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    चुमुलांगमा यानी माउंट एवरेस्ट के रक्षक
    2014-05-25 19:12:55 cri

    हमारे संवाददाता सैनिकों के साथ

    इन्टरव्यू लेते हुए

    सैनिक भोज खाने के पूर्व

    चुमुलांगमा पर्वत से लगभग 50 किलोमीटर सीधी हवाई दूरी पर चीनी जन मुक्ति सेना की तिब्बत स्वायत्त प्रदेश शाखा का एक दल तैनात है। समुद्र तल से 4337 मीटर की ऊंचाई पर इस दल के सैनिक चीन और नेपाल के बीच 156 किलोमीटर लम्बी सीमा रेखा की रक्षा करते हैं। इस दल के सैनिक साल भर चुमुलांगमा पर्वत प्राकृतिक क्षेत्र के भीतर गश्त लगाते हैं, स्थानीय लोग उन्हें प्यार से"चुमुलांगमा पर्वत के रक्षक"कहलाते हैं। आज इस दल के सैनिकों की उम्र दिन ब दिन कम होने और अधिक से अधिक युवा होने की स्थिति सामने आई। गत् 80 वाले दशक में जन्मे सैनिक"ओल्ड साथी"माने जाते है।

    चुमुलांगमा पर्वत का तिब्बती जाति के सैनिक जाशी तुनचू के लिए विशेष अर्थ होता है। तिब्बती भाषा में"चुमुलांगमा"का मतलब"पवित्र माता"है। चुमुलांगमा पर्वत की रक्षा करने वाले एक सैनिक के रुप में जाशी तुनचू को बहुत गर्व होता है। अपनी जाति के पवित्र पर्वत की रक्षा करना उनके लिए काफी महत्व रखता है। तिब्बती सैनिक जाशी तुनचू ने कहा:"मेरी समझ में चुमुलांगमा विश्व में सबसे ऊंचा पर्वत है। यहां रक्षा का कार्य करने के दौरान हमारे मन में पहले स्थान प्राप्त करने की जिज्ञासा होता है। हमें लगता है कि चुमुलांगमा पर्वत की अपनी विशेष भावना होती है। इस तरह आम समय में हो, या सैन्य ट्रेनिंग करते वक्त, हम मुश्किलों को दूर कर हमेशा कोशिश करते हैं। मुझे लगता है कि चुमुलांगमा की भावना हमारे लिए प्रेरणा है।"

    चुमुलांगमा पर्वत की रक्षा करना तिब्बती जाति के सैनिक जाशी तुनचू के लिए गौरवपूर्ण बात है। इस तरह इसी स्थल पर वे सैनिक और आम जनता के बीच पुल की भूमिका निभाने को अपना कर्तव्य मानते हैं। जाशी तुनचू का कहना है:"भाषा के क्षेत्र में मैं अपने दल के दूसरे गैर तिब्बती जाति के सैनिकों और स्थानीय आम नागरिकों एवं स्थानीय सरकारी विभागों के बीच संपर्क करने में अपनी भूमिका निभा सकता हूँ। इस तरह हम सैनिक और स्थानीय लोगों के साथ संपर्क ज्यादा आसान होता है।"

    जाशी तुनचू ने कहा कि उनकी इस सैन्य टुकड़ी के अधिकतर सैनिकों का जन्म आम तौर पर 80 और 90 वाले दशक में हुआ, इसके साथ ही अधिक लोग घर के इकलौते बच्चे हैं। जाशी तुनचू इस टुकड़ी के कमांडर हैं और इन युवा सैनिकों का नेतृत्व करना उनके लिए चुनौती भी है। लेकिन उन्होंने कहा कि वे इन युवा सैनिकों से संतुष्ट हैं। उनके विचार में आजकल के युवाओं को व्यक्तिगत विचार दिखाना पसंद है। कुछ लोग मुश्किल चुनौतियों से आसानी से नहीं निपट पाते। लेकिन चुमुलांगमा पर्वत की रक्षा करने वाली इस सैन्य टुकड़ी में जीवन बिताना युवा सैनिकों के लिए अभ्यास भी माना जाता है।

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