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    आपका पत्र मिला 2016-01-20
    2016-01-20 14:48:04 cri


    अनिल:आपका पत्र मिला कार्यक्रम सुनने वाले सभी श्रोताओं को अनिल पांडे का नमस्कार।

    हैया:सभी श्रोताओं को हैया का भी प्यार भरा नमस्कार।

    अनिलः दोस्तो, पहले की तरह आज के कार्यक्रम में हम श्रोताओं के ई-मेल और पत्र पढ़ेंगे। इसके बाद एक श्रोता के साथ हुई बातचीत के मुख्य अंश पेश किए जाएंगे।

    चलिए श्रोताओं के पत्र पढ़ने का सिलसिला शुरू करते हैं। पहला पत्र हमें आया है, ओड़िशा से मॉनिटर सुरेश अग्रवाल जी का। उन्होंने लिखा है...... दिनचर्या का अटूट हिस्सा बन चुके सीआरआई हिन्दी के ताज़ा प्रसारण को प्रतिदिन की तरह मैंने आज भी अपने तमाम मित्रों और परिजनों के साथ सुना और अब मैं उस पर अपनी त्वरित प्रतिक्रिया के साथ आपके समक्ष पेश होने कम्प्यूटर की शरण में हूँ। बहरहाल, ताज़ा समाचारों के बाद पेश साप्ताहिक "आपकी फ़रमाइश आपकी पसन्द" हर बार की तरह आज भी लाज़वाब रहा और इसमें बजाये गये श्रोताओं के छह पसन्दीदा फ़िल्म -जैसे को तैसा, कालीचरण, बदलते रिश्ते, अर्पण, अपनापन तथा जंगल में मंगल के रसीले गानों के साथ दी गई रोचक ज्ञानवर्द्धक एवं आश्चर्यजनक जानकारी क़ाबिल-ए-तारीफ़ लगी। ब्रिटेन में हुये एक शोध पर आधारित यह जानकारी काफी महत्वपूर्ण लगी कि मांसाहार का उपयोग इसी तरह होता रहा तो सन 2050 तक पर्यावरण के लिये गम्भीर ख़तरा पैदा हो सकता है। सच भी है कि जिन जानवरों को मार कर खाया जाता है, आखिर वही तो प्रकृति का संतुलन बनाये रखने का काम हैं। कार्यक्रम में आगे थाईलैण्ड स्थित बौध्द-हिन्दू स्टाइल में निर्मित विशेष सफ़ेद मन्दिर तथा भारत के विभिन्न प्रदेशों में स्थित ऐतिहासिक गुफ़ाओं पर दी गई जानकारी भी काफी सूचनाप्रद लगी। मुझे खेद है कि 33 पहाड़ों को काट कर बनायी गयीं उदयगिरि और खण्डगिरि गुफ़ाएँ मेरे अपने प्रदेश ओड़िशा में होने के बावज़ूद मुझे अब तक उनका दीदार नसीब नहीं हुआ है। कार्यक्रम में यह जान कर हैरत हुई कि अमेरिका में अलाना नामक एक बच्ची के तीन माता-पिता हैं। इस परिप्रेक्ष्य में माइटोकॉण्ड्रिया विधि पर दी गई जानकारी भी सूचनाप्रद लगी।

