डॉलर तक पहुंच गई है। जाहिर है कि चीन और अमेरिका के बीच समान हितों का लगातार विस्तार हो रहा है, जो दोनों के बीच मौजूद मतभेद से कहीं ज्यादा है। ली खछ्यांग ने कहा कि चीन अमेरिका सहयोग न केवल दोनों देशों के हित में हैं, बल्कि इससे विश्व को भी लाभ मिलेगा। दोनों देशों के बीच आर्थिक और व्यापारिक संबंधों का विकास समान जीत ही है।

    यह बिलकुल सच है कि आज अमेरिका और चीन दुनिया के दो सर्वाधिक शक्तिशाली देश हैं। अमेरिका की अर्थव्यवस्था विश्व की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है। लेकिन आज के समय में चीन अमेरिका को आर्थिक और सैन्य रूप से पछाड़ रहा है। अमेरिका जहां इस समय सबसे ज्यादा कर्जदार देशों में है तो चीन उसे कर्ज देने वालों में प्रमुख देश है। अनुमान लगाए जा रहे हैं कि अगले पांच सालों में चीन की अर्थव्यवस्था अमेरिका को पछाड़ कर दुनिया की सबसे सशक्त अर्थव्यवस्था बन जाएगी। एक विश्व शक्ति के रूप में चीन के उभारने से अमेरिका जैसा महाशक्ति भी शंकित है, साथ ही अमेरिकी अर्थव्यवस्था पर चीन के आर्थिक विकास के प्रभाव के बारे में अमेरिकी सरकार चिंतित हैं। यही कारण है कि दोनों देशों के राष्ट्रपतियों ने अपनी मुलाकात निजी माहौल में ही की। वर्तमान में भूराजनैतिक स्थिति में विश्व की महाशक्ति बनने की होड़ में अमेरिका और चीन की दौड़ किसी से छुपी नहीं है। मेरा मानना है कि चीन -अमेरिका संबंध जैसा दीखता है वैसा नहीं है सिर्फ एक दिखावा है। दोनों देशों के बीच आपसी विश्वास के रिश्ते से संदेह और अविश्वास ज्यादा है।अमेरिका और चीन के बीच संबंध दोनों की भविष्य की योजनाओं से जुड़े पारस्परिक शक पर टिका है। राजनीतिक जानकार इस तरह के संबंध को कूटनीतिक अविश्वास का नाम देते हैं।

    हाल ही में चीन और अमेरिका दोनों देशों के बीच दक्षिण चीन सागर और साइबर सुरक्षा के मुद्दे ने टकराव पैदा किया था। चीनी विदेश मंत्री वांग ई ने कहा कि दक्षिण चीन सागर के द्वीप पुरातन समय से ही चीन की भूमि है। चीन को अपनी प्रादेशिक भूमि व प्रभुसत्ता और समुद्र से जुड़े वैध अधिकारों व हितों की रक्षा करने का अधिकार है। साथ ही चीन दक्षिण चीन सागर की शांति व स्थिरता की रक्षा पर कायम रहता है। अमेरिका को वस्तुगत व न्यायपूर्ण रूप से दक्षिण चीन सागर मामला देखना चाहिये। इसीलिए मुझे लगता है कि दक्षिण चीन सागर मुद्दा दोनों नेताओं के बीच बैठक में अहम चर्चा होगी।

