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    घर के बाहर की दुनियाः काम करने का विकलांगों का सपना
    2015-03-16 18:16:52 cri

    "मेरा नाम ल्यू श्वुन ली है। मेरा काम ग्राहकों के लिए ब्रेड लाना है।"

    दोस्तों, अभी आपने जो आवाज सुनी, वो एक चीनी लड़के की है जो अपना परिचय दे रहा था। उसे अपने काम से गर्व महसूस होता है। जब हमारे रिपोर्टर एक बेकरी शॉप में 22 साल के ल्यू श्वुन ली नामक लड़के से पहली बार मुलाकात की तो वो अन्य लड़को से बिल्कुल भी अलग नहीं लगा। लेकिन वह थोड़ी धीमी गति से ब्रेड को अच्छी तरह से रख रहा था। वास्तव में ल्यू श्वुन ली एक मानसिक विकलांग लड़का है।

    इसी बेकरी में एक लड़की भी काम करती है, जिसे दिमागी तौर पर पैरालाइस हुआ है। उसका नाम यांग श्याओ है। पांच साल की कड़ी मेहनत के बाद अब वह शिफ्ट लीडर बन गई है। 26 साल की यांग श्याओ का काम ब्रेड के डिब्बे बनाना है। यांग श्याओ ने हंसते हुए अपने काम के बारे में बताया

    "ग्राहकों को ब्रेड देना।"

    कानून के संरक्षण और समाज की कोशिशों के जरिए ल्यू श्वुन ली और यांग श्याओ को घर से बाहर निकलकर आम लोगों की तरह काम करने का मौका मिला। यह न सिर्फ विकलांगों, बल्कि उनके परिवारों के लिए भी बहुत अहम है। यांग श्याओ की मां को अभी भी अच्छी तरह से याद है कि जब उसने पहली बार अपनी बेटी को लाल रंग की पौशाक में काम करते हुए देखा था।

    "जब मैंने उसे देखा, तो मुझे उस पर बहुत गर्व महसूस हुआ। वह आखिरकार स्वतंत्र रूप से काम कर सकती है। मैंने कभी नहीं सोचा कि वह इतनी अच्छी तरह ब्रेड बॉक्स बना सकती है।"

    बेकरी शॉप के एचआर विभाग की मेनेजर वांग सी वेई लम्बे समय से विकलांग स्टाफ के साथ काम करते आ रही हैं। उन्होंने कहाः

    "विकलांगों को समाज की मुख्यधारा से जोड़ा जाना चाहिए। इससे उन्हें आभास हो सके कि वे भी अपने हाथों से योगदान कर सकते हैं। आमतौर पर विकलांगों के परिवार वाले आशा करते हैं कि विकलांगों को काम करने का मौका मिले। इससे विकलांग न केवल रोजी-रोती कमा सकेंगे, बल्कि घर से बाहर जाकर काम भी कर सकते हैं और समाज की मुख्यधारा में शामिल होकर अन्य लोगों के साथ संपर्क भी कर सकते हैं। यह उनके लिए और ज्यादा अहम है, क्योंकि इस तरह विकलांग बच्चों को सही मायने में मदद मिल सकती है।"

    ल्यू श्वुन ली और यांग श्याओ दोनों भाग्यशाली हैं। यांग श्याओ की मां ने कहा कि समाज में विकलांगों के साथ भेदभाव घट रहा है। अधिकाधिक सामान्य लोग और उद्यम विकलांगों को सहायता देना चाहते हैं। इसी वजह से और अधिक विकलांग काम कर सकते हैं। लेकिन चीन में व्यापक विकलांग लोगों के लिए काम करना फिर भी आसान नहीं है।

