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    मोबाइल का बुरा प्रभाव
    2016-05-05 16:14:18 cri

    लंदन से खासतौर पर पुरुषों के लिए ताजा अध्ययन बहुत खौफनाक है. यदि आप परिवार बढ़ाने का प्रयास कर रहे हैं और एक साल में कामयाबी नहीं मिली है तो यह निश्चितरूप से मोबाइल का कुप्रभाव है.

    भारत में स्मार्टफोन पर हर दिन 169 मिनट भारत में औसतन 169 मिनट हर दिन स्मार्टफोन पर बिताते हैं. यूजर्स इसमें से 02 घंटे सोशल मीडिया और चैटएप्स पर खर्च होते हैं औसतन 6.7 जीबी डेटा हर माह खर्च होता है.

    अमेरिका में एक दिन में सोशलमीडिया पर बिताया जाना वाला औसत वक्त है 4.7 घंटे. वहां हर स्मार्टफोन यूजर औसतन 17 बार सोशलमीडिया अकाउंट जांचता है.

    वैज्ञानिकों ने चेताया है कि दिनभर में एक घंटा भी मोबाइल पर बात करने से पुरुषों की यौन क्षमता घटती है. पेंट की जेब में मोबाइल रखना भी इतना ही घातक है. मोबाइल चार्ज करते समय बात करना तो कई गुना नुकसानदायक है. इसका सीधा असर पुरुषों के स्पर्म पर पड़ता है.

    सलाह दी गई है कि रात को सोते समय भी मोबाइल दूर रखें. 106 युवाओं पर अध्ययन करने के बाद इजराइल के वैज्ञानिकों की यह रिपोर्ट प्रीप्रॉडक्टिव बायोमेडिसिन मैग्जीन में प्रकाशित हुई है.

    रिपोर्ट के मुताबिक, पश्चिम देशों में मोबाइल के कारण पुरुषों के स्पर्म की गुणवत्ता तेजी से घट रही है. 40 फीसदी मामलों में इसी कारण से पीड़ित पिता नहीं बना रहा है.

    ब्रिटिश विशेषज्ञों का मानना है कि मोबाइल से निकलने वाली हिट और इलेक्ट्रोमैग्नेटिक तरंगें स्पर्म को 'कूक' करके खत्म कर देती हैं. अध्ययनकर्ताओं ने सलाह दी है कि मोबाइल जेब में नहीं, बल्कि अंगों से 20 इंच दूर रखा जाना चाहिए.

    हैफा (इजराइल) की टेक्निओन यूनिवर्सिटी की प्रोफेसर मार्था डर्नफील्ड का कहना है कि स्पर्म के स्तर तेजी से गिर रहा है. आने वाले वक्त में गर्भधारण बहुत मुश्किल होगा.

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