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    घरेलू हिंसा रोकने के लिए चीन में आया कानून
    2016-05-12 10:56:22 cri

    नए चीन की स्थापना के बाद पिछले कई दशकों में चीनी महिलाओं की स्थिति में व्यापक सुधार आया है। महिलाएं हर क्षेत्र में पुरुषों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर काम कर रही हैं। बावजूद इसके महिलाएं घरेलू हिंसा की शिकार होती आयी हैं, इसकी ओर अब तक ज्यादा ध्यान नहीं दिया गया है। ऑल चायना वुमैन्स फेडरेशन द्वारा 2013 में कराए गए सर्वे से महिला उत्पीड़न के मामलों की तस्दीक होती है। जिसके मुताबिक प्रत्येक चार में से एक महिला यानी पच्चीस प्रतिशत महिलाओं ने अपने जीवन में कभी न कभी घरेलू हिंसा का सामना किया है। हालांकि महिलाओं के साथ-साथ बुजुर्ग और बच्चे भी घरेलू हिंसा का शिकार होते हैं। चीन में एक बच्चे की नीति लागू होने और आर्थिक मजबूती ने छोटे परिवारों का चलन बढ़ा दिया है। काम के बोझ और तनाव आदि के चलते शादी होने के बाद बच्चे अपने मां-बाप और बूढ़े-बुजुर्गों का उतना ख्याल नहीं रख पाते हैं। यहां तक कि उनके साथ हिंसा की घटनाएं भी सामने आती हैं। जबकि परिवार छोटा होने की वजह से पति द्वारा पत्नी और बच्चों के साथ किए जाने वाले दुर्व्यवहार की बातें अन्य सदस्यों को बहुत कम पता चलती हैं।

    लेकिन चीन सरकार की ओर से हाल में घरेलू हिंसा पर लगाम लगाने के लिए एक पहल की गयी है। घरेलू हिंसा से लोगों को बचाने और उनके अधिकारों की रक्षा के लिए चीन में पहली बार घरेलू हिंसा कानून को स्वीकार कर लिया गया है। घरेलू हिंसा रोधी यह कानून दिसंबर 2015 में सरकार की संबंधित समिति द्वारा स्वीकार किया गया। जो कि एक मार्च 2016 से प्रभावी हो गया। इस कानून के लागू हो जाने के बाद महिलाओं और बुजुर्गों को अपनी रक्षा और खुद के खिलाफ हो रही हिंसा से बचने के लिए एक हथियार मिल जाएगा। साथ ही मासूम बच्चों के साथ होने वाली घटनाएं भी इस कानून के दायरे में होंगी। इस कानून में हर तरह की घरेलू हिंसा को रोकने पर जोर दिया गया है। परिवार के किसी सदस्य द्वारा शारीरिक या मानसिक दोनों की तरह की प्रताड़ना और गाली-गलौच को घरेलू हिंसा कानून में शामिल किया गया है।

    यहां बता दें कि यह कानून राष्ट्रीय जन कांग्रेस की स्थायी समिति के सात दिन तक चले सत्र के बाद स्वीकार किया गया है। नए कानून के अनुसार, जो लोग साथ-साथ एक घर में रहते हैं और एक दूसरे के रिश्तेदार हैं, खून के रिश्ते वाले, लड़की या लड़के के ससुराल पक्ष और किसी को गोद लेने वाले को नए कानून के अंतर्गत परिवार माना गया है।

    महिला अध्ययन संस्थान से जुड़ी शोधकर्ता कहती हैं कि नया कानून घरेलू हिंसा रोकने की दिशा में एक कदम तो है, लेकिन बहुत धीमा कदम है। क्योंकि इसमें अब भी यौन उत्पीड़न को शामिल नहीं किया गया है। हालांकि जानकार यह भी कहते हैं कि कानून अच्छा होने के बावजूद इसे हकीकत में लागू कर पाना मुश्किल होगा। क्योंकि इसका लाभ हर पीड़ित को मिले, इस दिशा में भविष्य में बहुत कुछ करने की जरूरत है। कानूनी विभागों के अलावा सामाजिक संगठनों को भी इसके लिए साथ लाने की आवश्यकता है।

