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    चीन मेँ टेलीफोन सेवा
    2014-05-05 09:17:59 cri

     


    अनिल:आपका पत्र मिला कार्यक्रम सुनने वाले सभी श्रोताओं को अनिल पांडे का नमस्कार।

    वनिता:सभी श्रोताओं को वनिता का भी प्यार भरा नमस्कार।

    अनिलः आज के प्रोग्राम में हम श्रोताओं के ई-मेल और पत्र पढ़ेंगे। इसके बाद एक श्रोता के साथ हुई बातचीत के मुख्य अंश पेश किए जाएंगे।

    वनिता:दोस्तो, आज का पहला खत भेजने वाले हैं, दिल्ली से राम कुमार नीरज। वे लिखते हैं कि समाचारों को करीब से जानने में सी आर आई की भूमिका दिन प्रतिदिन बढ़ती जा रही है। आपकी साईट का नया स्वरुप बेहद आकर्षक और मनोरंजक है.सप्ताह भर कार्यक्रमों को नेट पर उपलब्ध करा कर आप सब ने मेरे दिल के एक बड़े अरमान को पूरा कर दिया है.दिल्ली जैसे महानगर में शॉर्टवेव रेडियो सुनना हमेशा एक चुनौती जैसा रहा है लेकिन अब आपके साईट पर कार्यक्रमों की उपलब्धता के साथ ही हैम इसे कभी भी कहीं भी उच्च गुणवता के साथ सुन सकते है.चीन का भ्रमण,सन्डे की मस्ती,मैत्री की आवाज,आपका पत्र मिला जैसे कई ऐसे कार्यक्रम है जो बरबस ही आपकी तरफ खिंच लाता है और सुनने को मजबूर करता है।

    अनिलः उन्होंने आगे लिखा है कि वास्तव में सी आर आई ने विश्व अंतरजाल पर घटित होने वाली गतिविधियों ने आधुनिक विश्व समुदाय में एक नवीन सांस्कृतिक चेतना का संचार किया है . जिस प्रकार किसी भी विचारधारा या उपलब्धि के अनेक आयाम होते हैं, उसी तरह सी आर आई के मात्र धनात्मक आयाम हैं,जिसे इसके साईट पर प्रत्य्क्ष रूप से देखा जा सकता है.यदि हम सी आर आई के सम्पूर्ण साईट के हिसाब से देखें तो इसमें कोई मतभेद नहीं हो सकता कि इस तकनीक के आविर्भाव और चरणबद्ध विकास के साथ साथ विश्व समुदाय में अनेक स्तरों पर बौद्धिक सामग्रियों का विनिमय अत्यंत सहज एवं सुगम हो गया है. वैचारिक आदान प्रदान की प्रक्रिया ने एक ऐसी सामाजिक चेतना का विकास किया जिसने सात समंदर की दूरिओं को पाट कर 'दुनिया को मुट्ठी' में कर लेने के स्वप्न को साकार सा कर दिया . अनेकानेक प्रश्नों के समाधान का कुंजी-पटल (की बोर्ड) पर बस एक आघात में उपलब्ध हो जाना,सी आर आई किसी इन्द्रजाल का आभास करा देता है और हम विज्ञान की क्षमताओं के आगे नतमस्तक हो जाते हैं. ज्ञान पिपासुओं के लिये सी आर आई के साईट पर उपलब्ध विविध पाठ्य सामग्री ,कला और साहित्य प्रेमियों के लिये मनवांछित दृश्य एवं श्रव्य कृतियों के वृहद संकलन ने हर उम्र के शॉर्ट वर्ग को अपनी और आकृष्ट करने में सम्फलता प्राप्त की है.

