अखिल- वैल्कम बैक दोस्तों, आप सुन रहें हैं संडे की मस्ती अखिल और लिली के साथ।
मीनू- दोस्तों, तीन साल की बच्ची ने चीन में पांच जिंदगी रौशन की, वो कैसे... आइए जानते हैं...
अखिल- चीन की एक बच्ची ने जाते-जाते वो कारनामा दिखाया जो दूसरों के सामने मिशाल बन गई। बच्ची अब इस दुनिया में नहीं है, लेकिन जाते-जाते वो वो काम कर गई जिसने पांच लोगों को उनकी जिंदगी लौटा ली।
जी हां मरने से पहले उसने पांच लोगों को नई जिंदगी दे दी। ब्रेन ट्यूमर के कारण मौत की शिकार हुई चीन की 3 साल की बच्ची लियू जिंगयाओ ने मरने के बाद अपना दिल, जिगर, किडनी और कार्निया का दान कर पांच अन्य लोगों की जिंदगी रौशन की। इस बच्ची की ब्रेन ट्यूमर की बीमारी का पता इस साल चला था।
उसके परिवार वालों ने बच्ची का इलाज कराने की बहुत कोशिश की, लेकिन उसे बचाने में कामयाब नहीं हो पाए। बच्ची की हालत देखते हुए उसके पिता ने अंगदान की संभावना के बारे में चर्चा की। उन्होंने अपनी बेटी के कई अंग दान कर दिए। 23 सिंतबर को बच्ची की मौत के बाद उसके अंग को दान में दे दिया गया। जिससे 5 लोगों की जिंदगी बचाई गई।
मीनू- वाकई... उस मासूम बच्ची को हमारा सलाम। उम्मीद करते हैं कि उस बच्ची की आत्मा को शांति मिले।
अखिल- बिल्कुल सही कहा आपने मीनू जी। चलिए बढ़ते हैं अगली रिपोर्ट की तरफ जहां दिल्ली में मिल रहा है आवारा कुत्तों को रोजगार। दिल्ली में अब कुत्ते भी बेरोजगार नहीं रहेंगे।
मीनू- वो कैसे?
अखिल- दिल्ली नगर निगम ने दिल्ली के आवारा कुत्तों को उस काम के लिए ट्रेन करना शुरू किया है जिसमें वे सबसे माहिर माने जाते हैं। निगम की योजना अनुसार मध्य दिल्ली के पार्कों की पहरेदारी की जिम्मेदारी आवारा कुत्तों को दी जाएगी। इस योजना को अंजाम देने के लिए गार्ड और डॉग ट्रेनर की एक टीम नियुक्त की गई है। जल्द ही इस टीम की पाठशाला में कई कुत्ते भाग लेंगे।
इस योजना के पहले कदम के तहत लोधी गार्डन के कुत्तों को निगम की टीम द्वारा पेडिग्री खिलाई जा रही है। टीम का कहना है कि यह इन कुत्तों से जान-पहचान और दोस्ती बढ़ाने के लिए किया जा रहा है। अभी इस प्रक्रिया को शुरू हुए कुछ ही दिन बीते हैं और अब हम कुछ कुत्तों को पहचानने लगें हैं। हम यहां के चौकीदारों का कुत्तों के साथ दोस्ती बढ़ाने में मदद कर रहें हैं। इससे सुरक्षा इंतजाम में ख़ासा फायदा होगा। यह कहना है एल आर यादव का जिन्हें निगम ने कुत्तों को ट्रेन करने के लिए नियुक्त किया है।
यादव 30 साल से कुत्तों को ट्रेनिंग दे रहें हैं। वे बताते हें कि, इस बाग में कुल 18 कुत्तें हैं जिनमें से 7-8 ने हमारी बातों पर प्रतिक्रिया देनी शुरू कर दी है। ये कुत्ते इस बाग में लंबे समय से रह रहें हैं और इन्हें यहां सुबह शाम सैर करने वाले लोगों की पहचान है। इनकी ट्रेनिंग प्रोसेस को तेज करने के लिए इनके खाने और रहने की उचित व्यवस्था की गई है।
मीनू- हां..हां..हां... यह वाकई गजब की बात बताई आपने अखिल जी। सही बात है कुत्तों से पहरेदारी में ख़ासा फायदा होगा। भला कुत्तों से बढ़िया है कौन?
अखिल- यह आपने सही कहा मीनू जी। दोस्तों, मैं बताने जा रहा हूं कि खेल के साथ-साथ बिजनेस में भी छाया चीन।
चीन ने खेल जगत की दुनिया में तो अपनी जगह बना ही रही हैं, इसी के साथ वह बिजनेस में भी काफी तरक्की कर रहा है। चीनी खिलाड़ी तो इंचियोन एशियाई खेलों के पदक तालिका में आगे चल ही रहे हैं, एक चीनी कंपनी ने भी कोरियाई बिजनेस पर बड़ी चोट की है। कोरियाई पोर्ट सिटी में चल रहे 17वें एशियन गेम्स में एक बहुत कम पहचानी चीनी कंपनी '361 डिग्री' ने खेलों के बिजनेस पर कब्जा कर लिया है।
यह कंपनी खेलों में काम आने वाले कपड़े बनाती है और इंचियोन में हर ओर उसका ही बोलबाला है। खेलों को चलाने वाले अधिकारी, जज, वॉलिंटियर और यहां तक की बाहर से आने वाले विदेशी डेलिगेट भी अपने सीने पर चीनी कंपनी का लोगो लेकर घूम रहे हैं। टॉर्च रिले में हिस्सा लेने वाले धावकों के ड्रेस पर भी चीनी कंपनी का लोगो था।
361 डिग्री कंपनी के बारे में अधिकतर लोगों को पता ही नहीं था। एक वॉलंटियर का कहना है कि उसने गूगल में देखा कि '361 डिग्री' है क्या? कुछ खेल अधिकारियों के मुताबिक, '361 डिग्री' ने आयोजन समिति से 15 मिलियन अमरीकी डॉलर में यह सौदा किया। एक अधिकारी ने नाम ना बताए जाने की शर्त पर बताया कि कई कोरियाई कंपनियों से बात की गई थी लेकिन कोई भी चीनी कंपनी के मुकाबले में ठीक रेट नहीं दे रहा था। हम आपको यह भी बता दें कि '361 डिग्री' कंपनी पिछले एशियाई खेलों के दौरान गुआंगजहो में सामने आई थी।
अखिल- हैं ना दोस्तों, चीन बिजनेस और खेलों में आगे। चलिए अभी हम आपको सुनवाते हैं एक बाप-बेटे की बातचीत मजेदार ओडियो, जिसमें पिता बेटे के दिमाग का दही कर देता है।
(ओडियो)