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संडे की मस्ती 2014-06-02
2014-06-04 16:07:44 cri

अखिल- वैलकम बैक दोस्तों, आप सुन रहे हैं संडे की मस्ती अखिल और मीनू के साथ।

अखिल- दोस्तों, आज 1 जून है यानि की विश्व बाल दिवस। आज के दिन दुनिया के हर कोने में बाल दिवस मनाया जाता है। चलिए...हम आपको इस दिवस के बारे में कुछ जानकारी देते हैं। दोस्तों, यह तो जानते है कि 14 नवंबर भारत में बाल दिवस के रूप में मनाया जाता है. लेकिन बाल दिवस सिर्फ भारत में ही नहीं दुनिया भर में अलग अलग तारीखों पर मनाया जाता है. जानते हैं कैसे हुई इसकी शुरुआत?

भारत में यह दिन स्वतंत्र भारत के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू के जन्मदिन के मौके पर मनाया जाता है. कहा जाता है कि पंडित नेहरू बच्चों से बेहद प्यार करते थे इसलिए बाल दिवस मनाने के लिए उनका जन्मदिन चुना गया.

असल में बाल दिवस की नींव 1925 में रखी गई थी, जब बच्चों के कल्याण पर विश्व कांफ्रेंस में बाल दिवस मनाने की घोषणा हुई. 1954 में दुनिया भर में इसे मान्यता मिली. संयुक्त राष्ट्र ने यह दिन 20 नवंबर के लिए तय किया लेकिन अलग अलग देशों में यह अलग दिन मनाया जाता है. कुछ देश 20 नवंबर को भी बाल दिवस मनाते हैं. 1950 से बाल संरक्षण दिवस यानि 1 जून भी कई देशों में बाल दिवस के रूप में मनाया जाता है.

यह दिन इस बात की याद दिलाता है कि हर बच्चा खास है और बच्चों के बेहतर भविष्य के लिए उनकी मूल जरूरतों और पढ़ाई लिखाई की जरूरतों का पूरा होना बेहद जरूरी है. यह दिन बच्चों को उचित जीवन दिए जाने की भी याद दिलाता है.

मीनू- बहुत अच्छी जानकारी दी आपने अखिल जी।

अखिल- धन्यवाद मीनू जी। दोस्तों, क्या दस रुपये में दस लाख की कार खरीदी जा सकती है...। नहीं ना...। दस रुपये में कार खरीद लेना कोरी कल्पना जैसा लगता है, लेकिन चीन की आर्थिक राजधानी कहलाया जाने वाला शहर शंघाई के एक व्यक्ति ने अपनी तिकड़म से इसे सच कर दिखाया। दरअसल वह एक लाख युआन (तकरीबन दस लाख रुपये) की कार को एक युआन (तकरीबन दस रुपये) के बिल पर खरीदना चाहता था। जिसके लिए उसने तरीका निकाला कि वह बिल दस रुपये का लेगा और बाकी की रकम नगद में देगा। इस तरीके को सुन कार शोरूम वाले भी तैयार हो गए। लेकिन पूरे मसले में पेंच तब फंसा जब व्यक्ति ने बाकी धनराशि के सिक्के शोरूम वालों को थमा दिए। सिक्कों को देख सभी हैरान रह गए। फिर भी सभी कर्मचारी इस काम में जुट गए और कार का भावी मालिक सोफे पर बैठ डिलीवरी मिलने का इंतजार करने लगा। गिनती शुरू हुई और आधी रकम गिनने में पूरा दिन लग गया। कर्मचारियों का बुरा हाल देख आखिर में उसे दया आ गई और उसने बाकी रकम की गिनती रुकवाकर क्रेडिट से बिल अदा किया।

मीनू- ओह माय गॉड...। यह तो वाकई हैरान कर देने वाली खबर है। पर यह समझ में नहीं आया कि उसने ऐसा क्यों किया।

