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    आपका पत्र मिला 2016-01-27
    2016-02-01 16:29:28 cri

    अनिल:आपका पत्र मिला कार्यक्रम सुनने वाले सभी श्रोताओं को अनिल पांडे का नमस्कार।

    हैया:सभी श्रोताओं को हैया का भी प्यार भरा नमस्कार।

    अनिलः दोस्तो, पहले की तरह आज के कार्यक्रम में हम श्रोताओं के ई-मेल और पत्र पढ़ेंगे। इसके बाद एक श्रोता के साथ हुई बातचीत के मुख्य अंश पेश किए जाएंगे।

    चलिए श्रोताओं के पत्र पढ़ने का सिलसिला शुरू करते हैं। पहला पत्र हमें आया है, पश्चिम पंगाल से हमारे मॉनिटर रविशंकर बसु का। उन्होंने लिखा है...... 11 जनवरी को रात साढ़े नौ से साढ़े दस बजे तक शार्ट वेव 7395 किलोहर्ट्ज (kHz) पर आपका रेडियो प्रोग्राम सुना। अनिल पांडे जी द्वारा पेश किये गए दुनिया भर के ताज़ा समाचार सुनने के बाद साप्ताहिक "चीन का भ्रमण" प्रोग्राम भी सुना

    "चीन का भ्रमण" कार्यक्रम में पूर्वी चीन के आन ह्वी प्रांत के सी ती और हुंग छुन नामक दो गांवों का मैडम रूपा जी के साथ दौरा करते हुये बहुत अच्छा लगा। कार्यक्रम से पता चला कि आन ह्वी प्रांत में स्थित ई श्येन काउंटी में सी ती और हुंग छुन नामक गांव में सुरक्षित प्राचीन वास्तुशैली वाले कोई तीन हजार छः सौ से अधिक मकान बहुत प्रसिद्ध हैं। सी ती गांव के पास एक नहर पूर्व से पश्चिम की ओर बहती है। सी ती गांव का इतिहास लगभग छह सौ वर्ष पुराना है। सी ती गांव में अब भी मिंग व छिंग राजवंशों में निर्मित दो सौ से अधिक मकान बड़े अच्छे ढंग से सुरक्षित हैं। सी ती गांव की अपनी अलग पहचान यह है कि पुरानी वास्तु शैली वाले मकानों की संख्या अधिक है और नक्काशीदार सजावट उच्च कोटि की ही नहीं, उसकी कला व स्तर भी बहुत बढ़िया है। इस गांव में हर जगह छायादार वृक्षों के बीच स्थित सफेद दीवारों व काले खपरैलों वाले मकान देखने लायक हैं। सी ती गांव में दो सौ से अधिक पुराने मकान 99 ऊंची दीवारों से घिरे हुए हैं। जिसमें सुसज्जित फर्नीचर,चित्र जैसी सजावट भी कई सौ वर्ष पहले के मिंग व छिंग राजवंश काल की हैं।

    ई श्येन काउंटी शहर से 11 किलोमीटर दूर स्थित हुंग छुन गांव का क्षेत्रफल 19 हैक्टेयर विशाल है। गांव चारों तरफ हरे- भरे पर्वत और छायादार वृक्षों से घिरा हुआ है। हुंगछुन गांव पहाड़ से सटा हुआ है और गांव के सामने नहरें बहती हैं। गांव के भीतर की नालियों का पानी एकदम साफ है। ये नालियां इस गांव की सबसे बड़ी विशेषता हैं। गांव के अधिकतर परिवार अपने घरों में इन्हीं नालियों का पानी इस्तेमाल करते हैं।रिपोर्ट से पता चला कि हुंग छुन गांव में मिंग व छिंग राजवंश कालों में निर्मित प्राचीन शैलियों वाले मकान सुरक्षित हैं। जिनमें 150 वर्ष से भी ज्यादा पुराना छंग ची थांग प्रांगण सबसे उल्लेखनीय है। लकड़ियों से निर्मित इस मकान का क्षेत्रफल तीन हजार वर्गमीटर से अधिक है। मकान के पत्थरों व लकड़ियों पर नक्काशीदार चित्र बहुत ध्यानाकर्षक हैं। सी ती और हुंग छुन गांवों की प्राचीन वास्तु शैली और मिंग व छिंग राजवंशों की ऐतिहासिक सांस्कृतिक धरोहर बड़ी संख्या में पर्यटकों को आकर्षित करता है।

