टैक्सी चालक लोसांग दावा
तिब्बत स्वायत्त प्रदेश में अधिकांश टैक्सी चालक लम्बे सफर में गाड़ी चलाने में निपुण होते हैं। उन्हें पर्यटक बहुत पसंद करते हैं और उन पर विश्वास भी करते हैं। क्योंकि इन टैक्सी चालकों को काफी जानकारी रहती हैं। वे तिब्बत के विभिन्न स्थानों के रास्तों से भलीभांति परिचित रहते हैं और रास्ते में किसी भी खतरनाक स्थिति से निपटने में काफी सक्षम होते हैं। तिब्बती टैक्सी चालक तिब्बत में लम्बी यात्रा करने आए पर्यटकों के विश्वसनीय मित्र हैं। तिब्बती बंधु लोसांग दावा इस प्रकार का टैक्सी चालक है।तिब्बत स्वायत्त प्रदेश की राजधानी ल्हासा से आली प्रिफेक्चर और नाछ्यु प्रिफेक्चर, जो तिब्बत में समुद्र तल से सबसे अधिक औसतन ऊंचाई पर स्थित हैं, की यात्रा के दौरान करीब 4400 किलोमीटर का रास्ता है। हमारे चालक लोसोंग दावा ने हमें अपना गाड़ी चलाने का हुनर दिखाया। रास्ते में वह कभी-कभार हमें वहां की स्थिति में हुए परिवर्तन और स्थानीय रीति रिवाज़ों की जानकारियां देता रहा। वह कई बार मज़ाकियां बात भी कह देता थे, जिसे सुनने के बाद हम कार में सवार लोग एकदम हंस पड़ते थे।
53 वर्षीय लोसांग दावा का जन्म शिकाज़े प्रिफेक्चर के किसी एक गांव में हुआ है। 20 साल पहले, वह गांव में खेती-बाड़ी करता था। वर्ष 1982 में लोसांग दावा ने किसी व्यक्ति से बढ़ई का काम सीखा। गर्मियों में वह चरवाहों के लिए फ़र्नीचर और मकान बनाने के लिए पशुपालन क्षेत्र जाता था। बाद में उसके एक रिश्तेदार के कहने पर वे मार्ग सुरक्षा करने वाला एक मज़दूर बन गया, जो मार्ग के निर्माण वाले स्थल पर काम करता था। उसी दौरान लोसांग ने गाड़ी चलाना सीखा। बाद में वे अपने ड्राइविंग सिखाने वाले गुरू के साथ शिकाज़े से न्यिंग्छी प्रिफेक्चर तक लकड़ी सामग्रियों को लाने-ले जाने का काम करने लगा। इस तरह कार चलाते हुए उसे 20 साल हो गये। लोसांग दावा के दिल में अपने गांव में खेती करने के दिनों की यादें अभी भी ताजा है। इसकी चर्चा करते हुए लोसांग दावा ने कहा:"पहले मैं एक किसान था, जो बाहरी दुनिया के साथ कम ही संपर्क में रहता था। उस समय चरवाहे पशुपालन करते थे, व्यापारी नमक और दुग्ध चाय की अदला-बदली करने के लिए हमारे गांव आते थे। गांव आने के बाद वे वहां एक तंबू गाड़ कर रहते थे। हम किसान लोग गेहूं और जौं जैसी वस्तुओं के जरिए व्यापारियों के साथ रोजमर्रा के चीज़े अदला-बदली करते थे। पहले हमारे यहां कपड़े की सामग्री नहीं थी, लोग भेड़ की ऊन का प्रयोग करते थे। हमारे जूते भेड़ के ऊन से बने होते थे।"
युवावस्था में लोसांग दावा बहुत मेहनती था। गर्मियों के दिनों में वे पशुपालन क्षेत्र जाकर बढ़ई का काम करता था। सर्दियों में राजधानी ल्हासा में रह रहे अपने रिश्तेदार के यहां कुछ छोटा-मोटा काम करता था। एक साल में वह करीब 10 से 20 हज़ार युआन कमा लेता था। ल्हासा में छोटा-मोटा काम करने के दौरान लोसांग की एक लड़की से मुलाकात हुई, जो उसकी प्रेमिका बन गई। अपनी मधुर प्रेम कहानी सुनाते हुए लोसांग दावा ने कहा:"हम दोनों का जन्मस्थान एक ही है। उसके रिश्तेदार ल्हासा में काम करते हैं और उसको घरेलू काम के लिए बुलाया गया है। बाद में हम उसके रिश्तेदार से परिचय हुए। उस समय मैं बहुत मेहनत से काम करता था। मैं कार चलाता था, बढ़ई का काम करता था और सिलाई का काम भी करता था। इसके अलावा मुझे पेंटिंग करनी भी आती है। वे लोग मुझे, खास कर मेरे परिश्रम को बहुत पसंद करते थे।"
वास्तव में लोसांग दावा एक अनुभवी व्यक्ति है। उसे चीनी हान भाषा अच्छी तरह से आती है। लेकिन वह सिर्फ़ तीन साल ही स्कूल गया था। स्कूल में उसने चीनी हान भाषा के बजाए तिब्बती भाषा सीखी। उसने खुद से चीनी भाषा सीखी है। दूसरे तिब्बती ग्रामीण परिवार के बराबर, घर में इकलौते बेटे के रूप में लोसांग दावा को दूसरे ग्रामीण युवकों की तरह गांव में खेती का काम करना पड़ता था। लेकिन बाद में वह गांव से बाहर निकला। उसने कहा कि अब उसकी दृष्टि विशाल हो गई है और विचारों में भी बदलाव आया है। लोसांग दावा ने कहा:"पहले मैं गांव में रहने की ही सोचता था। क्योंकि मैं घर में इकलौता बेटा हूं। किसान परिवार के लिए पुरुष को जरूर घर में रहना पड़ता है। बड़े होकर शादी करके बाहर नहीं जाया जाता। लेकिन मेरी सोच एकदम अलग है। मैं घर से ल्हासा गया। अब 20 साल से अधिक हो गये हैं। कभी-कभार जन्मस्थान जाना भी अब नहीं रहा। शहर में मैं एक टैक्सी ड्राइवर हूँ। रोज़ कार चलाकर इधर-उधर घूमता रहता हूं। मेरी सोच भी बड़ी हुई। इसके साथ ही शहर में जीवन सुविधापूर्ण है। उदाहरण के तौर पर ल्हासा के टॉयलेट में टॉयलेट-पेपर का प्रयोग किया जाता है। लेकिन ग्रामीण क्षेत्रों में इसका कम प्रयोग किया जाता है। इसके अलावा जन्मस्थान के गांव में नहाने की सुविधा भी अच्छी नहीं है।"