योग केंद्र के बाद हम गए सामुदायिक प्रोजेक्ट सेंटर। जहां पर भारतीय लोगों के साथ-साथ अन्य देशों के विदेशी भी स्वयंसेवक के तौर पर बच्चों को मुफ्त में अंग्रेज़ी पढ़ाते हैं। समय-समय पर लोगों की मदद के लिए चैरिटी अभियान भी चलाए जाते हैं। वहां हमें एक भारतीय दंपति परिवार मिला, जो खाली वक्त में इस कार्यक्रम में हिस्सा लेता है।
जबकि हमें वॉलेंटियर सेंटर भी ले जाया गया। यहां पहुंचकर शहर में स्वयंसेवकों के बारे में जाना। वे स्वैच्छिक रूप से शहर के बेहतर प्रबंधन के लिए काम कर रहे हैं। इसके साथ ही हमने देखा कि चीनी टैक्सी ड्राइवरों को अंग्रेजी सिखाई जा रही है। हर सप्ताह में एक बार डेढ़ घंटे की क्लास होती है। जिसमें विदेशी टीचर ग्राहकों के साथ बातचीत और लेन-देन आदि करने के बारे में पढ़ाते हैं। टैक्सी ड्राइवर बड़े उत्साह से क्लास में आ रहे हैं।
इसका असर यह होगा कि आने वाले समय में जब भी आप श्यामन आएंगे तो टैक्सी ड्राइवर आपसे अंग्रेज़ी में बात करेंगे। सितंबर में होने वाले ब्रिक्स सम्मेलन के दौरान भी विदेशियों को टैक्सी से इधर-उधर जाने में आसानी होगी।
अनिल आज़ाद पांडेय