    वहीं "सण्डे की मस्ती" का भी उसके बदले हुये स्वरुप में खूब लुत्फ़ उठाया। सण्डे स्पेशल में ग्रीनलैण्ड के आकाश में बादलों के छाने से उसकी बर्फ़ की परत के पिघलने और तापमान में 2-3 डिग्री की बढ़ोत्तरी होने के साथ-साथ समुद्र के जलस्तर में वृध्दि होने की बात काफी चिन्ताजनक लगी। क्योंकि ऐसा ग्रीनहाउस गैसों के प्रभाव से ही हो रहा है और जिसके लिये मानव स्वयं ज़िम्मेदार है। लॉस वेगास में लगी प्रदर्शनी में गाकर बताने वाले फ्रीज़ सम्बन्धी जानकारी काफी रुचिकर लगी, जब कि चीन में उड़ान के दौरान महिला द्वारा विमान का दरवाज़ा खोल की गई आत्महत्या की कोशिश खौफ़नाक थी। भला हुआ चालकदल ने उस पर काबू पा लिया। चीन में ही एक महिला द्वारा छैनी-हथौड़े से पहाड़ काट कर दो सौ मीटर लम्बी सुरंग बनाये जाने का किस्सा भारत में बनी फ़िल्म -"माझी द माउन्टेन मैन" की कहानी जैसा लगा। उत्तर-पूर्वी चीन में बर्फ़ काट कर तीन लाख युआन की लागत से बनाये गये अनोखे बार की बात रिसैप्शन में एकाएक आयी गड़बड़ी के कारण ठीक से समझ में नहीं आयी, जिसका मुझे खेद है। मुम्बई से कन्याकुमारी तक 1800 किलोमीटर का सफ़र अकेले साइकिल पर तय करने वाली जांबाज़ सुश्री मदान को हमारा सलाम। गूगल का पांच साल बाद पुनः चीन लौटने का समाचार और गूगल सम्बन्धी बतलाई गयीं अन्य नौ बातें काफी सुखद लगीं। प्रेरक कहानी में -अपने दृढनिश्चय के कारण छोटे मेंढ़क द्वारा चिकनी सतह वाले खम्बे पर चढ़ने में मिली सफलता तथा -जीवनमंत्र के तहत सफलता के बाद अपने मूल-लक्ष्य से न भटकने की सलाह काफी अच्छी लगी। मनोरंजन सेगमेण्ट के तहत स्कूल और शिक्षक की भूमिका पर आधारित फ़िल्म "चॉक न डस्टर" का ट्रैलर सुनवाया जाना रुचिकर लगा।

    हैया:सुरेश अग्रवाल जी, हमें रोजाना पत्र भेजने के लिए आपका बहुत बहुत धन्यवाद। चलिए, अगला पत्र मेरे हाथ आया है छत्तीसगढ़ पश्चिम बंगाल से रविशंकर बसु जी का। उन्होंने लिखा है......

    7 जनवरी, बृहस्पतिवार को "नमस्कार चाइना" प्रोग्राम का पहला संस्करण मैंने पूरे मनोयोग से सुना और काफी निराश हुआ। कार्यक्रम में न कोई नयापन है और न कोई ऑरिजनलटी, न कोई नवीनता है सिर्फ प्रोग्राम का नाम बदल दिया गया है। नई बोतल में पुरानी शराब : old wine in new bottles। पहले का "आज का लाइफस्टाइल" प्रोग्राम से न्यू शो "नमस्कार चाइना " प्रोग्राम में सामग्री या विषय में कोई स्पष्ट अंतर नज़र नहीं आया। चीन से संबंधित कुछ समाचार और तथ्यों को इकट्ठा करके एक खिचड़ी बनायी गयी है, जिसके साथ जुड़ा है चाइना रेडियो इन्टरनेशनल का नाम। न "आज का लाइफस्टाइल" प्रोग्राम न "नमस्कार चाइना" प्रोग्राम कोई भी कार्यक्रम आज तक भी "ओ मॉय गॉड, मैं चाइना में हूं " उस ऊंचाई को नहीं छू पाया है। रेडियो प्रोग्रामिंग के बारे में एक अनिवार्य शर्त यह है कि प्रोग्राम को "air tight" होना चाहिए जो इन प्रोग्रामों में नहीं है।

    लेकिन "टी टाइम" प्रोग्राम विशेष प्रशंसा के हकदार है और उनसे सीखना चाहिए कि कैसे प्रोग्राम पेश किया जाता है। क्या सी आर आई के प्रोग्राम प्रोड्यूसर या प्रोग्राम प्रेजेंटर ऐसा समझते है कि वह जो सुनाएंगे हम उनकी तारीफ करेंगे। आप अप्रिय होने के डर से बहुत से श्रोता प्रोग्रामों की तारीफ करते हैं जो उनके मन की बात नहीं है। आज का प्रोग्राम का कटेंट जरा देख लीजियेगा। दक्षिण पश्चिम चीन के युन्नान प्रांत में रहने वाले अल्पसंख्यक नासी जाति और तुंगपा संस्कृति के बारे में आज जो जानकारी दी गई, उसे तो हम चीन का भ्रमण कार्यक्रम में कई बार सुन चुके हैं। मज़े की बात तो यह है कि प्रोग्राम का नाम है "नमस्कार चाइना" और प्रोग्राम में पेश होता है बॉलीवुड फिल्मों का प्रोमो जो हंसने की बात है।

    मेरी राय में चीनी परिवार, चीनी लोग, कल्चर, माहौल,चीनी आदतें,इन सभी के बारे में कुछ खट्टी-मीठी, कुछ इमोशनल, कुछ प्रैक्टिकल, कुछ एडवेन्चरस तो कुछ बोरिंग इन्हीं सभी बातों का पिटारा होना चाहिए "नमस्कार चाइना " प्रोग्राम।

