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    《राजा गेसार》महाकाव्य के सबसे युवा गायन कथा-वाचक स्थाडोर्चे
    2014-09-05 19:06:20 cri

    《राजा गेसार》विश्व में सबसे लम्बा एतिहासिक महाकाव्य है। वह पुरानी तिब्बती जाति और मंगोलियाई जाति की लोक संस्कृति और मौखिक कहानी कला का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन है।《राजा गेसार》का लम्बा इतिहास, महान ढांचा और प्रचुर विषय है, जिसे एक वीर रस की कविता मानी जाती है। महाकाव्य《राजा गेसार》तिब्बती जाति की प्रथाओं, कविताओं और कहावतों के आधार पर पैदा हुई कविता है, जो पुरानी तिब्बती जाति की संस्कृति की सर्वश्रेष्ठ उपलब्धि का प्रतिनिधित्व करती है।

    《राजा गेसार》महाकाव्य वर्तमान विश्व में रखी गई एकमात्र जीवित वीर रस की कविता है, जिसका लोग गान कर रहे हैं। अब नये संस्करण भी पैदा हो रहे हैं। अपूर्ण आंकड़ों के अनुसार《राजा गेसार》महाकाव्य से जुड़ी कम से कम 120 से अधिक पुस्तकें उपलब्ध हैं और जिनमें कुल 15 लाख से ज़्यादा वाक्य हैं। जबकि विश्व में《होमर वीर कविता》में《इलियट》की कुल 24 पुस्तकें और 15 हजार से ज़्यादा वाक्य और《ओडिसी》 की कुल 24 पुस्तकें और 12 हजार से ज़्यादा वाक्य हैं। विश्व में सबसे लम्बी ऐतिहासिक कविता भारत के ग्रंथ महाभारत के कुल 18 अध्याय हैं और 2 लाख से ज्यादा वाक्य हैं। वर्ष 2009 में《राजा गेसार》महाकाव्य विश्व की गैर भौतिक सांस्कृतिक विरासतों की नामसूची में शामिल की गई है।

    विश्व में सबसे लम्बे मौखिक ऐतिहासिक महाकाव्य के रुप में《राजा गेसार》विरासत में लेते हुए उसका विकास पीढ़ी दर पीढ़ी वाले तिब्बती लोगों के जुबानों से किया जाता है, गायन वाचन कला के रुप में《राजा गेसार》का इतिहास अब तक एक हज़ार से अधिक वर्ष पुराना है। तिब्बती बंधु स्थाडोर्चे वर्तमान तिब्बत में《राजा गेसार》के गायन कथा-वाचकों में से सबसे युवा गायन कथा-वाचक है, वे गायन कथा-वाचकों में एकमात्र ऐसे गायन कथा-वाचक है, जो विश्वविद्यालय में पढ़ रहे हैं।

    तिब्बती जाति की महाकाव्य《राजा गेसार》तिब्बती संस्कृति का मूल्यवान खजाना है। वास्तव में राजा गेसार तिब्बती जाति के वीर थे। कहते हैं कि राजा गेसार का जन्म इस्वी 11वीं शताब्दी में हुआ, उन्होंने दैत्यों और दानवों के साथ संघर्ष करते हुए तिब्बती जाति की रक्षा करते थे। महाकाव्य में राजा गेसार की वीर कथाएं सुनायी जाती हैं। तिब्बत स्वायत्त प्रदेश के सामाजिक विज्ञान अकादमी के अधीन《राजा गेसार》महाकाव्य का अनुसंधान करने वाले शोधकर्ता त्सेरिंग प्योंत्सोक के विचार में महाकाव्य《राजा गेसार》न सिर्फ़ वीर राजा गेसार की कहानियां सुनाई जाती है, यह तिब्बत का इतिहास प्रदर्शित करने वाला ग्रंथ भी है। राजा गेसार तिब्बती जाति का अवतार ही है। उनका कहना है:

    "《राजा गेसार》विश्व में सबसे लम्बी महाकाव्य है। इसके साथ ही इसे प्राचीन तिब्बती समाज का ज्ञान-कोष भी माना जाता है। इस महाकाव्य में तिब्बती जाति के जीवन उत्पादन, रीति रिवाज़, धार्मिक विश्वास, नैतिक आचारण, राजनीति, अर्थव्यवस्था और संस्कृति जैसे विषय शामिल हैं। यह महाकाव्य मुख्य तौर पर प्रचीन तिब्बत समाज का प्रतिबिंब था। इसके अलावा《राजा गेसार》जीवित महाकाव्य भी है। आज तक इसे गायन के रुप में सुनाने वाले बहुत से कथा-वाचक उपलब्ध हैं। इसका विकास भी किया जा रहा है।"