    अमेरिका एक ऐसी अंतरराष्ट्रीय आर्थिक व्यवस्था चाहता है जिसमें एक ही नियम का पालन हो जहां व्यापार मुक्त और निष्पक्ष हो और जिसमें अमेरिका और चीन साइबर सुरक्षा और बौद्धिक सम्पदा जैसे मुद्दों के समाधान के लिए एक साथ कार्य करें।वहीं पेइचिंग यह कहता आया है कि अमेरिकी सरकार चीन की बढ़ रही ताकत का फायदा उठा कर अपनी आर्थिक और राजनीतिक स्थिति को मजबूत करना चाहती है। राष्ट्रपति ओबामा की एशियाई देशों के लिए पुनर्संतुलन की विदेश नीति चीन के इस शक को आधार भी देती है। दूसरी ओर अमेरिका को भी इस बात का अंदाजा है कि एशिया में चीन के बढ़ रहे प्रभाव से अमेरिकी प्रभाव को खतरा हो सकता है। इस बारे में मेरी राय है कि आत्मरक्षा अधिकार हर किसी देशों के पास होता है। चीन सदैव वार्ता से मतभेदों का प्रबंध व नियंत्रण करने और विचार-विमर्श द्वारा शांतिपूर्ण रूप से संघर्ष का समाधान करने पर कायम रहता है।अमेरिका और चीन के बीच आपसी मतभेदों को दूर करने के लिए जरूरी है कि दोनों एक दूसरे के लक्ष्यों को बेहतर ढंग से समझें। पिछले साल हुई मुलाकात में दोनों राष्ट्रपतियों एक दूसरे के बीच पारस्परिक विश्वास बनाने में सफल भी रहे। उस समय ओबामा ने कहा कि सामरिक चिंताओं के अलावा दोनों देश आर्थिक चुनौतियों को साझा करते हैं। अमेरिका मानवाधिकार के महत्व पर जोर देना जारी रखेगा। वहीं चीन के राष्ट्रपति ने दोनों देशों के बीच संबंधों का भविष्य की रूपरेखा तय करने और प्रशांत महासागर के पार अपना सहयोग जारी रखने पर जोर दिया।

    मुझे लगता है कि चीनी राष्ट्रपति का अमेरिका दौरा विभिन्न वैश्विक, क्षेत्रीय और परस्पर हितों के द्विपक्षीय मुद्दों पर अमेरिका-चीन सहयोग को व्यापक करने का अवसर प्रदान करेगा साथ ही राष्ट्रपति ओबामा और चीनी राष्ट्रपति असहमति के क्षेत्रों पर रचनात्मक तरीके से विचार भी कर सकेंगे। चीन-अमेरिका के रिश्ते का वास्तविक महत्व उन दोनों के बीच समस्याओं को ठीक से समाधान करने पर निहित है।आज मानव जाति कई आम चुनौतियों का सामना कर रहे हैं जैसा-जलवायु परिवर्तन, परमाणु हथियारों के प्रसार, आतंकवाद, महामारी, प्राकृतिक आपदाओं, नशीले पदार्थों की तस्करी आदि। कोई भी देश,जितना भी ताकतवर हो, इन चुनौतियों को अकेले पूरा करने में सक्षम नहीं है। लेकिन जब दुनिया के दो सर्वाधिक आर्थिक शक्तिशाली देश-चीन और अमेरिका एक साथ जुड़कर सहयोग की रास्ता पर चलते है तो ज़रूर फर्क पड़ेगा। यह काफी स्वाभाविक है कि अमेरिका और चीन के बीच कई स्तरों पर प्रतिस्पर्धा और सहयोग अपरिहार्य है।लेकिन पूरी दुनिया यह चाहता है कि शी चिनफिंग और बराक ओबामा के बीच होने वाली बैठक चीन, अमेरिका के अलावा पूरी दुनिया के सभी देशों के लिए भलाई होगी।