    बसु जी, आपने नमस्कार चायना प्रोग्राम की कमियों के बारे में हमें अवगत कराया, इसके लिए शुक्रिया, आप सभी श्रोताओं की टिप्पणी और सुझावों से हमें सुधार करने की प्रेरणा मिलती है। आगे भी हमें सुझाव भेजते रहें।

    अनिल:आगे बसु जी लिखते हैं..... वर्ष 2010 में भारत 17वें पेइचिंग अंतरराष्ट्रीय पुस्तक मेले का प्रमुख अतिथि देश बना था। हाल के वर्षों में चीनी और भारतीय प्रकाशन जगतों के बीच मित्रवत आवाजाही और सहयोग बढ़ा है। दोनों देशों के प्रकाशन विभाग एक दूसरे देश में अंतरराष्ट्रीय पुस्तक मेले में भाग लेने में सक्रिय हैं। पुस्तक मेले में चीन के 10 हज़ार से ज्यादा श्रेष्ठ चीनी पुस्तकें प्रदर्शित की जा रही हैं।

    हाल के वर्षों में चीन-भारत के संबंधों में मजबूत प्रगति हुई है। भारत के लोगों में चीन के बारे में काफी बदलाव आया है ।मेरे विचार में 24वें विश्व पुस्तक मेले में चीन को प्रमुख अतिथि देश बनाना चीन और भारत के बीच मित्रवत आवाजाही को और बढ़ाने के लिए एक सही कदम है जिसके लिए दोनों देशों के नेताओं की सहमति को धन्यवाद दिया जाना चाहिए। मैं आशा करता हूं कि आने वाले सालों में चीन और भारत - दोनों देशों के बीच संबंधों में और बढ़ोतरी होगी।

    हैया:बसु जी, अपनी प्रतिक्रिया हम तक पहुंचाने के लिए आपका बहुत-बहुत शुक्रिया। दोस्तों, मेरे हाथ में उतर प्रदेश से सादिक आज़मी जी का पत्र है। उन्होंने लिखा है...... नमस्कार। पूर्व की भॉति कार्यक्रम आपका पत्र मिला बड़ी उत्सुकता से सुना क्योंकि श्रोता मित्रों की प्रतिक्रिया एवं अनुभव को जानने की जिञासा सदैव मन में रहती है आज के कार्यक्रम में श्रोता भाई सुरेश अग्रवाल जी जो कि cri हिन्दी विभाग के मॉनीटर भी हैं की टिप्पणी पर कहना चाहूंगा मॉनीटर हो तो ऐसा जो अपने कार्य के प्रति समर्पित हो, प्रतिदिन कार्यक्रम को सुनना और उसपर निष्पक्ष प्रतिक्रिया नियमित रूप से भेजना उनकी निष्ठा को ऊजागर करती है ऐसे व्यक्ति जीवन के किसी भी क्षेत्र में विफल नहीं हो सकते ऐसा मेरा मानना है। उनके द्वारा इस प्रकार मॉनीटरिंग के कार्य को निभाना दूसरे श्रोताओं के लिये उदाहरण है, उनके द्वारा SMS के सुझाव का मैं समर्थन करता हूं ये सत्य है। आज भारत के ग्रामीण इलाके आज भी बहुत हद तक इनटरनेट से वंचित हैं आशा है cri प्रबंधन उस पर शीघ्र अमल करेगा, वर्तमान समय में हर चीज़ मोबाइल पर उपलब्ध होती जा रही है। बिल पेमेंट से लेकर खरीदारी तक मोबाइल फोन से होने लगी है यात्रा हेतु टिकट की खरीदारी भी मोबाइल पर की जाने लगी है। जीवन के हर क्षेत्र में मोबाइल फोन हमारी ज़रूरत बन गया है ऐसे में cri हिन्दी के कार्यक्रम को लाइव सुनने की व्यवस्था न होना काफी कष्टदायी है। मेरा cri महाप्रबंधक से अनुरोध है कि शीघ्र इसकी व्यवस्था करें ताकि हम जैसे श्रोता भी इससे लाभान्वित हों और हमारा कार्यक्रम से जुड़ाव और मज़बूत हो। भाई अनिल जी द्वारा श्रोताओं से साक्षात्कार का क्रम बहुत अच्छा है इस बार जमाल जी के विचार उनकी ज़ुबानी सुनकर उनके बारे में विस्तार से जाना तथा उनके क्षेत्र में तालों के कारोबार की अच्छी जानकारी मिली। अनिल जी ने उनके व्यक्तिगत जीवन पर कई प्रश्न किये जो सटीक था मैं अनिल जी को धन्यवाद कहता हूं और एक और सुझाव देना चाहूंगा कि अपने मॉनीटर द्वारा अलग अलग प्रदेशों से हर रोज़ समाचारों के बाद वहां की हलचल पर 3 मिनट में अपनी प्रतिक्रिया पेश करने का अवसर दें इससे कार्यक्रम की रोचकता में वृद्धि होगी, धन्यवाद।