    वनिता:दोस्तो, आज का दूसरा खत आया है पश्चिम बंगाल से, इसे भेजने वाला हैं, बिधान चंद्र सान्याल। लिखते हैं कि 14 अप्रैल को पेईचिंग मेँ आयोजित हुई छठी भारत-चीन रणनीति वार्ता ने हमारा ध्यान आकर्षित किया। हमें आशा है कि इस वार्ता से दोनोँ देशोँ के बीच संबंधोँ के स्थिर और स्वस्थ विकास को बढ़ावा मिलेगा।

    उन्होंने आगे लिखा है कि इतिहास पुराना चीन की अल्पसंख्यक जातियोँ मेँ एक है छुयाडं जाति। जिसकी कुल जनसंख्या 82 हजार है । छुयाडं जाति की अपनी मौखिक भाषा है मगर लिखित भाषा नही है । यहां के लोग मिट्टी व पत्थर के 30 मीटर ऊचे मजबुत व शानदार भबन खड़ा कर सकते है । इस प्रकार छुयाडं जाति की बहुत सारी रोचक जानकारी देने के लिए सी आर आई हिन्दी सेवा को बहुत बहुत धन्यबाद ।

    अनिलः दोस्तो, अगला खत आया है केसिंगा ओड़िशा से भेजने वाले हैं सुरेश अग्रवाल। लिखते हैं कि दिनांक 14 अप्रैल को ताज़ा समाचारों के बाद पेश साप्ताहिक "चीन का भ्रमण" के तहत तिब्बत के राजधानी शहर ल्हासा तथा उससे 250 किलोमीटर दूर स्थित महत्वपूर्ण पर्यटन स्थल शिकाजे शहर के दर्शनीय स्थल और पवित्र मठों पर दी गई जानकारी काफी महत्वपूर्ण थी, परन्तु रिसैप्शन स्पष्ट न होने के कारण पूरी बात समझना मुमकिन नहीं हुआ, जिसका मुझे खेद है.ख़राब रिसैप्शन के अलावा उच्चारण सम्बन्धी कठिनाई के चलते भी बात को ठीक से नहीं समझा जा सका.कार्यक्रम यदि किसी भारतीय सहयोगी के स्वर में पेश किया जाता तो कठिन शब्दों को समझने में आसानी होती। वैसे ल्हासा शहर में प्रवेश करते ही अज़ीब सी शांति का एहसास हुआ और बौद्ध-सूत्र एवं मालाएं लिए लोगों को देख एक धार्मिक वातावरण की अनुभूति हुई.कार्यक्रम में लिया गया मठों का नाम तो ठीक से समझ में नहीं आया, हाँ, तेरह सौ साल पहले थांग राजवंश की राजकुमारी वन छांग के तिब्बत से ख़ास रिश्ते की कहानी कुछ-कुछ समझ में आयी, जो कि काफी दिलचस्प लगी.इसी प्रकार शिकाजे में भरपूर फसलें होने तथा उसकी चुमुलामा चोटी के बारे में दी गई जानकारी सामान्य-ज्ञान में वृध्दि करने वाली लगी.मैं हमेशा पूरे कार्यक्रम पर सूक्ष्म विवेचन प्रस्तुत करने की कोशिश करता हूँ, परन्तु प्रसारण स्पष्ट न हो, तो ऐसा न कर पाना मेरी मज़बूरी होती है.

    वनिता:उन्होंने आगे लिखा है कि कार्यक्रम "मैत्री की आवाज़" के अन्तर्गत विद्वान द्वय जानकी वल्लभजी तथा वानजी से भेंटवार्ता काफी शोरपूर्ण माहौल में रिकॉर्ड होने के कारण सुनने-समझने में बहुत कठिनाई पेश आयी.यह जान कर अच्छा लगा कि दोनों ही महानुभाव दशकों से भारत-चीन मित्रता को सुदृढ़ करने पुल का काम कर रहे हैं.जानकीजी 60 के दशक में चाइना रेड़ियो में काम कर चुके हैं और वानजी अब तक 43 पुस्तकें भी लिख चुके हैं और वह एकबार में तीन पुस्तकें लिखते हैं, यह जान कर अतीव प्रसन्नता हुई.कृपया बतलाने का कष्ट करें कि उक्त महानुभावों द्वारा लिखी हिन्दी पुस्तकें कैसे हासिल की जा सकती हैं.धन्यवाद।