    आज की "चीन का भ्रमण" प्रोग्राम के दूसरे भाग में हमें मध्य चीन के हू पेह प्रांत में शन नोंग चा आदिम जंगल के बारे में जानकारी मिली।रिपोर्ट सुनकर पता चला कि शन नोंग चा आदिम जंगल चीन के जंगली जानवरों व वनस्पति संसाधन की एक अहम निधि जाना जाता है। जंगल तीन हजार से अधिक वर्गकिमी. विशाल क्षेत्रों में चार हजार सात सौ से अधिक किस्मों वाले जानवर व वनस्पति का घर है , जिनमें राष्ट्रीय प्रमुखता प्राप्त संरक्षित जानवरों की 60 से अधिक किस्में हैं। शन नों चा जंगल की गत सदी के 70 वाले दशक के शुरु में बहुत कटाई की गयी थी , जिस से यहां की पारिस्थितिकी स्थिति खराब हुई और जंगली जानवरों के अस्तित्व के लिये बड़ा खतरा उत्पन्न हुआ। हम सभी लोगों को जंगली जानवरों के बारे में सोचना चाहिए। कटाई आज भी जो तमाम जंगलों में हो रही है उसे रोके जाने की ज़रूरत है। इस आदिम जंगल की परिस्थितिकी स्थिति पर चीन सरकार और संबंधित विशेषज्ञों का ध्यान आकर्षित हुआ है और मार्च 2000 में शन नों चा आदिम जंगल में प्राकृतिक जंगल परिरक्षित परियोजना शुरु होकर कटाई पूरी तरह प्रतिबंधित है। सन 2000 में प्राकृतिक जंगल की परिरक्षित परियोजना लागू होने के बाद यहां कि पारिस्थितिकी स्थिति में भारी परिवर्तन हुआ है। अब यहां के किसी भी पर्वत पर बंदरों , लाल पेट वाले जंगली मुर्गों और जंगली भेड़ बकरियों जैसे जंगली जानवर झुंट में झुंड दिखाई देते हैं , साथ ही यहां के पर्वत पहले से काफी हरे भरे हैं और पानी स्वच्छ है। सुना है कि अब जंगली जानवरों का जीवन सुरक्षित है और और हरियाली पूरे जोरों पर है।इस प्रोग्राम के माध्यम से शन नोंग चा जंगल का भ्रमण करने का मौका मिला है। मुझे अपने कानों से इस जगह की यात्रा करने का सौभाग्य भी प्राप्त हुआ है।

    हैया:आगे बसु जी लिखते हैं ......इसके बाद आज "मैत्री की आवाज़" प्रोग्राम में मैडम श्याओ थांग जी ने दिल्ली के प्रगति मैदान में आयोजित 24वें विश्व पुस्तक मेले को लेकर एक खास रिपोर्ट पेश की। 9 जनवरी को मानव संसाधन विकास मंत्री स्मृति ईरानी ने पुस्तक मेले का उद्घाटन किया। इस बार के पुस्तक मेले में चीन विशिष्ट अतिथि देश था। स्मृति ईरानी ने चीन की हिस्सेदारी के बारे में कहा,''चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग की भारत यात्रा के दौरान विश्व पुस्तक मेले में चीन की भूमिका को लेकर एक सहमतिपत्र पर हस्ताक्षर किया गया था और मुझे यह उल्लेख करते हुए प्रसन्नता हो रही है कि हमने जो कागज के जरिये किया था वह वास्तविकता बन गया है।''उन्होंने दोनों देशों में प्रकाशन व्यापार की वृद्धि का उल्लेख करते हुए कहा, ''आज हम दोनों देश भारत और चीन में प्रकाशन व्यापार की तेज वृद्धि की खुशी मना रहे हैं। भारत स्थित चीनी राजदूत ल यूछंग ने कहा कि भारत में चीनी भाषा की लोकप्रियता जरूर आगे बढ़ेगी। इससे दोनों देशों के बीच प्रकाशन उद्योगों के बीच सहयोग को लगातार प्रेरित शक्ति और महत्वपूर्ण विकसित मौका मुहैया करवाया जाएगा।"