    हैया:रविशंकर बसु जी, हमें रोजाना पत्र भेजने के लिए आपका बहुत बहुत धन्यवाद। चलिए, अगला पत्र मेरे हाथ आया है उड़ीसा से हमारे मॉनिटर सुरेश अग्रवाल जी का। उन्होंने लिखा है...... केसिंगा दिनांक 30 मार्च। रोज़ाना की तरह मैंने आज भी सीआरआई हिन्दी का ताज़ा प्रसारण अपने तमाम परिजनों के साथ मिलकर अपने निवास पर शाम ठीक साढ़े छह बजे शॉर्टवेव 9450 किलोहर्ट्ज़ की आवृत्ति पर सुना और अब मैं उस पर हम सभी की त्वरित टिप्पणी के साथ आपके समक्ष पेश होने कम्प्यूटर के समक्ष बैठा हूँ। संचार और बिजली ने साथ दिया तो ज़ल्द ही हमारी बात आप तक पहुँच जायेगी। बहरहाल, ताज़ा अन्तर्राष्ट्रीय समाचारों का ज़ायज़ा लेने के बाद हमने साप्ताहिक "विश्व का आइना" भी ध्यानपूर्वक सुना। इस कार्यक्रम के बारे में सब से अच्छी बात यह लगी कि साप्ताहिक होते हुये भी इसकी अवधि इतनी लम्बी नहीं है कि सुनने वाले को ऊब महसूस हो। अतः आपसे गुज़ारिश है कि यदि मुनासिब समझें, तो अन्य साप्ताहिकों की अवधि भी इसी के अनुरूप रखें। बहरहाल, आज के कार्यक्रम की शुरुआत में यह जान कर अच्छा लगा कि एक अमेरिकी न्यायालय द्वारा कैप्टन सिंह की याचिका पर सिखों की धार्मिक मान्यताओं के पक्ष में फ़ैसला दिया गया है। चीन द्वारा पृथ्वी से कोई दस करोड़ किलोमीटर की दूरी पर स्थित मंगलग्रह कर सन 2020 तक अपना मंगल सर्वेक्षण केन्द्र स्थापित करने की महती योजना के बारे में जान कर अतीव प्रसन्नता हुई। इससे भी अधिक ख़ुशी इस बात को लेकर हुई कि उक्त जानकारी देते समय आप भारत के चन्द्रयान कार्यक्रम की सफलता का ज़िक्र करना नहीं भूले। यह भी पता चला कि निकट भविष्य में भारत-अमेरिका संयुक्त रूप से मंगल पर अन्वेषण कर सकते हैं। मुम्बई के लोकल रेलवे स्टेशनों की दीवारों को सुन्दर कलाकृतियों से सजाने NAT द्वारा किये जा रहे प्रयासों की जितनी प्रशंसा की जाये, कम है। ब्रिटिश शोधकर्त्ताओं द्वारा कैंसर कोशिकाओं को शरीर के भीतर ही नष्ट किये जाने सम्बन्धी विधि विकसित किया जाना, चिकित्सा जगत की एक बड़ी उपलब्धि कही जायेगी। धन्यवाद एक संतुलित और सूचनाप्रद प्रस्तुति के लिये।

    श्रोताओं के अपने साप्ताहिक मंच "आपका पत्र मिला" के अन्तर्गत विभिन्न कार्यक्रमों पर श्रोताओं के विचार और प्रतिक्रियाओं को समाहित किये जाने के बाद श्रोता भाई अमीर अहमद से की गई बातचीत का अगला हिस्सा सुनवाया गया, जिसमें उन्होंने भारत की केन्द्र और दिल्ली उभय सरकारों के कार्यों की उच्च प्रशंसा की। यहाँ ग़ौरतलब बात यह है कि केन्द्र और दिल्ली सरकार के बीच छत्तीस का आंकड़ा है। धन्यवाद एक अच्छी प्रस्तुति के लिये।

    उन्होंने आगे लिखा है कि केसिंगा दिनांक 31 मार्च । सीआरआई हिन्दी का ताज़ा प्रसारण नियमानुसार प्रतिदिन की तरह आज भी शाम ठीक साढ़े छह बजे शॉर्टवेव 9450 किलोहर्ट्ज़ की आवृत्ति पर हम सभी परिजनों ने एकसाथ मिलकर उत्साहपूर्वक सुना और कार्यक्रम का पूरा लुत्फ़ उठाने के बाद अब मैं उस पर अपनी त्वरित टिप्पणी के साथ आपके समक्ष उपस्थित हूँ। अन्तर्राष्ट्रीय समाचारों का ज़ायज़ा लेने के बाद साप्ताहिक "बाल-महिला स्पेशल" के तहत आज पेश चीनी राष्ट्राध्यक्ष शी चिनफिंग और चीन की मशहूर गायिका पेंग लियुआन की प्रेमकहानी दिलचस्प ही नहीं काफी प्रेरक भी लगी। परिवार और कॅरियर दोनों के बीच सामंजस्य कायम कर अपने सफल दाम्पत्य-जीवन का परिचय देने वाले शी चिनफिंग दम्पत्ति की आपसी समझबूझ किसी के लिये भी एक आदर्श मिसाल हो सकती है। मैं चीन की इस प्रथम नागरिक जोड़ी के उज्जवल भविष्य की कामना करता हूँ। कार्यक्रम में पेंग लियुआन की आवाज़ में मधुर लोरी सुन कर महसूस हुआ कि वास्तव में उनकी आवाज़ में कितना लोच है।