    रोजी-रोती कमाने में विकलांगों के सामने क्या-क्या समस्याएं मौजूद हैं? उनके लिए काम करना इतना मुश्किल क्यों है? हू पेई प्रांत की चीनी राष्ट्रीय जन प्रतिनिधि सभा (एनपीसी) की प्रतिनिधि ली ली ने यह मामला एनपीसी के वार्षिक सम्मेलन में उठाया। पिछले साल उन्होंने इस मुद्दे पर सर्वेक्षण किया। उन्होंने बताया कि एक तरफ, चीन में विकलांग लोगों की भर्ती करने वाले उद्यमों को टैक्स में छूट मिलती है, लेकिन टैक्स छूट का अनुपात कम है। इससे उद्यमों के लागत में वृद्धि होती है। इसी कारण से विकलांगों को रोजगार के मौके कम दिए जाते हैं। दूसरी तरफ, विकलांगों के लिए इधर-उधर जाने में कठिनाइयां होती हैं। प्रतिनिधि ली ली इस बात को अच्छी तरह से समझ सकती हैं, क्योंकि बचपन में वह पैरों से विकलांग हो गई थी। ली ली ने कहाः

    "विकलांग अगर घर से बाहर जाना चाहें तो उन्हें सामान्य लोगों की तुलना में आधे घंटे या एक घंटे पहले निकलना पड़ता है। सामान्य लोगों के लिए पांच मिनट का रास्ता विकलांगों के लिए शायद दस मिनट का समय लगता है। भीड़-भाड़ के समय में विकलांग सामान्य लोगों के साथ नहीं जा पाते हैं।"

    "बाहर जाना" एक आसान बात है, लेकिन मश्किल भरा भी है। खुशी की बात है कि तमाम विकलांगों ने अपने प्रयास के जरिए यह मुमकिन बनाया। ल्यू श्वुन ली ने गर्व के साथ कहाः

    "मैं खुद बस से यहां आता हूं और खुद ही घर वापस चला जाता हूं। रास्ते में कोई समस्या नहीं होती।"

    काम करने की क्षमता रखने वाले विकलांगों को किस तरह से रोजगार का मौका दिया जाएगा? यह विषय प्रतिनिधि ली ली के सुझाव में शामिल है।

    "कानून के अनुसार एक उद्यम में विकलांग श्रमिकों का अनुपात कुल कर्मचारियों का 1.5 प्रतिशत होता है। इस मापदंड के अनुसार विकलांग कर्मचारियों की भर्ती करने वाले उद्यमों को टैक्स में छूट देनी चाहिए। देश के विभिन्न क्षेत्रों में यह उदार नीति अपनायी जानी चाहिए, ताकि ज्यादा से ज्यादा विकलांगों को इससे लाभ मिल सके।"

    अब चीन में विकलांगों की संख्या 8 करोड़ 50 लाख से अधिक है। खुशहाल समाज के निर्माण को समग्र तौर पर आगे बढ़ाने का लक्ष्य हासिल करने में विकलांग भी शामिल हैं। अपने हाथों से सुखी जीवन बनाने की विकलांगों की इच्छा को नजरंदाज नहीं किया जाना चाहिए। एनपीसी के प्रतिनधि, चीनी विकलांग संघ के उपाध्यक्ष वांग नाई खुन ने कहा कि विकलांग संघ इस काम में प्रयासरत है।

    "हम एक व्यापक सर्वेक्षण कर रहे हैं। इससे हमें स्पष्ट रूप से पता चलेगा कि देश में काम करने की क्षमता वाले विकलांगों की संख्या कितनी हैं।"

    उन्होंने बताया कि सरकार सर्वेक्षण के परिणाम के अनुसार विकलांगों और सामाजिक विकास के लिए उचित कदम अपनाएगी। इससे विकलांगों के लिए रोजगार वातावरण सुधरेगा और उनका काम करने का सपना पूरा होगा।

    यांग श्याओ की मां को उम्मीद है कि अधिक से अधिक विकलांग उसकी बेटी की तरह काम करने के जरिए अपना विश्वास मजबूत करेंगे। इस प्रक्रिया में आंसू संभवतः आते हैं, लेकिन परिणाम मीठा रहता है। सभी प्रयास लायक है।

    (ललिता)

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