    यह सच है कि प्राचीन सभ्यता वाले दोनों देशों के रूप में चीन और भारत के बीच मित्रवत आवाजाही और सांस्कृतिक आदान प्रदान का इतिहास 2 हज़ार से अधिक वर्ष पुराना है। आधुनिक जमाने में महान कवि रवीन्द्रनाथ टैगोर की रचनाएं कविताएं चीन में बहुत लोकप्रिय हैं। कुछ समय पूर्व उनकी रचना "स्ट्रे बर्ड्स" यानी उन्मुक्त पंछी" के नए अनुवादित संस्करण चीन में सामने आया। वहीं चीनी लेखक लू शुन को भी भारतीय पाठक भी पसंद करते हैं। लू शुन की कई रचनाएं हिन्दी, ऊर्दू, बंगाली और तमिल जैसी भाषाओं तक अनुवाद किए जाने के बाद भारत में लोकप्रिय रही हैं।

    रिपोर्ट ध्यान से सुनकर पता चला कि वर्ष 2010 में भारत 17वें पेइचिंग अंतरराष्ट्रीय पुस्तक मेले का प्रमुख अतिथि देश बना था। हाल के वर्षों में चीनी और भारतीय प्रकाशन जगतों के बीच मित्रवत आवाजाही और सहयोग कायम रखे हैं।

    हाल के वर्षों में चीन-भारत के संबंधों में मजबूत प्रगति हुई है। भारत के लोगों में चीन के बारे में काफी बदलाव आया है।मेरे विचार में 24वें विश्व पुस्तक मेले में चीन को प्रमुख अतिथि देश बनाना चीन और भारत के बीच मित्रवत आवाजाही को और बढ़ाने के लिए एक सही कदम है जिसके लिए दोनों देशों के नेताओं की सहमति को धन्यवाद दिया जाना चाहिए। मैं आशा करता हूं कि आने वाले सालों में चीन और भारत - दोनों देशों के बीच संबंधों में और बढ़ोतरी होगी।

    अनिल:रविशंकर बसु जी, हमें रोजाना पत्र भेजने के लिए आपका बहुत बहुत धन्यवाद। चलिए, अगला पत्र मेरे हाथ आया है उड़ीसा से सुरेश अग्रवाल जी का।

    दिनांक 22 जनवरी। सीआरआई हिन्दी का ताज़ा प्रसारण नियमानुसार प्रतिदिन की तरह आज भी शाम ठीक साढ़े छह बजे हम सभी परिजनों ने एकसाथ मिलकर शॉर्टवेव 9450 किलोहर्ट्ज़ की आवृत्ति पर उत्साहपूर्वक सुना और कार्यक्रम का पूरा लुत्फ़ उठाने के बाद अब मैं उस पर हम सभी की त्वरित टिप्पणी के साथ आपके समक्ष उपस्थित हूँ । आज के अन्तर्राष्ट्रीय समाचारों में हरियाणा प्रदेश के मुख्यमंत्री मनोहरलाल खट्टर की चीन यात्रा के दौरान अनेक एमओयू हताक्षरित होने तथा हरियाणा में एक औद्योगिक पार्क की स्थापना सम्बन्धी समाचार काफी उत्साहवर्धक लगा। यह भारत-चीन सुदृढ़ होते सम्बन्धों की एक मिसाल है। समाचार के बाद हमने अपना हरदिलअज़ीज़ साप्ताहिक "चीन का तिब्बत" भी पूरे मनोयोग से सुना और जिसके तहत तिब्बत स्वायत्त प्रदेश के लोका प्रिफैक्चर स्थित त्राजुक मठ पर पेश रिपोर्ट काफी महत्वपूर्ण लगी। मठाधीश मीमा त्सरिन द्वारा सन 1980 के दशक से लेकर आज तक की मठ की स्थिति पर अहम जानकारी प्रदान की गई। सन 2001 में सरकार द्वारा 2.8 करोड़ युआन के खर्च पर तीन बार बड़े पैमाने पर करायी गई मरम्मत के बाद मठ काफी शानदार बन गया है और वहां पहुँचने वाले पर्यटकों की संख्या में भी बढ़ोत्तरी हुई है। यहाँ वह चीनी कहावत पूरी तरह फिट बैठती है कि "गुणवत्ता ग्राहकों को सुनिश्चित करती है।"