    गौरतलब है कि चीन में महिलाओं की आबादी 66 करोड़ से अधिक है। लेकिन घरेलू हिंसा के विरोध में बहुत कम महिलाएं सामने आती हैं। ऑल चायना वुमैन्स फेडरेशन के अनुसार उसे हर साल लगभग पचास हज़ार शिकायतें घरेलू हिंसा से जुड़ी हुई मिलती हैं। महिला मुद्दों से जुड़े विशेषज्ञ कहते हैं कि यह संख्या और अधिक हो सकती है क्योंकि कई महिलाएं शिकायत करना उचित नहीं समझतीं। खासकर ग्रामीण इलाकों में स्थिति गंभीर हो सकती है, जहां पर बुजुर्ग और महिलाएं कम शिक्षित होती हैं। इसके साथ ही उन्हें कानून और अपने अधिकारों के बारे में भी कम जानकारी होती है। सबसे बड़ी बाधा यह है कि घरेलू हिंसा से बचाने के लिए कोई ऐसा कानून नहीं था, जिसके जरिए उन्हें न्याय मिल सके।

    ध्यान रहे कि घरेलू हिंसा रोधी कानून, विशेषकर महिलाओं के साथ होने वाली हिंसा के बारे में पिछले एक दशक से अधिक समय से सख्त कानून की जरूरत महसूस की जा रही थी। हालांकि 2001 के वैवाहिक कानून में महिलाओं के साथ होने वाली घरेलू हिंसा को शामिल किया गया था। लेकिन कानूनी ढिलाई के चलते इस बाबत बहुत कम कार्रवाई की जाती थी। इसके साथ ही अब तक पीड़ितों द्वारा पुलिस और दूसरे विभागों में शिकायत दर्ज होने के बाद भी आरोपी को दंडित करना मुश्किल था। जब तक कि पीड़ित को शारीरिक तौर पर ज्यादा चोट या नुकसान न पहुंचा हो। पुलिस मारपीट करने वाले व्यक्तियों को ऐसा न करने के लिए कहती थी, उनके खिलाफ कार्रवाई नहीं होती थी। उम्मीद की जा रही है कि इस कानून से देश में घरेलू हिंसा से परेशान लोगों को राहत मिल पाएगी।

    लेकिन वर्तमान कानून का उल्लेख करें तो इसमें एक विशेष क्लॉज रखा गया है, जिसके तहत घरेलू हिंसा से पीड़ित व्यक्ति व्यक्तिगत संरक्षण की मांग कर सकता है। यह महिलाओं के हित में कारगर कदम साबित हो सकता है, क्योंकि जैसे ही किसी महिला के साथ घर पर दुर्व्यवहार या हिंसा हुई, तो वह सरकार या संबंधित एजेंसी से अपने संरक्षण के लिए मदद ले सकेगी। इसके साथ आरोपी को घर से बाहर भी निकाला जा सकता है, अदालत को इस संबंध में 72 घंटे के अंदर मामले की सुनवाई करनी होगी। हालांकि गंभीर मामलों में 24 घंटे में भी अदालत को पीड़ित को न्याय देना होगा।

    वहीं कानून यह भी कहता है कि अगर कोई सरकारी कर्मचारी घरेलू हिंसा में शामिल होता है या पीड़ित को परेशान करता है तो उसे भी दंडित किया जाएगा। इसके साथ ही पुलिस के विशेष अधिकारी घरेलू हिंसा से जुड़े मामलों पर नजर रखेंगे। क्योंकि पहले अक्सर यह कहने को मिल जाता था कि घरेलू हिंसा परिवार का मामला है। राष्ट्रीय जन कांग्रेस की प्रवक्ता फू इंग कहती हैं कि घरेलू हिंसा समाज का एक छिपा हुआ दर्द है। सभी आधुनिक और जनहित वाली सरकारों को इसका समाधान करने की कोशिश करनी चाहिए।

    सामाजिक मुद्दों पर नजर रखने वाले मानते हैं कि सिर्फ कानून बन जाने से घरेलू हिंसा पर रोक नहीं लग सकती है। इसके लिए सरकार और सामाजिक संगठनों को विशेष पहल करनी होगी। इस बाबत स्कूलों के पाठ्यक्रम में भी बदलाव करना होगा, उसमें बच्चों को इस बारे में नैतिक शिक्षा भी देने की आवश्यकता है, ताकि वे अपने परिवार के बड़े सदस्यों और महिलाओं और दूसरे बच्चों का आदर करना सीखें। बचपन की सीख बड़े होने के बाद उनके काम आ सकती है।

    अब देखना होगा कि चीन में घरेलू हिंसा रोकने के लिए लागू होने वाला पहला कानून किस हद तक अपने मिशन में कामयाब हो पाता है।

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