अखिल- हो सकता है कि वह आदमी कार शोरूम वालों को परेशान करना चाहता हो।

मीनू- हम्मम.. हो सकता है।

अखिल- दोस्तों, आज हम आपको बता रहे हैं एक ऐसे चमत्कारी पेड़ के बारे में जो मुंगेर जिले के जमालपुर काली पहाड़ी पर मां काली की मंदिर के बगल में हैं। इस वट वृक्ष में कुंवारे लड़के या लड़कियां ईट बांध कर अपनी शादी के लिए मन्नत मांगते हैं। ऐसा माना जाता है कि कुंवारे लोगों के लिए वरदान है यह वट वृक्ष।

यह वही वट वृक्ष है जहां कुंवारे अपनी शादी के लिए पेड़ की टहनी में ईट या उसका टुकड़ा लाल कपड़े में लपेटकर बांध देते है तो 90 दिनों में उसकी शादी हो जाती है। यह किसी कहानी का रोचक हिस्सा नही है बल्कि इस प्रयोग को अपनाने वालों की संख्या दर्जनों में है। कई लोगों की मन्नत यहां पूरी हुई है, आज वे खुशहाल शादीशुदा जीवन जी रहे हैं। शादी के बाद दाम्पत्य जोड़ा पेड़ पर बांधी गई ईट को खोल देते हैं।

यहां सिर्फ कुंवारे लड़के ही नही बल्कि कुंवारी लड़कियां भी वट वृक्ष से मन्नत मांगने आती हैं। यहां के स्थानीय निवासियों के अनुसार पहले यहां आने वाले लोगों की संख्या कम थी लेकिन अब सैकड़ों की संख्या में लोग यहां आते हैं। इस इलाके में यह चमत्कारी पेड़ शादी वाला पेड़ के नाम से भी प्रसिद्ध है।

मीनू- अरे वाह...। क्या कमाल का पेड है। इस पेड पर ईट बांध कर अपनी शादी के लिए मन्नत मांगी जाती है।

अखिल- जी हां मीनू जी। पर पेईचिंग में एक आदमी अपनी शादी ही भूल गया।

मीनू- वो कैसे...?

अखिल- दोस्तों, क्या कोई ऐसा भी हो सकता है जो अपनी शादी जैसे जिंदगी के सबसे खूबसूरत दिन की तारीख ही भूल जाए। जी हां, पेईचिंग में चीन का एक बिजनेसमैन काम के अधिक दबाव के चलते अपनी शादी के दिन को ही भूल गया। नतीजतन शादी के दिन मंडप में ही नहीं पहुंचा और रिश्ता बनने से पहले ही टूट गया। अपनी गलती से वह इतना शर्मिदा हुआ कि उसने सार्वजनिक रूप से अपनी मंगेतर से मांफी मांगी है। उसने अखबारों और इंटरनेट में विज्ञापन निकलवाकर अपनी मंगेतर से माफी मांगी है। उसने गुजारिश करते हुए अपनी मंगेतर से कहा है कि वह उसके साथ जिंदगी बिताना चाहता है लिहाजा वह उसको एक मौका देते हुए उसके साथ शादी कर ले। पर... मंगेतर ने अभी तक कोई जवाब नहीं दिया है।

मीनू- अखिल जी..। यह बात तो सही है कि पेईचिंग, शंघाई जैसे बडे शहरों में लोगों पर काम का प्रेशर बहुत ज्यादा रहता है।

अखिल- जी हां..मीनू जी, यह तो मैं भी देखता हूं। पर मैं कहना चाहूंगा कि चीनी लोगों को प्रेशर में काम करने की आदत है और इसे झेल लेते है। चलिए..दोस्तों, अभी हम सुनते हैं एक गाना, उसके बाद करेंगे हंसी-मजाक की बाते और सुनाएंगे मजेदार कविता।

(गाना-2)

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