जोखान मठ का दृश्य
सूत्र चक्कर करते हुए तिब्बती बंधु
पोटाला महल
पोटाला महल के सापास बैठते हुए यात्री
अगर आप एक रहस्यमय जगह जाकर अड्वेन्चर करना चाहते हैं, या एक विशेष प्राकृतिक दृश्य वाली जगह जाना चाहते हैं, तो तिब्बत आपके लिए सबसे अच्छा विकल्प होगा। यहां के दृश्य, संस्कृति, कला और धर्म आदि को आप कभी नहीं भूल पाएंगे। ल्हासा, तिब्बत का राजनीतिक, आर्थिक व सांस्कृतिक केंद्र है, आपको यहां जरूर आना चाहिए।
तिब्बती बौद्ध तीर्थयात्रियों के दिल में ल्हासा एक तीर्थ स्थल है। ऐसा कहते हैं कि अगर आप पोताला पैलेस नहीं गए, तो आप तिब्बत नहीं आए। तिब्बत के बारे में सारे रहस्य इसी पैलेस से शुरू होते हैं। लाल और सफेद रंग की दीवार और गोल्डन छत वाला यह पैलेस ल्हासा का प्रमुख आकर्षण है।
सुबह आठ बजे, पोताला पैलेस के बाहर पर्यटक और तीर्थयात्री इकट्ठे हो गए हैं। कई युवा अपने टेंट पैक कर रहे हैं, वे रात को यहां सो रहे थे और टिकट खरीदने का इंतज़ार कर रहे थे।"हम कल रात को यहां सो रहे थे और टिकट खरीदने का इंतज़ार कर रहे थे। मैं सानया से नाव से क्वांगशी पहुंचा, फिर क्यांगशी से बस से युन्नान पहुंचा, फिर युन्नान से पैदल से यहां आया। पहले दिन रास्ते में 7 घंटे लगे, मैं ऐसे ही घूमकर यहां पहुंचा। तिब्बत पहुंचने में कुल 20 से अधिक दिन लगे।"
सन् 641 में तिब्बत के राजा सोंगजेनगानपु ने थांग राजवंश की राजकुमारी वनछंग के साथ शादी की और पोताला पैलेस का निर्माण किया। इस पैलेस का क्षेत्रफल एक लाख 30 हज़ार वर्गमीटर से अधिक है और इसकी ऊंचाई 1 सौ 10 मीटर से अधिक। इस 13 मंजिला पैलेस में हज़ारों कमरे हैं। इस पैलेस के दो भाग हैं, लाल रंग पैलेस और सफेद रंग पैलेस। लाल रंग का मतलब है हैसियत, सफेद रंग का मतलब है शांति और पवित्रता। पोताला पैलेस ल्हासा शहर का महत्वपूर्ण प्रतीक है और दुनिया की छत पर मोती भी कहा जाता है। लोग यहां आकर पूजा करते हैं। साथ ही इस हज़ार साल पुराने पैलेस से लोगों को तिब्बती संस्कृति का एहसास भी कर सकते हैं। तिब्बती लोग समेत कई लोग पोताला में प्रवेश करने को जीवन का उपहार मानते हैं।
पोताला के अलावा ल्हासा में और एक तीर्थस्थल है, वह है जोखांग मठ, जिसका निर्माण 7वीं शताब्दी में हुआ था। यह तिब्बत में सबसे पुरानी इमारत है जो मिट्टी और लकड़ी से बनाई गई है। सैकड़ों धार्मिक लोग मठ के सामने प्रार्थना करते हैं।