    अनिलः दोस्तो, अगला खत आया है एसबीएस वर्ल्ड श्रोता क्लब से, भेजने वाले हैं एस बी शर्मा। लिखते हैं कि सीआरआई हिंदी सेवा की 55 वीं वर्षगांठ के पावन अवसर पर न्यू हराइज़न रेडियो लिस्नर्स क्लब द्वारा रक्तदान शिविर आयोजित किया गया। इसके लिए क्लब के सभी सदस्यों को बहुत बहुत बधाई भाई रविशंकर, देशंकर और बहन मनीषा को धन्यवाद। इससे न केवल सी आर आई का प्रचार और प्रसार बढ़ेगा बल्कि कई लोगों को उनकी आवश्यकता अनुसार आपात स्थिति में रक्त भी मिल सकेगा। वहीं चीन के सछ्वान प्रांत के आपा तिब्बती स्वायत प्रिफेक्चर के माओवन, वनछ्वान, लीश्येन, हेश्वे, सुडंफान में और म्यानयाडं क्षेत्र की पेइछ्वान काउन्टी के कुछ भागों रहने वाले पुरानी अल्प्संखयक छ्याडं जाति के विषय में जानकारी देने के किये बहुत बहुत धन्यवाद। छोटी लेकिन सटीक रोचक जानकारियो से लैस यह ज्ञान कभी न भूलने वाला ज्ञान है इसे पढ़ने और जानने में ठीक लगता है साथ ही सभी आवश्यक जानकारिया एक जगह मिल भी जाती है।

    वनिता:दोस्तो अगला खत भेजा है हमारे श्रोता अंक प्रताप सिंह ने। वे लिखते हैं कि दक्षिण एशिया फोकस कार्यक्रम मेँ पंकज जी द्वारा पेश दक्षिण एशिया की खबरोँ के साथ बंग्लादेश मेँ हाल मेँ सम्पन्न 20-20 वर्ल्डकप मेँ भारतीय खिलाडियोँ के प्रदर्शन पर खेल पत्रकार अमित रॉय के साथ बातचीत अच्छी लगी । भारतीय टीम के आगामी वर्ल्डकप के लिए दर पेश चुनौतियोँ का अच्छा विश्लेष्ण किया गया था । 13 अप्रैल को सण्डे की मस्ती कार्यक्रम मेँ दिलचस्प, रोचक जानकारियोँ के साथ इजराइली वैज्ञानिकोँ द्वारा तीन सैकेण्ड मेँ मोबाइल की बैटरी चार्ज होने के विषय मेँ सुना। कार्यक्रम मेँ चुटकुलोँ की बौछारोँ से खूब आनन्द उठाया ।