    कार्यक्रम के अगले भाग में चीनी बौध्द धर्मसंघ द्वारा चीन में जीवित बुध्द की खोज़ सम्बन्धी ऑनलाइन प्रणाली शुरू किये जाने और शुरुआत में कुल 870 जीवित बुध्दों के आठ मुख़्य पहलुओं पर आधारित महत्वपूर्ण जानकारी तीन वेबसाइटों के ज़रिये उपलब्ध कराये जाने की योजना वास्तव में क़ाबिल-ए-तारीफ़ लगी। अच्छी बात यह है कि उक्त ऑनलाइन खोज़ प्रणाली से नक़ली जीवित बुध्दों का पर्दाफ़ाश करने में भी मदद मिलेगी। धन्यवाद एक अच्छी सूचनाप्रद प्रस्तुति हेतु।

    कार्यक्रम "दक्षिण एशिया फ़ोकस" के अन्तर्गत यद्यपि, सन 2015 वर्षान्त सिंहावलोकन और 2016 की भविष्यवाणियां शीर्षक कार्यक्रम हम पहले भी सीआरआई पर सुन चुके थे, फिर भी इसकी प्रासंगिकता बनी हुई है। पंकज श्रीवास्तव का आंकलन शत-प्रतिशत सही जान पड़ता है।

    दिनांक 23 जनवरी को पेश साप्ताहिक "आपकी फ़रमाइश आपकी पसन्द" हर बार की तरह आज भी लाज़वाब रहा। कार्यक्रम में फ़िल्म -आकाशदीप, रूप की रानी चोरों का राज़ा, एक गाँव की कहानी, भाभी, चाँद मेरे आजा तथा तीन देवियाँ के छह मधुर रसीले गानों के साथ दी गई रोचक ज्ञानवर्द्धक और आश्चर्यजनक जानकारी क़ाबिल-ए-तारीफ़ लगी। महाराष्ट्र में 23 वर्षीय चमत्कारित उदीयमान क्रिकेटर अक्षय, झारखण्ड में बोकारो के समीप दलाहीकुण्ड में ताली बजाने पर पानी निकलना तथा तुर्की की ऐसी नमकीन झील, जिसका पानी न तो बाहर नहीं निकलता और न ही उसमें कोई डूबता, जानकारी काफी अचरज भरी लगी। वहीँ छत्तीसगढ़ में बलौदाबाजार के माणिकपुर में एक तालाब के पानी का बारह साल बाद ज़मीन में समा जाने का समाचार भी हैरान करने वाला लगा। बहरहाल, विज्ञान इस प्रक्रिया को कास्ट कैप्चर के रूप में जानता है, यह जान कर अच्छा लगा। धन्यवाद् फिर एक अच्छी प्रस्तुति के लिये।

    हैया:सुरेश अग्रवाल जी, हमें पत्र भेजने के लिए आपका बहुत बहुत धन्यवाद। चलिए, अगला पत्र मेरे हाथ आया है यूपी से अनिल द्विवेदी जी का। उन्होंने लिखा है......