    कार्यक्रम "टी टाइम" के तहत यह जन कर ख़ुशी हुई कि अब क्रिकेट का लाइव स्कोर जानने किसी एप्प को डाउनलोड करने की ज़रुरत नहीं, गूगल सर्च पर सहज ही मैच का ताज़ातरीन हाल पता लगाया जा सकता है। वहीं कश्मीर घाटी में बीएसएनएल द्वारा मुफ़्त वाई-फाई हॉटस्पाट सेवा मुहैया कराये जाने का समाचार भी उत्साहवर्द्धक लगा। मर्यादा पुरुषोत्तम राम की गाथा अब विश्व में और भी बेहतरीन ढ़ंग से पेश की जायेगी, इससे बढ़ कर अच्छा समाचार भला और क्या हो सकता है ! यह भी जाना कि भारत अपनी नई आयात नीति के तहत साउदी अरब सहित मध्यपूर्व के तमाम तेलधनी देशों से आयातित तेल के बदले उन्हें खाद्य-सामग्री का निर्यात करेगा। इसके साथ ही यह जानकारी भी प्राप्त हुई कि भारत विश्व का तीसरा सबसे बड़ा तेल आयातक देश है और वह अपनी कुल आवश्यकता का अस्सी प्रतिशत तेल आयात करता है। इंग्लैण्ड में होने वाली घुड़दौड़ प्रतियोगिता में घुड़सवार द्वारा अपने अलावा घोड़े के लिये भी सूट सिलवाया जाना काफी दिलचस्प लगा। खेल की ख़बरों में पूरे 36 साल बाद भारतीय महिला हॉकी टीम को रियो ओलम्पिक्स में हिस्सा लेने का मौक़ा मिलना, सभी भारतीयों के लिये गौरव की बात है। हमें उम्मीद है कि यह टीम वहां अपनी सफलता के झण्डे गाड़ेगी। हेल्थटिप्स के तहत भोजन में अंकुरित दालों का महत्व समझाने का भी शुक्रिया। वहीं भारत में विक्स एक्शन-500 सहित कुल 344 हानिकारक दवाओं को प्रतिबंधित किये जाने और हाल ही में जॉन्सन एण्ड जॉन्सन पर पांच सौ करोड़ डॉलर का ज़ुर्माना लगाये जाने सम्बन्धी समाचार भी काफी सूचनाप्रद लगा। आज के हंसगुल्लों में मास्टरजी को घसीट कर ले जाने वाला जोक गुदगुदा गया। धन्यवाद एक अच्छी प्रस्तुति के लिये, परन्तु मुझे खेद है कि पिछले कुछ सप्ताहों से आपको कार्यक्रम में पूछे जाने वाले प्रश्नों पर मेरे उत्तर तो मिलते हैं, पर कार्यक्रम पर मेरी टिप्पणी प्राप्त नहीं होती !

    पंकज:सुरेश अग्रवाल जी, हमें पत्र भेजने के लिए आपका बहुत बहुत धन्यवाद। चलिए, अगला पत्र मेरे हाथ आया है बिहार से राम कुमार नीरज जी का। उन्होंने लिखा है......

    दुनिया के बदलती घटनाओं के मध्य पाकिस्तान के तजा बम विस्फोट ने एक बार फिर से पूरी दुनिया को सोचने पर मजबूर कर दिया है.सी आर आई हिंदी सेवा के साइट पर इस खबर से सम्बंधित विस्तृत रिपोर्ट पढ़ा और यह खत लिखने से अपने को रोक नहीं पाया.वास्तव में इस घटना के तुरंत बाद चीनी राष्ट्रपति का व्यान गौर करने लायक है जिसमे उन्होंने साफ़ साफ़ कहा है कि "मैं चीन सरकार, चीनी लोगों और अपनी ओर से इस हादसे में मारे गए लोगों और उनके परिवार वालों के प्रति सहानुभूति व्यक्त करता हूं।" उन्होंने कहा कि चीन किसी भी रूप में आतंकवादी हमलों की कड़े रूप में निंदा करता है।

    शी ने कहा, "आतकंवाद से निपटने, क्षेत्र में स्थिरता लाने और लोगों की सुरक्षा के लिए पाकिस्तान को चीन का पूरा सहयोग प्राप्त है।"

    गौरतलब है कि पाकिस्तान के लाहौर के सार्वजनिक पार्क में रविवार शाम को आत्मघाती बम विस्फोट में 72 लोगों की मौत हो गई थी। मृतकों में सर्वाधिक संख्या महिलाओं और बच्चों की है। इस हमले में 300 से अधिक लोग घायल हो गए हैं।

    तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान या इससे अलग हुए जमातुल अहरार और जंदुल्लाह ये सारे संगठन वैसे तो अलग-अलग है और योजनाओं को एक दूसरे के साथ शेयर भी करते है। इन संगठनों में वसूली को लेकर टकराव जरूर है, पर वैचारिक मेल है। इन सारे संगठनों के जेहादियों को मूलरूप से अकोरा खटक, कराची और बहावलपुर के देवबंदी मदरसों में ही प्रशिक्षण मिला है। इन्हीं मदरसों में आत्मघाती दस्ते भी तैयार किए जा रहे है। वैसे तो जेहादियों की शक्ति पाकिस्तान में जनरल जियाउलहक के समय में मजबूत होने लगी थी। जिया के बाद के भी शासकों ने एक योजना के तहत जेहादियों को प्रशिक्षण दिया, क्योंकि ये जेहादी पाकिस्तानी सेना की भारत और अफगानिस्तानी विरोधी मानसिकता की मदद के लिए थे। लेकिन 2007 पाकिस्तान के लिए टर्निंग प्वाइंट था। इसी साल तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान का औपचारिक गठन हुआ और लाल मस्जिद पर सैन्य कार्रवाई की गई। क्योंकि जेहादियों ने इस साल अपना लक्ष्य बदल लिया था और पाकिस्तान में पहले शरिया लागू करने का फैसला लिया, इसलिए पाकिस्तान में आत्मघाती हमलों की बाढ़ 2007 में आ गई। जुलाई 2007 में इस्लामाबाद स्थित लाल मस्जिद में अलकायदा और तालिबान से संबंधित बैठे जेहादियों पर सैन्य कार्रवाई हुई। इस मस्जिद के मौलाना अब्दुल राशिद और अब्दुल अजीज तालिबान और अलकायदा के लिए जेहादी तैयार कर रहे थे। सैन्य कार्रवाई से तालिबान और अलकायदा बुरी तरह से बौखला गए। वहीं 2007 में तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान का औपचारिक गठन बैतुल्लाह महसूद ने पाकिस्तान सेना और सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया था।

    इसके बाद तो पाकिस्तान में आत्मघाती धमाकों की बाढ़ आ गई। अकेले 2007 में पाकिस्तान में 54 आत्मघाती बम धमाके हुए जिसमें कुल 765 लोग मारे गए थे। पाकिस्तान का हर संपन्न आदमी जेहादियों के डर से अपने घर को किले में तब्दील कर दिया। 2008 में चुनी हुई लोकतांत्रिक सरकार पाकिस्तान में बन गई। जेहादियों ने हमले और तेज कर दिए। 2008 में 59 आत्मघाती धमाके में 893 लोग मारे गए। 2009 में 76 आत्मघाती धमाकों में 949 लोग मारे गए। 2010 में 49 आत्मघाती धमाके में 1167 लोग मारे गए। ये धमाके आजतक बंद नहीं हुए है। 2002 से अबतक पाकिसतान में कुल 404 आत्मघाती धमाके हो चुके है। इसमें 6058 लोग मारे जा चुके है। पाकिस्तानी शासक बेशक दंभ भरे, उन्हें पता है कि उनका देश अनौपचारिक रुप से टूटने के कागार है। मुल्क मे कई जगहों पर जेहादियों का कोड और शासन है। यहां कोई सुरक्षित नहीं है। 2003 से 2014 तक आतंकी घटनाओं में कुल 54,855 लोग मारे जा चुके है। इसमें 5966 सुरक्षा कर्मचारी,19,633 नागरिक और 29,256 आतंकी शामिल है।