    अनिलः दोस्तो,इस के बाद बारी है, बिहार से दीपक कुमार दास का खत। लिखते हैं कि श्रोता क्लब की पेज पर पश्चिम बंगाल के न्यू हराइजन रेडियो लिस्नर्स क्लब द्वारा सीआरआई हिंदी सेवा की 55वीं जयंती के शुभ अवसर पर रक्तदान शिविर की फोटों देखकर मैंने अवाक् हो गया और सोचने लगा रविशंकर बसु भाई ने क्या कर दिखाया।मैं एक भारतीय होने के नाते गर्व महसूस कर रहा हूं कि न्यू हराइजन रेडियो क्लब ने सीआरआई के बैनर तले मानव कल्याण के लिए हिंदी सेवा की नाम पर रक्तदान शिविर आयोजन कर एक महान कार्य किया है। मैं अपने शब्दों में इसकी व्याख्यान नहीं कर सकता। मैं विशेष रूप से सीआरआई-हिंदी सेवा को हार्दिक शुभकामनाएं देता हूं कि सी आर आई ने अपने वेबसाइट पर न्यू हराइजन रेडियो लिस्नर्स क्लब के द्वारा इस स्वैच्छिक रक्तदान के जीता जगता तस्वीरें प्रस्तुत किया है। इस तरह की मानव कल्याणकारी कार्य भारत के किसी भी श्रोता क्लबों ने कर नहीं दिखाया। इसका जितना भी तारीफ किया जायेगा तो सूरज के रौशनी को दीपक दिखाने जैसा होगा। मैं सीआरआई और न्यू हराइज़न रेडियो क्लब को, साथ ही इस क्लब के सदस्य देवशंकर चक्रबर्ती एवं "मेरी प्यारी बेटी" मनीषा को स्नेह,प्यार एवं धन्यवाद देता हूं।

    वनिता:दोस्तो, अगला खत भेजा है श्रोता अंक प्रताप सिंह ने । लिखते हैं कि 15 अप्रैल के टी टाइम मेँ चीन मेँ चीन मेँ ऑनलाइन शॉपिग की बढ़ती लोकप्रियता के बारे मेँ सुना । फिल्मी क्षेत्र मेँ प्रदान किए जाने सर्वोच्च पुरस्कार दादा साहेब फाल्के के लिए चुने गए फिल्म निर्देशक ,गीतकार गुलजार को प्रदान किया गया है। ब्रिटिश कम्पनी द्वारा उत्तरी ब्राजील मेँ डेगू के मच्छर के खत्मेँ के लिए किए जा रहेँ शोध के विषय मेँ जानकारी प्राप्त हुई यदि यह शोध कार्य सफल रहा तो भारत के लिए भी अच्छी खबर है क्योकि भारत मेँ भी डेगू एक घातक समस्या है।

    अनिलः दोस्तो, बिहार से हमारे श्रोता हेमंत कुमार ने एक सवाल पूछा है कि चीन मेँ टेलीफोन सेवाओँ की शुरुआत कब और कहां हुई थी?

    इस सवाल का जवाब इस प्रकार है कि वर्ष 1875 शांगहाई व्यापारी ब्यूरो ने पहली बार टेलीफोन लाइनों का निर्माण किया था, जिससे चीन में टेलीफोन सेवा औपचारिक रूप से शुरू हुई। नए चीन की स्थापना से पहले चीन में दूरसंचार व्यवस्था का धीमी विकास हो रही थी। टेलीफोन के उपयोग की दर सिर्फ 0.05% थी और जिसके उपयोग करने वालों की संख्या 2 लाख 60 हजार थे। नए चीन की स्थापना के बाद इस व्यवस्था का तेज विकास हो रहा है। वर्ष 2003 तक 22 करोड़ 56 लाख 26 हजार लोग फिक्स्ड टेलीफोन का उपयोग करते हैं और मोबेई फोन का उपयोग करने वालों की संख्या 22 करोड़ 14 लाख 91 हजार तक जा पहुंची। पिछले वर्ष तक पूरे देश में 84.9 प्रतिशत के लोग मोबाइल फोन का उपयोग कर रहे थे।

    वनिता:दोस्तो, अब सुनिए हमारे श्रोता ... के साथ हुई बातचीत।

    अनिल:दोस्तो, इसी के साथ आपका पत्र मिला प्रोग्राम यही संपन्न होता है। अगर आपके पास कोई सुझाव या टिप्पणी हो तो हमें जरूर भेजें, हमें आपके खतों का इंतजार रहेगा। इसी उम्मीद के साथ कि अगले हफ्ते इसी दिन इसी वक्त आपसे फिर मुलाकात होगी। तब तक के लिए अनिल पांडे और वनिता को आज्ञा दीजिए, नमस्कार

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