    ओरिएंटल मुख्य युद्धमोर्चा नामक बहुभाषी पुस्तकों का लांच कार्यक्रम 12 जनवरी को दिल्ली में आयोजित हुआ। इस पुस्तक के चीनी, अंग्रेजी, रूसी, फ्रेंच, स्पेनिश, अरबी व जापानी सात भाषाओं में संस्करण प्रकाशित किए गए हैं।

    ओरिएंटल मुख्य युद्धमोर्चा नामक पुस्तक में विश्व फासिस्ट विरोधी युद्ध के ओरिएंटल मुख्य युद्ध मोर्चे के रूप में चीनी जनता के जापानी आक्रमण विरोधी युद्ध का ऐतिहासिक स्थान व योगदान दर्शाया गया है। पुस्तक में करीब 700 मूल्यवान ऐतिहासिक फोटो और 50 वृद्ध सैनिकों एवं 20 विद्वानों के साथ साक्षात्कार के विषय इकट्ठे हुए हैं। यह जानकर अति प्रसन्नता हुई कि पुस्तक में भारतीय डॉक्टर कोटनिस की कहानी भी शामिल की गयी है। इसके हिंदी संस्करण की बड़ी बेसब्री से प्रतिक्षा रहेगी।

    "चीनी पर्यटन वर्ष" उद्घाटन समारोह 14 जनवरी को भारत की राजधानी दिल्ली में आयोजित हुआ। चीनी राष्ट्राध्यक्ष शी चिनफिंग ने इस अवसर पर बधाई संदेश भेजा।

    शी चिनफिंग ने "चीनी पर्यटन वर्ष" गतिविधि का स्वागत करते हुए भारतीय जनता को अभिवादन भेजा है और उम्मीद जताई कि चीन 2015 में मनाये गये भारतीय पर्यटन वर्ष की भांति ये भी सफल होगा। अब 2016 में भारत में चीनी पर्यटन वर्ष मनाये जाने से चीन में भारतिय पर्यटकों की संख्या निश्चित ही बढ़ेगी। इससे एक दुसरे को नजदीक से देखने का अवसर भी प्राप्त होगा।

    अनिल:अनिल द्विवेदी जी, अपनी प्रतिक्रिया हम तक पहुंचाने के लिए आपका बहुत-बहुत शुक्रिया। दोस्तों, मेरे पास जो पत्र है, उसे भेजा है, दिल्ली से अमीर अहमद ने। उन्होंने लिखा है......

    हैया:अमीर अहमद जी, हमें पत्र भेजने के लिए शुक्रिया। आपके सुझावों पर विचार किया जाएगा। धन्यवाद प्रतिक्रिया भेजने के लिए। चलिए, आगे पेश है उत्तर प्रदेश से सादिक आज़मी जी का पत्र। उन्होंने लिखा है ......

    विगत दिनों भारत के दिल्ली में आयोजित 24वां विश्व पुस्तक मेला 17 जनवरी को सम्पन्न हुआ। चीन ने प्रमुख मेहमान देश के रूप में अच्छी तरह से सभ्यता पुनरुद्धार व आदान-प्रदान से एक दूसरे से सीख लेने संबंधी मुद्दे लोगों के सामने रखे। दोनों देशों की संस्कृति व प्रकाशन जगतों के बीच सहयोग व आदान-प्रदान में नयी उपलब्धियां हासिल हुई।हम श्रोता यही कामना करते हैं कि भविष्य में इसी प्रकार के आयोजन होते रहे। ये हर्ष की बात है कि मेले के दौरान चीनी राज्य परिषद के प्रेस कार्यालय में चीनी राष्ट्रीय प्रेस प्रकाशन रेडियो टीवी अखिल ब्यूरो, भारत स्थित चीनी दूतावास व चीन के विदेशी भाषा ब्यूरो ने संयुक्त रूप से चीन के शासन पर शी चिनफिंग की चर्चा नामक पुस्तक की संगोष्ठी आयोजित की। यह जानना सुखद रहा कि चीनी नये विश्व प्रकाशन घर ने द्वितीय विश्व युद्ध के इतिहास से जुड़ी प्रमुख पूर्वी युद्ध मैदान नामक पुस्तक की सात भाषाओं की संस्करणों की विश्व लांच रस्म आयोजित किया। इसके अलावा भारतीय क्लासिक ग्रंथ सुरसागर की चीनी संस्करण और आम जनता से आए प्रधानमंत्री---मोदी समेत नयी पुस्तकों पर भी भारतीय पाठकों का ध्यान केंद्रित हुआ है। संभवतः ऐसे आयोजन से दोनों देशों के युवाओं में जागरूक्ता को बल मिलेगा और सांस्कृतिक आदान प्रदान को बढ़ावा मिलेगा। हमें विश्वास है भविष्य में इसी प्रकार cri अपने पाठकों एवं श्रोताओं को हर खबर से रूबरू करवाता रहेगा।