    अनिल:सादिक आज़मी जी, हमें रोजाना पत्र भेजने के लिए आपका बहुत बहुत धन्यवाद। आपके सुझावों पर विचार किया जाएगा। धन्यवाद प्रतिक्रिया भेजने के लिए। चलिए, आगे पेश है बिहार से राम कुमार नीरज जी का पत्र। उन्होंने लिखा है विश्व पुस्तक मेले पर आपकी वेबसाइट पर पल पल की खबर ने रोमांचित कर दिया। इस विश्व पुस्तक मेले को इतने करीब से जानना बेहद अच्छा लगा. यह राजनीति व अंतरराष्ट्रीय मुद्दों से ऊपर उठकर पुस्तक प्रेमियों के लिए पसंदीदा मेला है विश्व पुस्तक मेला। हर साल के मानिंद इस वर्ष भी हजारों प्रकाशक,लेखक,पाठक इस मेले में रोज आ रहे हैं। आगंतुकों की इच्छा है कि अपनी पसंदीदा लेखिका,लेखक,उपन्यासकार आदि से मिलकर कर बातें भी करें। दिलचस्प है कि यह अवसर मिल भी रहा है। विभिन्न प्रकाशक अपने स्टॉल पर प्रसिद्ध लेखक,कवि,कथाकारों आदि को उपलब्ध भी करा रहे हैं। एक ओर सिने कलाकार कवि पीयूष मिश्रा, रवीश कुमार, अजित अंजुम, महेश दर्पण, मृदुला गर्ग, नासिरा शर्मा, नरेंद्र कोहली, प्रेम जनमेजय, प्रताप सहगल, विवेक मिश्र, मदन कश्यप, मौजूद हैं वहीं पाठकों की भी भीड़ कम नहीं है। हर कोई इसी जुगत में है कि कैसे इन लोगों से एक पल बात कर लें। फोटो साथ ले लें। किताबें कितनी बिक रही हैं, इसका सही सही आंकड़ा तो प्रकाशक देंगे, लेकिन लोगों की भीड़ और उत्साह देखकर एक सुखद अनुभव जरूर होता है कि कम से कम लेखकों से मिलने, किताबें खरीदनें की आदत अभी बची हुई है।

    गौरतलब हो कि इस वर्ष के अतिथि देश चीन होने के नाते चीन की कलाकृतियां, प्रकाशन, मुद्रण आदि की सामग्री हॉल नंबर 7 में थी। इस हॉल में चीन की प्राचीन छापेखाने, मुद्रण की सामग्री, पांडुलिपियां, भोजपत्र, ताड़पत्र, एवं वस्त्र पत्रों पर संरक्षित लिपियां देखने को मिलेंगी। दिलचस्प यह भी है कि चीन की प्राचीन लिपियों के साथ ही प्रकाशन संस्थान ने बच्चों के लिए कहानियों, कविताओं की किताबों को भी उपलब्ध कराया है। सरल चीनी कैसे सीखें, इस पर भी किताबें मिल जाएंगी। इस मंडपनुमा हॉल के मध्य में नृत्य,कला आदि की प्रस्तुति होती हैं तो वहीं चारों ओर घेरे में विभिन्न भारतीय भाषाओं के प्राचीन ग्रंथों की प्रतियां, भोजपत्र और मूल प्रति भी प्रदर्शित की गई हैं। आपकी साईट पर आ रही लगातार सचित्र खबरों से यह स्पष्ट हो जाता है कि साहित्य, खेल, विज्ञान या कोई दूसरी विधा की किताबों से लगाव है तो हमें एशिया के सबसे बड़े पुस्तक मेले दिल्ली में जरूर आना चाहिए. पुस्तक प्रेमियों के लिए इस बार दिल्ली पुस्तक मेला एक महीने पहले ही लग गया है। पुस्तक मेला 17 जनवरी दिल्ली के प्रगति मैदान में चलेगा।

