इसके अलावा मठ में अस्पताल भी है और कुछ लामा इसमें मदद करते हैं। इस बारे में जाम्यांग ने कहा....
"टाशील्हूनबो मठ ने यहां एक अस्पताल बनाया, जिसमें काम करने वाले सभी डॉक्टर हमारे मठ के भिक्षु हैं। वे बाहर से सीखकर यहां आते हैं, वे सभी प्रोफेशनल हैं।"
तोज़ांग(Dozang) वरिष्ठ लामा हैं, वे 30 साल तक टाशील्हूनबो मठ में तपस्या कर चुके हैं। टाशील्हूनबो मठ में कुछ खाद्य पदार्थों की आपूर्ति आत्मनिर्भर होती है। तोजांग इससे जुड़े प्रशासन का काम देखते हैं। उन्होंने बताया....
"मैं मुख्य तौर परफार्म का प्रशासन करता हूं और दूध व दही बनाता हूं।"
मठ में हर दिन का जीवन बहुत सरल और नियमित होता है। लेकिन कभी कभी उन्हें कुछ शिक्षापाठ्यक्रम दिया जाता है, जैसे कि बुद्धधर्म का इतिहास और कुछ सांस्कृतिक अध्ययन। और साथ ही मठ में भीतरीइलाकों के साथ कुछ आदान-प्रदान की गतिविधियां भी आयोजित की जाती हैं। तोज़ांग ने कहा कि उन्होंने चीन में कई जगहों की यात्रा की है। उन्होंने बताया......
"शानतोंग प्रांत के छिंगताओ शहर, च्यांगसू प्रांत के सूचो शहर, शानशी प्रांत आदिजगहों पर गया था। वहां सीखते हुए मेरे अनुभव में भी इजाफा हुआ है।"
तोज़ांग की तुलना में जाम्यांग अभी तक तिब्बत से बाहर नहीं गए। लेकिन मठ का जीवन उन्हें फिर भी बहुत अच्छा लगता है। उन्होंने कहा कि 11वें पंचेनलामा हर साल अगस्त से तीन महीनों के लिए टाशील्हूनबो मठ में रहते हैं और उन्हें सूत्र समझाते हैं।जाम्यांग के विचार में यहां तपस्या करने से उन्हें बहुत ज्यादा प्राप्त हुआ है। उन्होंने कहा...
"अपनी दृष्टि से कहें तो यहां सूत्र जपने और अच्छा काम करने से पुण्य प्राप्त होता है।"
20 वर्षीय जाम्यांग को इस दौर में अधिकतर युवाओं की तरह सोशल मीडिया से बाहरी दुनिया के साथ आदान-प्रदान करना पसंद है। वे हमेशा अपने वीचेट(wechat) पर टाशील्हूनबो मठ में आयोजित गतिविधियों और अपने तपस्या के बारे में अपने विचार जारी करते हैं। बाहरी दुनिया से संपर्क करने के साथ साथ वे तपस्या के जरिए अपने लिए एक शांत पवित्रभूमि की तलाश करते हैं।
अच्छा, दोस्तों, टाशील्हूनबो मठ के बारे में रिपोर्ट यहीं समाप्त होती है।
(मीनू)