हूनान डायरी पहला दिन
अतीत में ले जाते हैं, थोंग कुआन भट्टी के अवशेष
अनिल आज़ाद पांडेय
सोमवार, 14 सितंबर को दोपहर के वक्त हम हूनान प्रांत की राजधानी छांगशा पहुंचे। यहां की हरियाली और सुंदरता ने मन मोह लिया। तेजी से हो रहे विकास के बावजूद, पर्यावरण बचाने और सांस्कृतिक वस्तुओं को सहेजने का काम यहां बखूबी किया जा रहा है। छांगशा पहुंचने के बाद हमें
सबसे पहले हमने होटल का रुख किया, उसके बाद हमें छांगशा थोंग कुआन भट्टी ले जाया गया। जिसे पुरातत्व केंद्र व संग्रहालय के रूप में विकसित किया गया है। यहां पर प्राचीन समय के चीनी मिट्टी के बर्तन और अन्य चीज़ों को सहेज कर रखा गया है। कुछ चीजें अच्छी स्थिति में हैं, जबकि कई टूटी-फूटी अवस्था में प्रदर्शनी के लिए रखी गई हैं। साथ ही भट्टी और बर्तन तैयार होने काे नमूने यहां देखे जा सकते हैं। चीनी िमट्टी की ये वस्तुुएं, विभिन्न रंगों और आकार व सजावट में तैयार की गई हैं। इसमें ड्रैगन के आकार की भट्टी को बड़ी अच्छी तरह सहेजा गया है, जो कि 41 मीटर लंबी है, और हेड, बेड व टेल तीन भागों से मिलकर बनी है, इसे उत्तर-दक्षिण दिशा में थोड़ा ढाल लिए हुए बनाया गया था। इसका आकार ऐसा था कि आग की लपटें आसानी से ऊपर तक पहुंच पाती थी, जिससे ईंधन की खपत कम होती थी।
यह पूरा क्षेत्र छांगशा थोंग कुआन याव नेशनल आर्कियोलॉजिकल पार्क के तौर पर जाना जाता है। इसके निर्माण का उद्देश्य छांगशा थोंगकुआन भट्टी के संरक्षण और लोगों को प्राचीन सांस्कृतिक धरोहर से रूबरू करवाना है। यहां पहुंचकर आप न केवल पारंपरिक चीनी संस्कृति के बारे में जान सकते हैं, बल्कि प्राचीन चीनी सिरेमिक आर्ट, हू श्यांग संस्कृति के बारे में भी गहरी जानकारी हासिल होती है। यहां पर पुराने समय के अवशेष रखे हुए हैं, जो हमें अतीत में चीनी लोगों की कला के प्रति प्यार और प्रतिभा के दर्शन करवाते हैं। इस इलाके के पर्यटन पारिस्थितिकी गांव के रूप में बदलने से स्थानीय लोगों को रोजगार के अवसर भी प्राप्त हुए हैं। यह सेंटर हूनान आने वाले पर्यटकों को अपनी ओर खींच लेता है। उक्त सेंटर की गाइड ने हमें बताया कि यहां प्रतिदिन पांच हजार से अधिक पर्यटक पहुंचते हैं, जो छांगशा शहर का एक प्रमुख आकर्षण है।
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