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    ल्हासा शहर का तिब्बती शैली वाला होटल
    2015-09-07 13:50:19 cri

    चीन में सुधार और खुले द्वार की नीति लागू होने के पिछले बीसेक सालों में भारी परिवर्तन आये हैं और देश के कोने-कोने में चहल-पहल और खुशहाली नजर आने लगी है। चीन के तिब्बत स्वायत्त प्रदेश की राजधानी ल्हासा भी इस का अपवाद नहीं है। समुद्र की सतह से 3600 मीटर की ऊंचाई पर स्थित ल्हासा शहर अपने स्वच्छ नीले आकाश, कलकल करती ल्हासा नदी और लाल व सफेद रंगों वाले लामा मंदिरों से देशी-विदेशी पर्यटकों को बरबस आकर्षित करता है और शहर में इधर-उधर बिखरे तिब्बती शैली वाले छोटे होटल भी पर्यटकों को लुभाते हैं। विभिन्न देशों से आने वाले पर्यटकों को इन छोटे होटलों से खास लगाव है। वे इन होटलों के सरल संस्थापनों की परवाह न कर उनमें बड़े आराम से रहते हैं और उनके बहुत शांत व स्वतंत्र वातावरण का मजा लेते हैं। तो, आइये, चलें ल्हासा के तिब्बती शैली वाले बानाक शोल होटल को देखने।

    तिब्बत की राजधानी ल्हासा में साल भर धूप खिली रहती है। सुहावने मौसम वाली एक दोपहर हम ल्हासा के प्रसिद्ध चुलाखांग लामा मठ की बगल में स्थित पाकोर सड़क से पूर्वी पेइचिंग नामक सड़क की ओर निकले। पूर्वी पेइचिंग सड़क ल्हासा की सब से रौनकदार सड़कों में से है। चुलाखांग मठ के बगल में होने की वजह से यह आम लोगों और बौद्ध अनुयाइयों से खचाखच भरी रहती है। तिब्बती शैली वाला बानाक शोल होटल इसी सड़क के पास खड़ा है। तिब्बती शैली वाले दूसरे होटलों की तरह इस छोटे होटल का दरवाजा भी बड़ा नहीं है और विभिन्न रंगों वाली छोटी-बड़ी दुकानों के पीछे से झांकता मालूम देता है। मुख्य फाटक के ऊपर लगा बोर्ड, जिस पर चीनी, तिब्बती और अंग्रेजी भाषाओं में होटल का नाम लिखा है, अत्यन्त आकर्षक है।

    जब हम ने होटल में कदम रखा, तो एक लड़की को पंजीकरण मेज पर होटल में ठहरने का फोर्म भरते पाया। उस ने बताया कि उस का नाम ली पी छ्येन है और वह दक्षिणी चीन के क्वांगतुंग प्रांत से यहां आयी है। तिब्बत आने से पहले उस ने अनेक वेबसाइटों पर तिब्बत के भ्रमण से संबंधित जानकारी बटोरी और बानाक शोल होटल का पता भी उसे एक वेबसाइट पर मिला। उस ने कहा

    मैं ने तिब्बत के पर्यटन से जुड़ी अनेक वेबसाइटों से यह जानकारी प्राप्त की कि ल्हासा के बानाक शोल होटल के कमरों का किराया ही कम नहीं है, इसके चहल-पहल भरी सड़क पर स्थित होने की वजह से यहां यातायात की भी बड़ी सुविधा है। फिर तिब्बती शैली वाले होटल में रहने का अपना मजा है जो नया अनुभव देता है। इसलिए मैं ल्हासा पहुंचने के बाद सीधे इसी होटल में आयी और यहां के वातावरण से बड़ी संतुष्ट हूं। वर्तमान में ल्हासा में बानाक शोल जैसे तिब्बती शैली वाले अनेक होटल अधिकाधिक देशी-विदेशी पर्यटकों को आकर्षित कर रहे हैं। कुछ छोटे होटल विशेष तौर पर युवाओं के लिए खुले हैं। इन होटलों में आप को घी वाली तिब्बती चाय पीने को ही नहीं मिलती, आयरलैंड की शुद्ध कॉफी भी मिलती है। शायद चीन व पश्चिम की परम्पराओं के मेल से ही तिब्बती शैली वाले ये छोटे होटल दिन ब दिन अधिकाधिक पर्यटकों को अपनी ओर खींचनें लगे हैं। ज्यादातर पर्यटक तारांकित होटलों की तुलना में तिब्बती शैली वाले इन छोटे होटलों में ठहरना ज्यादा पसंद करते हैं।

