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संडे की मस्ती 2015-10-18
2015-10-22 16:46:38 cri

अखिल- दोस्तों, आपका एक बार फिर स्वागत है हमारे इस मजेदार कार्यक्रम संडे की मस्ती में... मैं हूं आपका दोस्त एन होस्ट अखिल।

लिली- दोस्तों, आज हम आपको वो 5 चीजें बताने जा रहे हैं जो आपको नहीं करनी चाहिए और क्यों ?

अखिल- जी हां दोस्तों, जाने अनजाने हम ऐसी कई चीजें करते हैं जो हमारे Personal Development के लिए ठीक नहीं होतीं. वैसे तो इन चीजों की list बहुत लम्बी हो सकती है पर आज हम आपके साथ सिर्फ पांच ऐसी बातें share कर रहे हैं, जो बिल्कुल नहीं करनी चाहिए।

1) दूसरे की बुराई को enjoy करना

ये तो हम बचपन से सुनते आ रहे हैं की दुसरे के सामने तीसरे की बुराई नहीं करनी चाहिए , पर एक और बात जो मुझे ज़रूरी लगती है वो ये कि यदि कोई किसी और की बुराई कर रहा है तो हमें उसमे interest नहीं लेना चाहिए और उसे enjoy नहीं करना चाहिए. अगर आप उसमे interest दिखाते हैं तो आप भी कहीं ना कहीं negativity को अपनी ओर attract करते हैं. बेहतर तो यही होगा की आप ऐसे लोगों से दूर रहे पर यदि साथ रहना मजबूरी हो तो आप ऐसे topics पर deaf and dumb हो जाएं , सामने वाला खुद बखुद शांत हो जायेगा. For example यदि कोई किसी का मज़ाक उड़ा रहा हो और आप उस पे हँसे ही नहीं तो शायद वो अगली बार आपके सामने ऐसा ना करे. इस बात को भी समझिये की generally जो लोग आपके सामने औरों का मज़ाक उड़ाते हैं वो औरों के सामने आपका भी मज़ाक उड़ाते होंगे. इसलिए ऐसे लोगों को discourage करना ही ठीक है.

2) अपने अन्दर को दूसरे के बाहर से compare करना

इसे इंसानी defect कह लीजिये या कुछ और पर सच ये है की बहुत सारे दुखों का कारण हमारा अपना दुःख ना हो के दूसरे की ख़ुशी होती है. आप इससे ऊपर उठने की कोशिश करिए , इतना याद रखिये की किसी व्यक्ति की असलियत सिर्फ उसे ही पता होती है , हम लोगों के बाहरी यानि नकली रूप को देखते हैं और उसे अपने अन्दर के यानि की असली रूप से compare करते हैं. इसलिए हमें लगता है की सामने वाला हमसे ज्यादा खुश है , पर हकीकत ये है की ऐसे comparison का कोई मतलब ही नहीं होता है. आपको सिर्फ अपने आप को improve करते जाना है और व्यर्थ की comparison नहीं करनी है.

3) किसी काम के लिए दूसरों पर depend करना

मैंने कई बार देखा है की लोग अपने ज़रूरी काम भी बस इसलिए पूरा नहीं कर पाते क्योंकि वो किसी और पे depend करते हैं. किसी व्यक्ति विशेष पर depend मत रहिये. आपका goal; समय सीमा के अन्दर task का complete करना होना चाहिए , अब अगर आपका best friend तत्काल आपकी मदद नहीं कर पा रहा है तो आप किसी और की मदद ले सकते हैं , या संभव हो तो आप अकेले भी वो काम कर सकते हैं.

ऐसा करने से आपका confidence बढेगा , ऐसे लोग जो छोटे छोटे कामों को करने में आत्मनिर्भर होते हैं वही आगे चल कर बड़े -बड़े challenges भी पार कर लेते हैं , तो इस चीज को अपनी habit में लाइए : ये ज़रूरी है की काम पूरा हो ये नहीं की किसी व्यक्ति विशेष की मदद से ही पूरा हो.

4) जो बीत गया उस पर बार बार अफ़सोस करना

अगर आपके साथ past में कुछ ऐसा हुआ है जो आपको दुखी करता है तो उसके बारे में एक बार अफ़सोस करिए…दो बार करिए….पर तीसरी बार मत करिए. उस incident से जो सीख ले सकते हैं वो लीजिये और आगे का देखिये. जो लोग अपना रोना दूसरों के सामने बार-बार रोते हैं उसके साथ लोग sympathy दिखाने की बजाये उससे कटने लगते हैं. हर किसी की अपनी समस्याएं हैं और कोई भी ऐसे लोगों को नहीं पसंद करता जो life को happy बनाने की जगह sad बनाए. और अगर आप ऐसा करते हैं तो किसी और से ज्यादा आप ही का नुकसान होता है. आप past में ही फंसे रह जाते हैं , और ना इस पल को जी पाते हैं और ना future के लिए खुद को prepare कर पाते हैं.