    पिछले दिनों नए वर्ष के आगमन से आपकी हिन्दी वेबसाइट पर नियमित रूप से विज़िट करता आ रहा हूं और फेसबुक पेज पर भी लॉगइन का क्रम जारी है दोनो जगहों पर आपकी ओर से अपडेट मिल रही है आशा करता हूं यह बदलाव आगे भी जारी रहेगा। cri महाप्रबंधक जी द्वारा श्रोताओं को आश्वस्त करवाया जाना अब सार्थक रूप ले रहा है, हम संतुष्टि का गीत गुनगुना रहे हैं इसी विश्वास से कि आगमी दिनो में श्रोताओं पर भी विशेष कृपा दृष्टि रहेगी और बड़ी प्रतियोगिता का आयोजन किया जाएगा तथा पुरस्कार के साथ श्रोताओं को चीन की सैर का अवसर प्रदान किया जाएगा। पिछले वर्ष गतिविधियों के आधार पर भारत से श्री सुरेश अग्रवाल जी को चीन जाने का निमंत्रण सराहनीय था उनकी कार्यशैली और निययमिक्ता के आधार पर आप द्वारा उनका चुनाव भी सही था, मैं एक श्रोता की हैसियत से आपके फैसले का तहे दिल से आदर करता हूं और आशा करता हूं भविष्य में श्रोताओं की कार्यशैली पर आप की निष्पक्षता कायम रहेगी। पिछले दिनो कार्यक्रम और आपके पेज से तिब्बती सांस्कृतिक प्रदर्शन सप्ताह जो कि पेरिस में हुआ उसपर जानकारी मिली और हमने जाना कि छिंगहाई कुमबुम मठ के तिब्बती सांस्कृतिक प्रदर्शन सप्ताह 14 जनवरी की रात को पेरिस के उपनगरीय इलाके "यूरोपीय टाइम्स" के सांस्कृतिक केंद्र में शुरू हुआ।और फ्रांस में रहने वाले चीनी प्रवासियों व चीनी संस्कृति पर आकर्षित फ्रांसीसी नागरिकों ने इसका स्वागत किया।रिपोर्ट से यह भी ञात हुआ कि छिंगहाई कुमबुम मठ चीन में तिब्बती बौद्ध धर्म के छह प्रमुख मठों में से एक है। साथ ही यह चीन का प्रमुख सांस्कृतिक अवशेष व प्रसिद्ध सांस्कृतिक विरासत भी है। कुमबुम मठ केवल बौद्ध धर्म का तीर्थ मंदिर ही नहीं,बल्कि संस्कृति का स्वर्ग भी माना जाता है। खासकर मक्खन फूल, कढ़ाई वाला थांगखा व भित्ति "तिब्बती संस्कृति की तीन प्रमुख कलाएं" कहलाती हैं,जिसे चीनी राष्ट्रीय अमूर्त सांस्कृतिक विरासत में भी शामिल किया गया था।हम तिब्बत के विषय में कार्यक्रम चीन का तिब्बत द्वारा जानकारी पाते रहे है और विदेश में किसी आयोजन की खबर पर रिपोर्ट की प्राप्ति सुखद अहसास कराती है धन्यवाद स्वीकार करें इस रिपोर्ट हेतु।

    अनिल:सादिक आज़मी जी, पत्र भेजने के लिये आप का बहुत बहुत धन्यवाद। दोस्तो, अब पेश है झारखंड से एस बी शर्मा जी का पत्र। उन्होंने लिखा हैं ......