    इस साल का थीम 'द कल्चरल हेरिटेज ऑफ इंडिया' रखा गया है और 250 पब्लिशर्स के साथ चीन मुख्य अतिथि देश है. पुस्तक मेले में पैनल डिस्कशन, नाटक, किताब विमोचन के साथ-साथ कई साहित्यिक कार्यक्रम भी आयोजित किए जा रहें है।

    यह जानना सचमुच बेहद दिलचस्प है कि दिल्ली विश्व पुस्तक मेले में अतिथि देश चीन के प्रकाशकों ने गुरुदेव रवीन्द्र नाथ टैगोर और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पर चीनी लेखकों की पुस्तकें पेश की हैं। इसमें इसके साथ ही न्यूयार्क टाइम्स में प्रकाशित विशिष्ठ लेखों का संग्रह, नयी श्रृंखला 'ययावारी आवारगी', लप्रेक श्रृंखला की पुस्तकें शामिल हैं। चीन के इंटेलेक्चुअल प्रॉपर्टी पब्लिशिंग के प्रबंधक यिन यमीन ने कहा कि अतिथि देश के रुप में इस बार चीन को भारत विश्व पुस्तक मेले में स्थान मिलना सम्मान की बात है। हम पुस्तकों के माध्यम से न केवल भारत के लोगों को चीन की संस्कृति और विरासत से रुबरु कराना चाहते हैं बल्कि यह भी बताना चाहते हैं कि भारत एवं यहां के लोगों एवं संस्कृति के बारे में चीन में कितनी जिज्ञासा है। उन्होंने कहा कि पुस्तक मेले में इस बार विख्यात साहित्याकार रवीन्द्रनाथ टैगोर और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पर पुस्तकें पेश की गई है।

    विभिन्न प्रकाशकों द्वारा पेश इनमें से कई पुस्तकें किसी पुस्तक का अनुवाद नहीं है बल्कि मूल पुस्तकें हैं। चीन में लोगों में प्रधानमंत्री मोदी के बारे में यह जिज्ञासा है कि एक साधारण परिवार का व्यक्ति किस प्रकार से शीर्ष पर पहुंचा।

    हैया:राम कुमार नीरज जी, पत्र भेजने के लिये आप का बहुत बहुत धन्यवाद। दोस्तो, अब पेश है पाकिस्तान से एक नेट यूजर मोहम्मद अकील बशीर का पत्र। उन्होंने लिखा है कि मुझे उम्मीद है कि आप लोग सकुशल होंगे। लिखते हैं कि वैसे से मुझे हिंदी भाषा पढ़नी नहीं आती है, लेकिन मैं आपके पेज को अनुवाद कर अंग्रेजी में मतलब समझता हूं। मुझे आपकी वेबसाइट पर जारी कई रिपोर्ट अच्छी लगती हैं। जिसमें यांग शाव लिन के विश्व बैंक का उपाध्यक्ष बनने संबधी समाचार अच्छा लगा।

    अनिल:दोस्तो, हमें हाथ से लिखा हुआ एक पत्र मिला है, गुजरात से फैयाज अहमद आजमी का। उन्होंने लिखा है...... (handwriting letter)

    हैया:वहीं पाकिस्तान से लियाकत अली अवान जी पत्र हमें मिला है। उन्होंने अंग्रेजी में लिखा है, जिसका हम अनुवाद कर पेश कर रहे हैं। कहते हैं, मैं बहुत लंबे समय के बाद आपको पत्र भेज रहा हूं। लेकिन मैं आपके रेडियो पर प्रोग्राम अक्सर सुनता रहता हूं। आपके प्रोग्राम के जरिए मैं न केवल चीन के बारे में जानकारी हासिल करता हूं, बल्कि हिंदी गाने भी बहुत पसंद आते हैं।

    हैया:अब सुनिए हमारे श्रोता दोस्तो सादिक आजमी जी के साथ हुई बातचीत।

    अनिल:दोस्तो, इसी के साथ आपका पत्र मिला प्रोग्राम यही संपन्न होता है। अगर आपके पास कोई सुझाव या टिप्पणी हो तो हमें जरूर भेजें, हमें आपके खतों का इंतजार रहेगा। इसी उम्मीद के साथ कि अगले हफ्ते इसी दिन इसी वक्त आपसे फिर मुलाकात होगी। तब तक के लिए अनिल पांडे और हैया को आज्ञा दीजिए, नमस्कार।

    हैया:गुडबाय।

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