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    पुरांग में नेपाली व्यापारी दीपक का जीवन
    2015-09-21 15:33:26 cri

     

    पुरांग कांउटी में सीमा व्यापार बाज़ार में नेपाली व्यापारी दीपक

    तिब्बत स्वायत्त प्रदेश के आली प्रिफेक्चर की पुरांग कांउटी के शहर में एक सीमा व्यापार बाज़ार मौजूद है। जहां दुकानदार आराम से व्यापार करते हुए जीवन बिताते हैं। रोज़ बाज़ार में लोगों की भीड़ लगी रहती है और आने-जाने के अनगिनत वाहन हैं।

    नेपाली व्यापारी दीपक सिंह बोहरा पूरी पुरांग कांउटी में सुप्रसिद्ध व्यक्ति हैं। पिछले 30 से अधिक वर्षों से वह सीमा व्यापार बाज़ार में व्यापार कर रहे हैं।

    51 वर्षीय दीपक पुरांग सीमा व्यापार बाजार में एक दुकान के मालिक हैं। 18 वर्ष की उम्र में वह चीन-नेपाल-भारत त्रिदेशीय सीमावर्ती क्षेत्र स्थित पुरांग कांउटी में आये थे। अब तक 33 वर्ष बीत चुके हैं। दीपक ने कहा कि वह खुद एक पुराने पुरांगवासी बन गये है। 33 वर्षों में व्यापारिक जीवन और अनुभव दीपक के लिए मूल्यवान संपत्ति है। नेपाली भाषा के अलावा दीपक को तिब्बती, चीनी, हिन्दी और अंग्रेज़ी भी आती है। धाराप्रवाह भाषा बोलने की वजह से पुरांग में दीपक आसानी से स्थानीय लोगों और देसी विदेशी पर्यटकों के साथ विचारों का आदान प्रदान कर सकता है। पुरांग वासी ही नहीं, सीमा क्षेत्र के बाज़ार में व्यापार करने वाले दूसरे नेपाली और भारतीय व्यापारी दीपक से अच्छी तरह परिचित हैं। उन्होंने दीपक को पुरांग सीमा व्यापार बाज़ार में नेपाली व्यापारिक संघ के अध्यक्ष बनने की सिफ़ारिश की है। इसपर दीपक को बहुत गर्व महसूस होता है। उसने कहा:

    "सीमा व्यापार करना मेरे घर में एक परंपरा बन गई है। यहां सीमा व्यापार का इतिहास 4 या 5 सौ वर्ष पुराना है। मेरे पिता जी सीमा व्यापार करते थे, मेरे दादा जी, और पिता जी के दादी जी भी। पुरांग में सीमा व्यापार करना मेरे घर में एक व्यवसाय बन चुका है। हमें इससे अलग नहीं किया जा सकता।"

    18 वर्ष की उम्र में दीपक पिता जी के साथ व्यापार करने पहली बार पुरांग आये थे। उस समय की याद दीपक के मन में अभी भी ताज़ा है। उस समय प्राकृतिक स्थिति खराब थी, यातायात सुविधापूर्ण नहीं था। सीमा व्यापारिक वस्तुओं की किस्में भी सरल थीं। ग्राहकों की संख्या कम थी। भाषा की कठिनाई से दीपक परिवार का सौदा ठीक नहीं खरीद पाता था। दीपक ने कहा कि इन मुश्किलों के सामने कभी कभार वह सीमा व्यापार छोड़ने के बारे में भी सोचता था। लेकिन पिता जी और दूसरे स्थानीय मित्रों की मदद से वह डटा रहा और आज इस बात को 33 वर्ष बीत चुके हैं। अपनी दृढ़ता की वजह से दीपक को अब बहुत सी उपलब्धियां प्राप्त हुई हैं। वह खुद पुरांग में सीमा व्यापार में हुए परिवर्तन के साक्षी बने हैं। इसकी चर्चा में नेपाली व्यापारी पुरांग का कहना है:

    "पहले की तुलना में अब पुरांग में व्यापार करने की स्थिति में काफ़ी सुधार आया है। व्यापार के पैमाने की दृष्टि से देखा जाए, या व्यापारियों की संख्या की दृष्टि से देखा जाए, तो स्थिति बहुत हद तक उन्नत हुई है।"

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