    चीन के राष्ट्राध्यक्ष नव वर्ष की बधाई दी। यह बधाई सन्देश चाइना रेडिओ इंटरनेशनल के इंग्लिश और हिंदी रेडिओ के माध्यम से तो प्रसारित किया ही गया साथ ही इनके वेव साइटों पर भी रिलीज किया गया। उन्होंने अपने बधाई सन्देश में दुनिया के हर कोने में रहने वाले चीनियो के साथ चीन में रहने वाले एक करोड़ तिस लाख जनता के खुशहाली का सन्देश दिया। उन्होंने अपने मन की बात भी बताई इसके अनुसार वे गरोबी उन्मूलन के लिए कृत संकल्पित दिखे वे पुरे विश्व के हर समाज के विकास और शांति की कामना की सभी के भलाई की कामना की इससे चीन के अंतर्राष्ट्रीय उत्तरदायित्व का बोध होता है।

    13 जनवरी को आपका प्रोग्राम पूर्बवत सुना काफी मजा आयाI भारत की राजधानी दिल्ली में पुस्तक मेले पर विशेष जानकारी दी गईI यह पुस्तक मेला अपने आप में बहुत ही उम्दा रहा। चीन इस मेले में विशेष महत्व के देश के दर्जे के साथ भाग लियाI मेले में चीन और भारत के बुद्धिजीवियों द्वारा विशेष चर्चा का भी आयोजन किया गया। भारत और चीन के बीच साहित्यतिक आदान प्रदान दोनों देशो को और नजदीक लाएगा। अनिल आजाद पाण्डेय जी द्वारा भारत के नेशनल बुक ट्रस्ट के निदेशक से की गई बात चीत भी सुनाई गई, इस बात चीत में भी इन बातो पर बल दिया गया की दोनों देशो के बीच साहित्यितिक आदान प्रदान आने वाले दिनों में आपसी रिश्ते और ब्यापार आदि क्षेत्रो में नजदीकियां बढ़ाने में काफी मददगार सिद्ध होगा। साहित्य को भौगोलिक सीमा या बिचारो के डोर से बांध कर नहीं रखा जा सकता है साहित्य देश और काल के सीमा से पर सार्वदेशिक और सर्वकालिक है यह एक उत्तम माध्यम है जिसका उपयोग कर दोनों देशो के आम जनता को एक दूसरे से जोड़ा सकता है मेरे समझ से दोनों देश की सरकार और बुद्धिजीवी वर्ग भी इस पर बल दे रहा है। इस क्षेत्र में काफी काम भी हो रहा है। इस मेले में सी आर आई की दिल्ली से प्रकाशित होने वाली पत्रिका सेतु सम्बन्ध भी काफी सुर्खियों में रही। हाल के दिनों में यह पत्रिका श्रोताओं और पाठकों के बीच अपना स्थान बनाने में कामयाब रही है। सेतु सम्बन्ध दोनों देशो के दो संस्कृतयों और दो सभ्यताओं को जोड़ने में काफी अहम भूमिका निभा रही है। धन्यवाद। वहीं बिहार के श्रोता से अच्छी बातचीत भी सुनाई गई।

    हैया:अब सुनिए हमारे श्रोता दोस्तो राजीव शर्मा जी के साथ हुई बातचीत।

    अनिल:दोस्तो, इसी के साथ आपका पत्र मिला प्रोग्राम यही संपन्न होता है। अगर आपके पास कोई सुझाव या टिप्पणी हो तो हमें जरूर भेजें, हमें आपके खतों का इंतजार रहेगा। इसी उम्मीद के साथ कि अगले हफ्ते इसी दिन इसी वक्त आपसे फिर मुलाकात होगी। तब तक के लिए अनिल पांडे और हैया को आज्ञा दीजिए, नमस्कार।

    हैया:गुडबाय।

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