    लेकिन《राजा गेसार》महाकाव्य का विकास आम तौर पर तिब्बती गायन कथा-वाचकों द्वारा मौखिक तौर पर विरासत में लेते हुए किया जाता है। बूर्ढ़े गायन कथा-वाचकों के देहांत होने के चलते वर्तमान में《राजा गेसार》सुनाने वाले गायन कथा-वाचकों की संख्या लगातार कम हो रही है। खास कर युवा गायन कथा-वाचकों की संख्या बहुत कम है।

    24 वर्षीय स्थाडोर्चे का जन्म तिब्बत स्वायत्त प्रदेश के छांगतू प्रिफैक्चर की प्यानपा कांउटी में हुआ। वह वर्तमान में《राजा गेसार》सुनाने वाले सबसे युवा गायन कथा-वाचक हैं। 9 वर्ष की उम्र में उन्होंने《राजा गेसार》सुनाने वाली अपनी प्रतिभा दिखाई। स्थाडोर्चे के अनुसार《राजा गेसार》महाकाव्य से जुड़ी कम से कम 120 से अधिक पुस्तकें उपलब्ध हैं और जिनमें कुल 15 लाख से ज़्यादा वाक्य और 2 करोड़ से अधिक शब्द हैं। जो प्राचीन ग्रीस के《हॉमर महाकाव्य》और《महाभारत》दो कविताओं के मिश्रित वाक्यों से भी ज्यादा रहा। गायन के रुप में महाकाव्य《राजा गेसार》सुनाने के बारे में कथा-वाचक स्थाडोर्चे ने कहा:

    "अब मैं《राजा गेसार》के 80 से अधिक अंग गा सकता हूँ। मुझे विश्वास है कि बाद में आयु बढ़ने के साथ-साथ ज्यादा अध्ययन करने के चलते मैं इस महाकाव्य के अधिक अंग गायन के रुप में सुना सकूंगा।"

    महाकाव्य《राजा गेसार》में बहुत ज्यादा पात्र मौजूद हैं, लेकिन हरेक पात्र का अलग-अलग कहानी होती है। गायन कथा-वाचकों की आवाज़ में महाकाव्य में एक-एक पात्र जीवित लगता है। इसकी चर्चा में कथा-वाचक स्थाडोर्चे ने कहा:

    "मसलन् महाकाव्य में राजा गेसार ने अपने सेनापतियों और सैनिकों का नेतृत्व शत्रुओं के खिलाफ़ लड़ाई लड़ी। इस संदर्भ में कथा-वाचकों की अलग-अलग आवाज़ों से पात्र की भिन्न-भिन्न व्यक्तिगत भावनाएं दिखाई दे सकती हैं।"

    स्थाडोर्चे तिब्बत विश्वविद्यालय के तिब्बती भाषा संस्कृति विभाग में पढ़ रहे हैं। वर्तमान में वे तिब्बती भाषा और चीनी हान भाषा के माध्यम से अपने द्वारा गाए गए《राजा गेसार》के अंगों को रिकोर्ड करने में संलग्न हैं। उनके विचार में इस प्रकार वाले रिकोर्ड《राजा गेसार》महाकाव्य के अनुसंधान के लिए बहुत मूल्यवान है। इसकी चर्चा करते हुए स्थाडोर्चे ने कहा:

    "विश्वविद्यालय में मुझे ज्यादा जानकारियां हासिल हुईं, यह《राजा गेसार》महाकाव्य के प्रति मेरी समझ बढ़ गई और साथ ही इसका अनुसंधान के लिए भी उपयोगी होती है। विश्वविद्यालय में मैं तिब्बती से चीनी भाषा में अनुवाद का कोर्स को भी पढ़ता हूँ, मैंने अनुवाद से जुड़े तकनीक हासिल किया। यह तिब्बती भाषा की महाकाव्य《राजा गेसार》को चीनी हान भाषा में अनुवाद किए जाने के लिए बहुत मददगार है। ज्यादा से ज्यादा वाक्यों को स्पष्ट रुप से अनुवाद किए जाने से अधिक से अधिक लोग राजा गेसार जानते हैं।"

    《राजा गेसार》के गायन कथा-वाचक स्थाडोर्चे ने कहा कि विभिन्न प्रकार वाली भाषाएं और संस्कृतियां सीखने और आधूनिक समाज में जीवन बिताने के कारण गायन के रुप में महाकाव्य《राजा गेसार》को सुनाने वक्त उनपर कुछ न कुछ प्रभाव पड़ता है। स्थाडोर्चे ने कहा:

    "भाषा के क्षेत्र में कहा जाए, तिब्बती भाषा के अलावा मैंने चीनी हान भाषा और अंग्रेज़ी सिखी। पहले मैं तिब्बती भाषा के माध्यम से《राजा गेसार》महाकाव्य गाना सुनाता था। लेकिन मुझे लगता है कि भिन्न प्रकार की भाषाएं सीखने से《राजा गेसार》सुनाते समय मुझ पर कुछ न कुछ असर पड़ता है।"

    विश्वविद्यालय में पढ़ने के चार सालों में तिब्बत में सब से युवा《राजा गेसार》गायन कथा-वाचक के रुप में स्थाडोर्चे ने परिजनों के साथ तिब्बती पंचांग के नये साल की खुशियां कभी नहीं मनाईं। हर वर्ष तिब्बती पंचांग के नए साल के दौरान वे निमंत्रण पाकर《राजा गेसार》महाकाव्य गाना सुनाने विभिन्न स्थल जाते थे।《राजा गेसार》का प्रसार प्रचार करने में स्थाडोर्चे संलग्न रहते हैं। लेकिन उनके विचार में《राजा गेसार》का अनुसंधान करने और इसे व्यवस्थित करने में उन्होंने ज्यादा काम नहीं किया। युवा गायन कथा-वाचक स्थाडोर्चे का कहना है:

    "विरासत में लेते हुए इस महाकाव्य को विकसित करने के क्षेत्र में मैंने कम किया है। दूसरे गायन कथा-वाचकों से अलग है कि मैं गायन तरीके से इस महाकाव्य का विरासत में लेते आगे विकास करना चाहता हूँ, यहीं नहीं, मैं शब्दों के माध्यम से इसे विकसित करना चाहता हूँ। मसलन् मैं पुस्तक लिखना चाहता हूँ। भविष्य में अगर मौका मिला, मैं दूसरे व्यक्ति के साथ सहयोग करते हुए इस महाकाव्य को चीनी भाषा में अनुवाद करना चाहता हूँ। मुझे लगता है कि आज तक《राजा गेसार》महाकाव्य के अनुसंधान और विकास के क्षेत्र में मैंने पर्याप्त योगदान नहीं किया। विश्वविद्यालय के विद्यार्थी के रुप में तिब्बत स्वायत्त प्रदेश की सरकार और तिब्बत विश्वविद्यालय ने मेरा काफ़ी समर्थन किया। तिब्बत विश्वविद्यालय ने मेरी पढ़ाई फ़ीस भी कम की। जिन्होंने मेरा समर्थन किया, मैं उनका आभारी हूँ। मुझे आशा है कि《राजा गेसार》से संबंधित अधिक से अधिक अनुसंधान परिणाम हासिल कर सकूंगा।"

    《राजा गेसार》महाकाव्य को तिब्बती और चीनी दो भाषाओं में लिखित तौर पर व्यवस्थित करने के साथ ही स्थाडोर्चे अपने द्वारा गाए गए《राजा गेसार》के अंगों को ओडियो रिकोर्ड करने में भी लगे हुए हैं। उन्होंने कहा कि इस प्रकार के कार्य के माध्यम से अनपढ़ तिब्बती लोग और टेलिवेज़न न होने वाले तिब्बती बंधु ओडियो सुनने से इस महाकाव्य का आनंद उठा सकते हैं। कथा वाचक स्थाडोर्चे ने कहा:

    "मैं जानता हूं कि अधिक दूरस्थ क्षेत्रों में रहने वाले चरवाहों को रेडियो के माध्यम से《राजा गेसार》सुनने की बड़ी रूचि है। वे अनपढ़ हैं, यहां तक कि कुछ लोगों के घर में टेलिवेज़न भी उपलब्ध नहीं है। रेडियो उनका इस दुनिया की समझ लेने का एकमात्र तरीका है। वर्तमान में मैं चीनी केंद्रीय रेडियो स्टेशन और तिब्बत स्वायत्त प्रदेश के रेडियो स्टेशन में《राजा गेसार》गाता सुनाता हूं। लगता है कि यह《राजा गेसार》का प्रसार प्रचार करने का एक प्रत्यक्ष और कारगर उपाय है।"

    तिब्बत स्वायत्त प्रदेश के शहरों और कस्बों में चाहे छोटे-छोटे रेस्ट्रां में हो या सड़क पर खड़ी छोटी-छोटी दुकान में क्यों न हो, कभी कभार रेडियो से स्थाडोर्चे द्वारा गाए सुनाए《राजा गेसार》का अंग मिल सकता है। स्थाडोर्चे जैसे गायन कथा-वाचकों और दूसरे कलाकारों की अथक कोशिशों से तिब्बती संस्कृति में मूल्यवान चमकदार मोती के रुप में《राजा गेसार》महाकाव्य को विरासत में लेते हुए जरूर पीढ़ी दर पीढ़ी विकसित होगी।

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