    वर्तमान में ल्हासा में ऐसे होटलों की संख्या दस से अधिक है, पर बानाक शोल उनमें सब से विख्यात है और उसका शहर में अपना अलग स्थान है। बानाक शोल को तिब्बत के ल्हासा शहर के तिब्बती शैली वाले पहले छोटे पर्यटन होटल की हैसियत के साथ चीन के ऐसे प्रथम पहाड़ी होटल का भी दर्जा हासिल है और यह विश्व पर्यटन संगठन द्वारा चुने गये दस सर्वश्रेष्ट पहाड़ी पर्यटन होटलों में भी शामिल है। पहाड़ी होटल का अर्थ है पठारीय या पर्वतीय क्षेत्रों में पर्यटकों का सत्कार करने वाला सस्ता होटल। बानाक शोल का किराया इतना सस्ता नहीं है पर वह बहुत सी सुविधाएं उपलब्ध कराता है। इस होटल के आंगन में एक विज्ञापन बोर्ड खड़ा है जिस पर विभिन्न विषयों के संदेश लगे मिलते हैं। हांगकांगवासी चुंग इंग शिन कुछ समय पहले बानाक शोल में रहने आयी। वह इस पर संदेश के जरिये किसी मित्र की खोज करना चाहती थी, ताकि उसके साथ दूसरे पर्यटन स्थल की सैर कर सके।

    उस ने कहा, मैं किसी पर्यटन एजेंसी के जरिये बाहर घूमने नहीं जाती। ग्रुप में शामिल होकर यात्रा करने में स्वतंत्रता नहीं होती बल्कि दिक्कतें ज्यादा होती हैं। मैं ने मित्रों की खोज के लिए विज्ञापन बोर्ड पर संदेश लगाया तो कई पर्यटकों ने मेरे साथ सम्पर्क किया, अब मैं ने शन चन शहर से आयी दो लड़कियों के साथ घूमने का निर्णय किया है। बानाक शोल होटल सूचनाओं के आदान-प्रदान के अतिरिक्त विचारों के आदान-प्रदान की भी अच्छी जगह है। इस होटल के तंग कमरों में विभिन्न देशों के पर्यटक इकट्ठे होकर यात्रा के अपने खट्ट- मीठे अनुभवों को आपस में बांटते हैं और एक-दूसरे को समझने की कोशिश करते हैं। यहां सांस्कृतिक पृष्टभूमि की भिन्नता भी उन की सहजता और स्नेह को बाधित नहीं करती।

    बानाक शोल के आंगन के बीचोंबीच एक छोटा बगीचा भी है। बगीचे के एक खुले भाग में कई बड़ी-बड़ी छतरियां खड़ी हैं। इनके नीचे मेजें और कुर्सियां लगी हैं। पर्यटक यहां बैठकर खाना खाते हैं, चाय पीते हैं और किताब पढ़ते हैं या गपशप करते हैं। सछ्वान प्रांत के पर्यटक चांग शू खाई ने कहा

    बावाक शोल होटल में बहुत से देशी-विदेशी पर्यटक रहते हैं। अक्सर पर्यटक यहां बैठकर आने-जाने वालों को देखते हैं या एक-दूसरे से गप करते हैं तो कुछ खामोश बैठे अपने आप में लीन रहते हैं। मैं भी साल में कई दिन य़हां बिताने आता हूं और यहां आकर अपने मनोभाव को व्यवस्थित करता हूं ।

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