    देश को अलग-अलग हिस्सों को चार बड़े आतंकी संगठनों और इनके सबगुटों ने आपस में बांट लिया है, जिसमें तहरीक-तालिबान पाकिस्तान, अलकायदा, लश्कर-ए-झंगवी और इस्लामिक मूवमेंट अफ उजबेकिस्तान शामिल है। नया खतरा भी सामने है। बलूचिस्तान सरकार की रिपोर्ट ने पाकिस्तान की चिंता बढ़ाई है। बलूचिस्तान सरकार की रिपोर्ट के अनुसार इस्लामिक स्टेट का प्रभाव बलूचिस्तान और खैबर पख्तूनखवा में बढ़ा है। हालात नाजुक है। क्योंकि दस हजार के करीब लड़ाके इस्लामिक स्टेट के साथ जुड़ चुके है। ये जल्द ही खैबर पख्तूनखवा में मिलिट्री स्टैबलिशमेंट पर हमला करेंगे। इन्होंने दो सुन्नी आतंकी संगठन अहल-ए-सुन्नत-वलजमात और लश्कर-ए-झंगवी से समर्थन मांगा है। तालिबान में गुटबाजी बढ़ी है और ये गुट अलकायदा और इस्लामिक स्टेट के बीच बंट रहे है। इससे पाकिस्तान में एक नई जंग शुरू होने की उम्मीद है। आतंकी भी आपस में भिघ्ड़ेंगे और सरकारी प्रतिष्ठानों पर भी हमला बढ़ेगा। क्योंकि आतंकी संगठन अपने व र्चस्व की लड़ाई को दिखाने के लिए सरकारी संस्थानों पर हमला करेंगे। वाघा सीमा पर हुए आत्मघाती हमलों की जिम्मेदारी लेने में लगी होड़ ने यह दिखा दिया कि आतंकी गुटों में आपसी तनाव व्याप्त है। इसका सीधा संबंध आतंकियों की अपनी अर्थव्यवस्था से है, जो अपने प्रभाव बढाने के लिए धमाकों की जिम्मेवारी ले रहे है। इस खुबसूरत रिपोर्ट का शुक्रिया आपको।

    हैया:राम कुमार नीरज जी, पत्र भेजने के लिये धन्यवाद। चलिए, अगला पत्र मेरे हाथ आया है झारखंड से एस पी शर्मा जी का। उन्होंने लिखा है......

    सी आर आई के सभी साथियों और श्रोताओं को नमस्कार। कार्यक्रम और उनके नामों में परिवर्तन के बाद मैं यह पहला पत्र लिख रहा हुँ। सोमबार को चिन का भ्रमण कार्यक्रम सुना। इसमें एनपिसी और सीपिपिसीसी 2016 में भीतरी मंगोलिया से आये अल्पसंख्यक जाती के प्रतिनिधियों से की गई वार्ता सुनाई गई। ये जन प्रतिनिधि अपने जाती के परंपरा बचने के लिए चिंतित दिखे। आज के बच्चे अपने परंपरा को भूलते जा रहे हैI जब एक जन प्रतिनिधि ने अपने क्षेत्र के एक गीतकार अपने संस्कृति की एक गाना गाने को कहा, तो वे भी अपने गाने को ठीक से नहीं गया। इस क्षेत्र के गरडिया को भेड़ और बकरी के बच्चे में अंतर नहीं पता चलता है। संस्कृति का वजूद खतरे में है। संस्कृति को भूलने से बचाना। इन प्रतिनिधियों की प्राथमिकता है। इस प्रोग्राम से पता चला की भर्ती मंगोलिया में हाई स्पीड रेल का निर्माण जोरों पर है। अगले साल तक इसके शुरू होने की उम्मीद है कि यहां एक अत्याधुनिक हवाई अड्डा का भी निर्माण हो रहा है। इसके बनने के बाद इस क्षेत्र का विकाश तेजी से होगा।

    आज के जीवन के रंग प्रोग्राम में विनीता जी ने नमक से की जाने वाली थेरपी के विषय में बताया, वैसे तो यह थेरपी काफी पुराना है। पोलैंड के नमक के खदानों से शुरू यह थेरपी इलाज का एक सुगम माध्यम बन गया है। नमक से स्वशन और चार्म रोग की चिकित्सा सुलभ ढंग से होता है। कंधे के रोग आज आम है कि इसमें क्या सावधानी वर्ते और इसका इलाज कैसे करें। इसके विषय में भी विनीता जी से विस्तार से बताया। अच्छे उपयोगी प्रस्तुति के लिए धन्यवाद।

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    हैया:अब सुनिए हमारे श्रोता दोस्त श्याम मेहर जी के साथ हुई बातचीत।

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    पंकज:दोस्तो, इसी के साथ आपका पत्र मिला प्रोग्राम यही संपन्न होता है। अगर आपके पास कोई सुझाव या टिप्पणी हो तो हमें जरूर भेजें, हमें आपके खतों का इंतजार रहेगा। इसी उम्मीद के साथ कि अगले हफ्ते इसी दिन इसी वक्त आपसे फिर मुलाकात होगी। तब तक के लिए पंकज श्रीवास्तव और हैया को आज्ञा दीजिए, नमस्कार।

    हैया:गुडबाय।

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