वर्ष 2013 में चीन के राष्ट्रपति शी चिनफींग ने"एक पट्टी एक मार्ग"का अनुमोदन प्रस्तुत किया और विश्व भर में इस योजना का व्यापक स्वागत है । लेकिन अभी तक भारत में इसके प्रति काफी गलतफ़हमी मौजूद है । इसमें साफ जानकारियां देने के लिए चाइना रेडियो इंटरनेशनल के टिप्पणीकार ने अपने कार्यक्रम में कुछ समीक्षाएं प्रस्तुत की हैं ।
सपना – यह चाइना रेडियो इंटरनेशनल है । प्रिय दोस्तो, बहुत खुशी है कि मैं, सपना आज आप के साथ रही हूं । आज के कार्यक्रम में मैं और हमारे सीनियर टिप्पणीकार हूमिन जी आप के साथ"एक पट्टी एक मार्ग"के बारे में एक बातचीत करेंगे । हू साहब, नमस्ते ।
हू – नमस्ते । सपना जी ।
सपना – हम जानते हैं कि वर्ष 2013 में चीन के सर्वोच्च नेता शी चिनफींग ने"एक पट्टी एक मार्ग"का अनुमोदन प्रस्तुत किया और विश्व भर में इस योजना का व्यापक स्वागत है । लेकिन खेद की बात है कि अभी तक हमारे पड़ोसी देश भारत के कुछ लोगों में इसके प्रति गलतफ़हमी मौजूद है । इस पर आपका क्या विचार है ?
हूं – हां । चीन के राष्ट्रपति शी चिनफींग ने वर्ष 2013 में औपचारिक तौर पर"एक पट्टी एक मार्ग"का अनुमोदन प्रस्तुत किया । अंग्रेजी में इसे कहा जाता है बेल्ट एंड रोड । क्योंकि प्राचीन काल में विश्व के पूर्वी भाग से पश्चिम तक दो महत्वपूर्ण मार्ग मौजूद रहे यानी रेशम मार्ग और समुद्रीय रेशम मार्ग । चीनी नेता ने इसीलिए"एक पट्टी एक मार्ग"का अनुमोदन पेश किया यानी कि वे एशिया के प्रशांत महासागर के वेस्ट बैंक से पश्चिमी यूरोप तक एक विशाल आर्थिक क्षेत्र की स्थापना करना चाहते हैं । यह एक महान परियोजना है जिसका मकसद एशिया के पूर्वी तट से पश्चिमी यूरोप तक के विशाल क्षेत्रों के सभी देशों के लिए आर्थिक विकास का एक बड़ा मंच तैयार करना है ।
सपना – लेकिन आजकल की स्थितियों को देखते हुए यह मालूम है कि कुछ भारतीय दोस्तों को"एक पट्टी एक मार्ग"के प्रति संदेह है । उन्हें शायद शंका है कि"एक पट्टी एक मार्ग"के पीछे चीन का कोई सैनिक या रणनीतिक उद्देश्य है । और उन्हें शंका भी है कि चीन"एक पट्टी एक मार्ग"के निर्माण से भारत को घेरना चाहता है । आप के विचार में यह सही है कि नहीं ?
हू – यह बिल्कुल गलत है ।"एक पट्टी एक मार्ग"का निर्माण केवल भारत ही नहीं, वह किसी भी देश के खिलाफ नहीं है । आप जानते हैं कि चाइना का आर्थिक विकास अब किसी कुंजीभूत काल में गुजर रहा है । यह सच है कि चाइना को आर्थिक विकास का और बड़े बाजार और मंच होना चाहिये । इसी उद्देश्य में चीन ने"एक पट्टी एक मार्ग"का निर्माण करने की योजना पेश की है जिसका मकसद सिर्फ चीन के लिए नहीं, पूरे विश्व के लिए एक विशाल बाजार या गुंजाइश तैयार करना है । और इसी उद्देश्य में चीन ने ब्रिक्स बैंक, एशिया बुनियादी उपकरण निवेश बैंक यानी एआईआईबी और सिल्क रोड फंड आदि वित्तीय संस्थाओं की स्थापना का साथ दिया है । यहां हम गंभीरता से यह बताते हैं कि"एक पट्टी एक मार्ग"में कोई सैन्य तत्व नहीं है और वह किसी भी देश के खिलाफ नहीं है ।
सपना – जी, आपने जो बताया है मैं उससे 100 प्रतिशत सहमत हूं । लेकिन मुझे भी बताया गया है कि भारत का अपना आर्थिक विकास प्लान भी मौजूद है । मिसाल के तौर पर भारत का स्पाइस रोड और मानसून प्रोजेक्ट आदि । और प्रधानमंत्री मोदी जी ने मेक इन इंडिया की योजना भी पेश की है । क्या ये योजनाएं चीन के"एक पट्टी एक मार्ग"को ओवरलैप करती हैं ?
हू – जी नहीं । जैसा आपने कहा कि एशिया और यूरोप के अनेक देशों का अपना-अपना आर्थिक प्लान है ।"एक पट्टी एक मार्ग"इन देशों की आर्थिक विकास योजनाओं का स्थान नहीं लेता है, बल्कि इनके पूरक है । चीन का उद्देश्य विश्व दायरे में मुक्त व्यापार को बनाये रखना है, और इसीलिये हमें अधिकाधिक व्यापार, अधिकाधिक आयात-निर्यात तथा और विशाल बाजार चाहिये ।
सपना – जी । आप की समीक्षा सुनकर मुझे साफ हो जाता है कि"एक पट्टी एक मार्ग"कोई विस्तारवादी योजना नहीं है । वह एक शुद्ध आर्थिक ढ़ांचा है जिसमें सभी देशों की भागीदारी हो सकती है और सबको आर्थिक लाभ मिल सकेगा ।
हू – जी बिल्कुल ।
सपना – मुझे लगता है कि भारत की मीडिया में चीन के प्रति बहुत सी गलतफहमियां मौजूद हैं । आशा है कि आप दूसरे हफ्ते के कार्यक्रम में हमारे श्रोताओं को और कुछ बताएंगे । अच्छा, आज का कार्यक्रम यहीं समाप्त होता है, अब आप आज्ञा दे, नमस्ते ।
हू - फिर मिलेंगे ।