दुनिया के किसी भी कोने में चले जाइए, आपको मेड इन चाइना उत्पाद आसानी से मिल जाएंगे। लेकिन अक्सर चीनी वस्तुओं को लेकर लोगों के मन में एक तरह का संदेह होता है। इसके साथ ही अमेरिका व यूरोपीय देश चीन के खिलाफ़ एंटी डंपिंग नीति लागू करते रहे हैं। एक ओर वैश्वीकरण की बात होती है, दूसरी ओर व्यापार संरक्षणवाद पर एजेंडा चलाया जा रहा है। डोनाल्ड ट्रंप के अमेरिका का राष्ट्रपति बनने के बाद ग्लोबल दुनिया का दायरा व्यापक होने की उम्मीदों को झटका लगा है।
चीन पर यह आरोप भी लगाया जाता है कि वह मेड इन चाइना नीति के जरिए विदेशी कंपनियों को नियंत्रित करता है। इसके मद्देनजर चीनी उद्योग व सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री म्याओ यू ने 12वीं एनपीसी के दौरान यह स्पष्ट किया कि चीन आखिर क्या चाहता है। चीनी मंत्री ने साफ तौर पर कहा कि मेड इन चाइना नीति 2025 किसी भी देश या कंपनी के खिलाफ़ नहीं है। इसका उद्देश्य चीनी उद्योगों को मजबूत बनाना है। इसे कुछ इस तरह समझा जा सकता है कि प्रत्येक देश अपनी वस्तुओं को ग्लोबल स्तर पर पहुंचाना चाहता है। इसके पीछे औद्योगिक विकास में तेज़ी लाने का मकसद होता है। इस पर संदेह करना वैश्विक दरवाजे को बंद करना जैसा हो सकता है। उदाहरण के तौर पर पड़ोसी देश भारत का नाम लिया जा सकता है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी भारत की साख वैश्विक स्तर पर मजबूत करने और देश में उत्पादन बढ़ाने के लिए मेक इन इंडिया योजना की शुरुआत की।
वैश्विक मंदी की स्थिति में भारत और चीन जैसी अर्थव्यवस्थाओं को दूसरे देशों में निवेश करने की जरूरत है। चीन अब भी विश्व में सबसे ज्यादा फॉरेन एक्सचेंज रिजर्व रखने वाला देश है। अगर चीन किसी देश में निवेश करता है या फिर अपने उत्पादों को बढ़ावा देता है तो इसमें क्या हर्ज है। इसके साथ ही चीन विश्व के कारखाने के तौर पर बनी अपनी पहचान को विस्तृत रूप देना चाहता है। चीन में बने उत्पाद बेहतर गुणवत्ता के होते हैं, इस सूची में सबसे ऊपर नाम हाई स्पीड ट्रेनों का लिया जा सकता है। ऐसे में विदेशी कंपनियों को भी चीनी कंपनियों के साथ प्रतिस्पर्धा में शामिल होना चाहिए। ताकि उपभोक्ताओं को बेहतर और कम कीमत पर उत्पाद हासिल हो सकें।
चीन सरकार मेड इन चाइना की नीति पर ज़ोर देने के साथ-साथ बाहरी कंपनियों को भी चीन में आमंत्रित कर रही है। अमेरिका और यूरोप को बेवजह चीन पर पाबंदी लगाने के बजाय स्वस्थ प्रतिस्पर्धी बनने की जरूरत है।
आज दुनिया एक ग्लोबल विलेज में तब्दील हो चुकी है, ऐसे में व्यापार संरक्षणवाद और नियंत्रण जैसे कदम वैश्विक अर्थव्यवस्था के लिए घातक हो सकते हैं। इसलिए विकसित देशों को चीन के खिलाफ एंटी डंपिग जैसी नीतियां खत्म कर निष्पक्ष रवैया अपनाना चाहिए।
अनिल आज़ाद पांडेय