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    चीनी उप राजदूत ने दलाई लामा के मुद्दे पर चर्चा की
    2017-04-24 12:51:49 cri
    भारत में प्रकाशित होने वाली एक पत्रिका में भारतीय संवाददाता और भारत स्थित चीनी उप राजदूत ल्यू चिनसोंग के बीच 10 अप्रैल को हुई बातचीत के मुख्य अंश प्रकाशित हुए। यह पत्रिका 23 अप्रैल को प्रकाशित हुई।

    संवाददाता ने पूछा कि दलाई लामा ने तथाकथित"अरुणाचल प्रदेश"की यात्रा की, इस बारे में आपका क्या विचार है?ल्यू चिनसोंग ने कहा कि हम दलाई लामा के तथाकथित"अरुणाचल प्रदेश"की यात्रा का कड़ा विरोध करते हैं। यहां चीन में"दक्षिण तिब्बत"कहा जाता है। दलाई लामा के इस स्थल का दौरा करने से चीन-भारत संबंध को क्षति पहुंची है और साथ ही दोनों पक्षों के बीच सीमा मुद्दे के समाधान के लिए किए गए प्रयास को भी नुकसान पहुंचा है।

    ल्यू चिनसोंग ने कहा कि भारत सरकार ने चीन को कुछ वचन दिये थे। पहला, तिब्बत स्वायत्त प्रदेश को चीन की प्रादेशिक भूमि का अभिन्न अंग माना जाएगा। दूसरा, निर्वासित तिब्बतियों को चीन के मुकाबले के लिए किसी भी राजनीतिक कार्रवाई की मंजूरी नहीं दी जाएगी। तीसरा, सीमांत क्षेत्र की शांति और अमन चैन तथा संबंधित वार्ता के वातावरण को बनाए रखने का प्रयास किया जाता रहेगा और आपसी विश्वास को क्षति पहुंचाने वाला कोई कदम नहीं उठाया जाएगा। लेकिन भारत सरकार ने दलाई लामा को दक्षिण तिब्बत के दौरे की मंजूरी दी, जिससे इन तीन वचनों और रुख का उल्लंघन हुआ।

    ल्यू चिनसोंग के मुताबिक, चीन सरकार के विचार में दलाई लामा की मौजूदा यात्रा बहुत गंभीर मुद्दा है। हमने भारत के सामने गंभीर रुप से मामला उठाया और अपना कड़ा विरोध जताया।

    दलाई लामा के तथाकथित"तिब्बत के स्वशासन"के मुद्दे की चर्चा करते हुए उप राजदूत ल्यू चिनसोंग ने कहा कि दलाई लामा चीन की एक-चौथाई भूमि में"बड़ा तिब्बत"और तथाकथित"उच्च स्तरीय स्वशासन"करना चाहता है। उनकी मांग है कि चीन सरकार तिब्बत से सेना हटा ले, जो बिलकुल असंभव है। चीन तिब्बत में जातीय क्षेत्रीय स्वशासन की नीति लागू करती है। तिब्बत एक स्वायत्त प्रदेश बन चुका है। दलाई लामा के तथाकथित"उच्च स्तरीय स्वशासन"हमारे जातीय क्षेत्रीय स्वशासन से बिलकुल अलग है, वह दूसरे तरीके वाली स्वाधीनता है। उनके इस विचार को हम कभी भी स्वीकार नहीं करेंगे।

    ल्यू चिनसोंग ने यह भी कहा कि दलाई लामा का मुद्दा चीन-भारत संबंधों में पूराना मुद्दा है। साल 1959 के बाद से लेकर अब तक यह मामला मौजूद रहा है, जिससे दोनों देशों के संबंध पर नकारात्मक प्रभाव पड़ा है। भारत सरकार किसी तरह दलाई लामा के साथ व्यवहार करती है?दलाई लामा के मुद्दे से चीन-भारत संबंध पर पैदा प्रभाव को कैसे दूर करती है?और वह चीन के मूल हितों और उचित मांग का समादर है कि नहीं? यह दलाई लामा से जुड़े मुद्दे के समाधान की कड़ी है।

    (श्याओ थांग)

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