यह चाइना रेडियो इंटरनेशनल है। दोस्तो, तिब्बत के शिकाज़े के निसरी पहाड़ के टाशील्हूनबो (Tashilhunpo) नामक एक मठ स्थित है, जो शिकाज़े क्षेत्र में सबसे बड़ा मठ है। तिब्बती भाषा में टाशील्हूनबो का मतलब शुभ होता है। टाशील्हूनबो मठ में कुल 900 से ज्यादा लामा तपस्या करते हैं। वे हर दिन सूत्र जपते हैं, सीखते हैं और प्रार्थना करते हैं।आज के कार्यक्रम में आप टाशील्हूनबो मठ में लामा का एक दिन शीर्षक रिपोर्ट सुनेंगे। आईए, सुनते हैं।
वर्ष 1447 में यानी मिंग राजवंश के दौरान टाशील्हूनबो मठ का निर्माण किया गया।वह तिब्बतीबौद्धधर्म के त्गेलुग्सपा(dge-lugs-pa) समुदाय के संस्थापक टसोंगखापा(tsongkhapa) के शिष्यपहले दलाई लामा त्गेउतुन उग्रुबपा (dge-vdun-vgrub-pa) द्वारा नाम देने के बाद उनकी अध्यक्षता में स्थापित किया गया। इसके बाद चौथे पंचनलामा लोज़ांग चोस्क्यी ग्याल्टसेन(lozang choskyi gyaltsen) ने उसका विस्तार किया। चौथे पंचनलामा के इस मठ कामठाधीश बनने के बाद यह हर पीढ़ी के पंचनलामा का स्थायी निवास बन गया। लोग वहां जाकर शांति और सुख के लिए प्रार्थना करते हैं।
टाशील्हूनबो मठ में बड़ी संख्या में स्थानीय तिब्बती लोग बुद्धकी मूर्ति को महावीर भवन में रखकर उसका शुद्धीकरण करने के बाद पूजा के लिए उसे घर वापस ले जाते हैं। और तीर्थयात्री या भक्त अपना वर्ष सूचक जानवर लिखकर मठ के लामाओं से अपने या अपने परिजनों के लिए सूत्र जपने और शांति, बुद्धि वसुख के लिए प्रार्थना करने की मांग भी कर सकते हैं।
जाम्यांग(jamyang) ने पांच साल पहले 15 साल की उम्र में यहां आकर तपस्या करना शुरू किया। उन्होंने कहा कि वेमन की शांति के लिए टाशील्हूनबो मठ आये हैं। उन्होंने बताया.....
"यहां का जीवन बहुत सरल और शांत है, जो मुझे बहुत अच्छा लगता है। यहां रहते हुए मेरे दिल में ज्यादा परेशानी नहीं है, जबकि बाहरी दुनिया के जीवन में गड़बड़ होती है।"
जाम्यांग ने कहा कि हालांकि हर दिन तमाम लोग मठ जाकर प्रार्थना करते हैं, उनका जीवन फिर भी बहुत सरल है, जिसमें सूत्र जपना एक जरुरी दैनिक काम है। उन्होंने कहा.....
"हर सुबह मैं साढ़े 5 बजे उठता हूं और महान सूत्र भवन जाकर सूत्र जपता हूं, जो हमारी सुबह की कक्षा है। वह लगभग साढ़े 8 बजे तक खत्म होती है। इसके बाद रात को 6 बजे महान सूत्र भवन में रात्रि कक्षा शुरू होती है। काम के बिना सभी लोग वहां जाकर सूत्र जपते है और साढ़े 7 बजे के आसपास कक्षा समाप्त कर अपने घर वापस जाते हैं।"
सूत्र जपने के अलावा मठ में हर लामा के पास अपना काम होता है। मठ में तरह तरह का काम है, जैसे कि मठ की व्यवस्था बनाए रखना,खाद्य-पदार्थों की आपूर्ति प्रदान करना और तिब्बती अस्पताल में रोगियों का इलाज करना आदि। जाम्यांग ने बताया कि हर दिन स्थायी कार्यसमय सुबह साढ़े 9 बजे से साढ़े 12 बजे तक और दोपहर बाद साढ़े 3 बजे से 6 बजे तक होता है। उन्होंने बताया....
"टाशील्हूनबो मठ में सभी भिक्षुओं के पास काम होता है, जिनमें कुछ विशेष रूप से सूत्र जपते हैं, कुछ गश्त करते हैं। मिसाल के लिए मैं सुरक्षा समूह का हूं और गर्मियों में यहां पर्यटक गाइडके रूप में काम करता हूं। और कुछ अन्य लोग खास तौर पर भवनों की देखभाल करते हैं। सभी लोगों का काम अलग होता है।"