5) जो नहीं चाहते हैं उस पर focus करना

सम्पूर्ण ब्रह्मांड में हम जिस चीज पर ध्यान केंद्रित करते हैं उस चीज में आश्चर्यजनक रूप से वृद्धि होती है. इसलिए आप जो होते देखना चाहते हैं उस पर focus करिए , उस बारे में बात करिए ना की ऐसी चीजें जो आप नहीं चाहते हैं. For example: यदि आप अपनी income बढ़ाना चाहते हैं तो बढती महंगाई और खर्चों पर हर वक़्त मत बात कीजिये बल्कि नयी opportunities और income generating ideas पर बात कीजिये.

अखिल- दोस्तों, इन बातों पर ध्यान देने से आप Self-Improvement के रास्ते पर और भी तेजी से बढ़ पायेंगे और अपनी life को खुशहाल बना पायेंगे. All the best.

लिली- चलिए, अब हम अखिल जी से सुनते हैं एक प्रेरक कहानी। कहानी का शीर्षक है आज ही क्यों नहीं ?

अखिल- दोसतों, एक बार की बात है कि एक शिष्य अपने गुरु का बहुत आदर-सम्मान किया करता था |गुरु भी अपने इस शिष्य से बहुत स्नेह करते थे लेकिन वह शिष्य अपने अध्ययन के प्रति आलसी और स्वभाव से दीर्घसूत्री था |सदा स्वाध्याय से दूर भागने की कोशिश करता तथा आज के काम को कल के लिए छोड़ दिया करता था | अब गुरूजी कुछ चिंतित रहने लगे कि कहीं उनका यह शिष्य जीवन-संग्राम में पराजित न हो जाये|आलस्य में व्यक्ति को अकर्मण्य बनाने की पूरी सामर्थ्य होती है |ऐसा व्यक्ति बिना परिश्रम के ही फलोपभोग की कामना करता है| वह शीघ्र निर्णय नहीं ले सकता और यदि ले भी लेता है,तो उसे कार्यान्वित नहीं कर पाता| यहाँ तक कि अपने पर्यावरण के प्रति भी सजग नहीं रहता है और न भाग्य द्वारा प्रदत्त सुअवसरों का लाभ उठाने की कला में ही प्रवीण हो पता है | उन्होंने मन ही मन अपने शिष्य के कल्याण के लिए एक योजना बना ली |एक दिन एक काले पत्थर का एक टुकड़ा उसके हाथ में देते हुए गुरु जी ने कहा –'मैं तुम्हें यह जादुई पत्थर का टुकड़ा, दो दिन के लिए दे कर, कहीं दूसरे गाँव जा रहा हूँ| जिस भी लोहे की वस्तु को तुम इससे स्पर्श करोगे, वह स्वर्ण में परिवर्तित हो जायेगी| पर याद रहे कि दूसरे दिन सूर्यास्त के पश्चात मैं इसे तुमसे वापस ले लूँगा|'

शिष्य इस सुअवसर को पाकर बड़ा प्रसन्न हुआ लेकिन आलसी होने के कारण उसने अपना पहला दिन यह कल्पना करते-करते बिता दिया कि जब उसके पास बहुत सारा स्वर्ण होगा तब वह कितना प्रसन्न, सुखी,समृद्ध और संतुष्ट रहेगा, इतने नौकर-चाकर होंगे कि उसे पानी पीने के लिए भी नहीं उठाना पड़ेगा | फिर दूसरे दिन जब वह प्रातःकाल जागा,उसे अच्छी तरह से स्मरण था कि आज स्वर्ण पाने का दूसरा और अंतिम दिन है |उसने मन में पक्का विचार किया कि आज वह गुरूजी द्वारा दिए गये काले पत्थर का लाभ ज़रूर उठाएगा | उसने निश्चय किया कि वो बाज़ार से लोहे के बड़े-बड़े सामान खरीद कर लायेगा और उन्हें स्वर्ण में परिवर्तित कर देगा. दिन बीतता गया, पर वह इसी सोच में बैठा रहा की अभी तो बहुत समय है, कभी भी बाज़ार जाकर सामान लेता आएगा. उसने सोचा कि अब तो दोपहर का भोजन करने के पश्चात ही सामान लेने निकलूंगा.पर भोजन करने के बाद उसे विश्राम करने की आदत थी , और उसने बजाये उठ के मेहनत करने के थोड़ी देर आराम करना उचित समझा. पर आलस्य से परिपूर्ण उसका शरीर नीद की गहराइयों में खो गया, और जब वो उठा तो सूर्यास्त होने को था. अब वह जल्दी-जल्दी बाज़ार की तरफ भागने लगा, पर रास्ते में ही उसे गुरूजी मिल गए उनको देखते ही वह उनके चरणों पर गिरकर, उस जादुई पत्थर को एक दिन और अपने पास रखने के लिए याचना करने लगा लेकिन गुरूजी नहीं माने और उस शिष्य का धनी होने का सपना चूर-चूर हो गया | पर इस घटना की वजह से शिष्य को एक बहुत बड़ी सीख मिल गयी: उसे अपने आलस्य पर पछतावा होने लगा, वह समझ गया कि आलस्य उसके जीवन के लिए एक अभिशाप है और उसने प्रण किया कि अब वो कभी भी काम से जी नहीं चुराएगा और एक कर्मठ, सजग और सक्रिय व्यक्ति बन कर दिखायेगा.

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