सीआरआई के महानिदेशक वांग कंगन्यान ने कहा कि चीन और भारत का पुराना इतिहास है और दोनों की अपनी-अपनी रंगारंग सभ्याताएं हैं। दोनों देशों के बीच आवाजाही का इतिहास भी बहुत पुराना है। चाइना रेडियो इन्टरनेशनल के हिन्दी और तमिल प्रसारण को अपने शुरू होने से अब तक के 50 से अधिक वर्षों में भारतीय विभिन्न जगतों के लोगों के ध्यान, समर्थन और सहायता मिली है। इस वर्ष भारत का चीनी पर्यटन वर्ष है। दोनों देशों के बीच गैर-सरकारी सांस्कृतिक आदान-प्रदान को आगे बढ़ाने की संभावना है। वांग कंगन्यान ने कहा:"हमे आशा है कि भरत में'चीनी पर्यटन वर्ष'के आयोजन, चीन और भारत के बीच और घनिष्ठ साझेदार संबंध की प्रक्रिया में अधिक से अधिक भारतीय मित्र'नमस्ते चाइना'के माध्यम से चीनी भाषा सीखते हुए चीन की संस्कृति समझेंगे और चीन के प्रति उनकी जानकारी गहरी होगी।"
भारत स्थित चीनी दूतावास ने भारत में चाइना रेडियो इन्टरनेशनल के "नमस्ते चाइना"डीवीडी के हिन्दी और तमिल भाषा संस्करण की रिलीज़ की भूरी-भूरी प्रशंसा की। भारत स्थित चीनी दूतावास के मिनिस्टर ल्यू चिनसोंग ने कहा कि देशों के बीच आवाजाही का आधार जनता के बीच सामंजस्य है। जबकि जनता के बीच सामंजस्य आपस में संपर्क और पारस्परिक समझ पर आधारित है। इसी क्षेत्र में रेडियो प्रसारण अपरिहार्य भूमिका निभाता है। उनका कहना है:"चीन और भारत दोनों प्राचीन सभ्यता वाले देश ही नहीं, नज़दीक पड़ोसी भी हैं। लेकिन दोनों देशों के बीच फिर भी कुछ गलतफ़हमियां मौजूद हैं। इस तरह दोनों पक्षों को पश्चिमी मीडिया की रिपोर्टों के माध्यम से एक दूसरे को नहीं समझना चाहिए। इसके विपरित अपनी-अपनी भाषा और मीडिया के माध्यम से आपसी संपर्क मज़बूत करना चाहिए। मेरा विचार है कि मानव की आवाज़, खास कर रेडियो में आवाज़ लोगों के गहरे दिल तक पहुंच सकती है। जिससे विभिन्न देशों और अलग सभ्यताओं के लोगों के मन में दूरी कम होगी।"
रिलीज़ कार्यक्रम में कुछ भारतीय मीडिया जगत के व्यक्तियों ने भी भाग लिया। आकाशवाणी की दिल्ली शाखा के उप निदेशक राजीव कुमार शुक्ला ने सीआरआई संवाददाता से कहा कि इस कार्यक्रम से चीन और भारत के बीच सांस्कृतिक आदान प्रादन को बड़ा प्रेरक संवर्द्धन मिलेगा।