अखिल- स्वागत है एक बार फिर आपका इस मजेदार शो संडे की मस्ती में।
दोस्तों, आज मैं आपको एक कविता सुनाने जा रह हूं जिसमें हिंदी की महिमा का गुणगान है कि कैसे भाषा का अल्पज्ञाण हंसी का पात्र बना देता है।
एक NRI "लाला" ने राजस्थानी देसी लड़की से शादी करने का मन बनाया,
हिंदी कम जानने के कारण, उसने ट्यूशन लगवाया,
फिर अपने मास्टर को नवाबीपन दिखाया...और कहा
आप पैसों की चिंता बिल्कुल मत कीजिए, जितनी जल्दी हो सके, बस हिंदी सीखा दीजिए
मास्टर भी निकला पक्का सरकारी, साईड बिजनेस में करता था ठेकेदारी
उसने भी एक जबरदस्त शार्टकट निकाला, एक ही दिन में पूरा कोर्स निपटा डाला
बोला,"शिष्यजी। एक काम कीजिए, मन में अच्छी तरह गाँठ बाँध लीजिए।
किसी भी शब्द से पहले, यदि "कु" लगा हो तो अर्थ खराब होता है।
उसी शब्द में यदि "सु" लग जाय तो अर्थ बदल कर अच्छा हो जाता है।"
लाला बोला एक कष्ट कीजिए....उदाहरण सहित स्पष्ट कीजिए
गुरूजी बोला, अभी लीजिए...
जैसे कुप्रबंध का सुप्रबंध
कुयोग्य का सुयोग्य
कुशासन का सुशासन
कुमति का सुमति......इत्यादि इत्यादि........
लाला बोला थैंक्यू श्रीमान, हो गया हमे हिन्दी ज्ञान
लाला ने झटपट विवाह रचाया, और पहली बार ससुराल आया
सासु माँ ने धूमधाम से की अगुवाई, जैसे वनवास से लौटे हों रघुराई
माहौल था पूरे घर में दिवाली सा, बोली पधारो म्हारो देश "कुंवर" सा
लाला इससे परेशान हो गया, गुस्से से कुछ लाल हो गया
कहने लगा हमें भी हिन्दी आती है, आपकी बातें हमे कष्ट पहुँचाती है
खबरदार..। आप हमें कभी "कुंवर" सा ना कहें,
कहना ही अगर जरूरी है तो आगे से हमे "सुंअर" सा ही कहा करें
अखिल- दोस्तों, यह था हिन्दी भाषा के अल्प ज्ञाण होने का रिजल्ट पर अब आप अंग्रेजी का भी अल्प ज्ञाण देख लीजिए।
Exam se pehle pappu ne ek hi nibandh yaad kiya tha ....'MY FRIEND'
Aur exam me aaya .....
'MY FATHER'
par pappu gabhraya nahi...hoshiyari dikhai aur yaad kiye hue nibandh me "Friend" shabd ki jagah "Father" likh kar aa gaya.
Jis examiner ne uski copy check ki wo aaj tak behosh hai !!
Pappu ने लिखाः
I AM A VERY FATHERLY PERSON. I HAVE LOTS OF FATHERS. SOME OF MY FATHERS ARE MALE AND SOME ARE FEMALE. MY MOTHER IS VERY CLOSE TO
MANY OF MY FATHERS. My uncle is also my Father. MY TRUE FATHER IS MY NEIGHBOUR. And I love all my Fathers. b'coz Har ek Father zaruri hota hai
मीनू- हां हां हां...। बहुत ही मस्त बातें बताई आपने अखिल जी। मुझे यकिन है कि हमारे श्रोता दोस्तों को जरूर पसंद आई होंगी।
अखिल- हम्म्म....बिल्कुल मीनू जी। चलिए.. दोस्तों मैं आपको एक किस्सा सुनाता हूं।
एक बार एक आदमी ने गांववालों से कहा की वो 10 रु .में एक बन्दर खरीदेगा, ये सुनकर सभी गांववाले नजदीकी जंगल की और दौड़ पड़े और वहां से बन्दर पकड़ पकड़ कर 10 रु .में उस आदमी को बेचने लगे...।
कुछ दिन बाद ये सिलसिला कम हो गया और लोगों की इस बात में दिलचस्पी कम हो गयी ...फिर उस आदमी ने कहा की वो एक एक बन्दर के लिए 20 रु देगा....ये सुनकर लोग फिर बन्दर पकड़ने में लग गये, लेकिन कुछ दिन बाद मामला फिर ठंडा हो गया।
अब उस आदमी ने कहा की वो बंदरों के लिए 50 रु देगा, लेकिन क्यूंकि उसे शहर जाना था उसने इस काम के लिए एक असिस्टेंट नियुक्त कर दिया। 50 रु .सुनकर गांववाले बदहवास हो गए, लेकिन पहले ही लगभग सारे बन्दर पकडे जा चुके थे इसलिए उन्हें कोई हाथ नही लगा....तब उस आदमी का असिस्टेंट उनसे आकर कहता है...
"आप लोग चाहें तो सर के पिंजरे में से 35 -35 रु में बन्दर खरीद सकते हैं, जब सर आ जाएँ तो 50-50 में बेच दीजियेगा"...गांववालों को ये प्रस्ताव भा गया और उन्होंने सारे बन्दर 35 -35 रु. में खरीद लिए...। अगले दिन न वहां कोई असिस्टेंट था और न ही कोई सर .......बस थे बन्दर ही बन्दर।
तो दोस्तो, इसे कहते है स्टॉक मार्किट। यह किस्सा था स्टॉक मार्किट का। अब आपको समझ में आ गया होगा कि स्टाक मार्किट कैसे चलता है।
मीनू- चलिए..अभी सुनते है एक गाना उसके बाद शुरू हो जाएगी
(गाना-3)