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    चीन के सम्मेलनों से दुनिया को मिलेगी दिशा
    2017-03-10 14:22:52 cri

    चीन में साल के दो सबसे बड़े सम्मेलनों एनपीसी और सीपीपीसीसी पर चीन सहित दुनिया भर के लोग नज़र गड़ाए हुए हैं। राष्ट्रपति शी चिनफिंग के नेतृत्व में चीन सरकार और कम्युनिस्ट पार्टी विश्व को दिखा रहे हैं कि चीन क्या करने में सक्षम है। पिछले साल हांगचो में जी-20 के सफल आयोजन के बाद चीन के लिए यह विश्व का ध्यान आकर्षित करने का सबसे महत्वपूर्ण मंच है। यह कहने में कोई दोराय नहीं कि चीन इन दो सम्मेलनों के जरिए दुनिया को अपना महत्व और भूमिका को सही ढंग से बताने में सफल हुआ है।वैश्विक मंदी के दौर में दुनिया में आर्थिक स्थिरता कायम करने की दिशा में एनपीसी और सीपीपीसीसी के सम्मेलन बेहद अहम भूमिका निभा रहे हैं।मंदी के बावजूद चीन की वृद्धि दर 6.5 फ़ीसदी से अधिक रही है, जो कई विकसित देशों से बहुत अधिक है। ऐसे में आने वाले समय में चीन ग्लोबल स्तर पर और बड़ी रचनात्मक भूमिका निभाएगा।

    इसके साथ ही चीन के सर्वोच्च प्रतिनिधियों का ध्यान जलवायु परिवर्तन, गरीबी उन्मूलन, विश्व शांति और आतंकवाद से निपटने पर है। जाहिर सी बात है कि आज चीन विश्व की दूसरी सबसे बड़ी आर्थिक शक्ति है, ऐसे में वह अपनी वैश्विक ज़िम्मेदारी को पूरी तरह समझता है। जलवायु परिवर्तन और पर्यावरण प्रदूषण के मुकाबले में चीन अग्रणी योगदान दे रहा है। जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए प्रमुख तौर पर आगे आने वाले देशों में से चीन भी एक है। जबकि प्रदूषण की समस्या को सुलझाने के लिए स्वच्छ ऊर्जा और पुनरूत्पादनीय ऊर्जा के इस्तेमाल को बढ़ावा दिया जा रहा है। हाल के वर्षों में चीन में साइकिलों का चलन भी तेज़ी से बढ़ा है, जो पर्यावरण को साफ करने की दिशा में बड़ा कदम कहा जा सकता है।

    वहीं एक पट्टी-एक मार्ग के जरिए तमाम देशों को जोड़ने की कवायद एनपीसी और सीपीपीसीसी सम्मेलनों में भी स्पष्ट रूप से सामने आयी है।आगामी मई माह में चीन में एक पट्टी-एक मार्ग पर अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन किया जाएगा। चीनी विदेश मंत्री वांग यी ने मीडिया से बातचीत में यह समझाने की कोशिश की है कि बेल्ट और रोड योजना सिर्फ चीन की नहीं है। इसे आगे बढ़ाने और सफलता से पूरा करने में सभी देशों को अपनी-अपनी भूमिका निभाने की जरूरत है। इस योजना से न केवल संबंधित देशों का आधारभूत ढांचा सुधरेगा, बल्कि समृद्धि भी आएगी और देशों की आपसी मैत्री भी मजबूत होगी। उम्मीद की जानी चाहिए कि चीन की इस पहल में सभी संबंधित देश भागीदार बनेंगे।

    जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय के अंतर्राष्ट्रीय मामलों के प्रोफेसर स्वर्ण सिंह ने बातचीत में कहा कि तमाम विशेषज्ञ राष्ट्रपति शी चिनफिंग की एक पट्टी-एक मार्ग योजना की तुलना अमेरिका के मार्शल प्लान से कर रहे हैं। मार्शल प्लान का लाभ यूरोप के साथ-साथ अमेरिका को भी मिला। ठीक उसी तरह एक पट्टी-एक मार्ग योजना का फायदा विश्व के विभिन्न देशों के साथ-साथ चीन को भी मिलेगा। मार्शल प्लान को द्वितीय विश्व युद्ध के बाद 1948 में यूरोप की बहाली के लिए शुरू किया गया था।

    बीजिंग में चल रहे उक्त दो खास सम्मेलनों में कुछ अहम मुद्दों पर ध्यान देना जरुरी है। मसलन चीन के विशेष प्रतिनिधि इसके जरिए देश की आंतरिक समस्याओं को सुलझाने के लिए ज़ोर-शोर से योजनाओं का खांका तैयार करने में जुटे हैं। गरीबी उन्मूलन पर भी चीन के उच्च नेताओं का ध्यान है। हाल के वर्षों में चीन सरकार ने खुशहाल समाज के निर्माण के लिए सराहनीय कदम उठाए हैं। गरीब और पिछड़े इलाकों के विकास पर विशेष ज़ोर दिया जा रहा है।इसमें तिब्बत और चीन के पश्चिमी क्षेत्रों का उदाहरण दिया जा सकता है। पिछले कुछ दशकों में करोड़ों लोगों को गरीबी के जाल से मुक्त करने में चीन कामयाब हुआ है। यह दूसरे देशों के लिए एक सबक की तरह है।

    जैसा कि हम जानते हैं कि चीन लगभग दो दशक तक अपनी विकास दर को दोहरे अंकों में स्थिर रखने में कामयाब रहा। दुनिया भर में छायी मंदी के बाद भी चीन का प्रदर्शन अच्छा है। पिछले कुछ समय से चीन ने अपना ध्यान सामान्य ग्रोथ से क्वालिटी ग्रोथ और आर्थिक स्थिरता कायम करने पर लगाया है। बीजिंग में जारी दो सम्मेलनों में यह बात स्पष्ट हुई।

    इसके अलावा उक्त दो सम्लेलनों में निचले तबके और समाज के कमजोर वर्गों का प्रतिनिधित्व बढ़ चुका है, जबकि पारदर्शिता पर भी ध्यान है। वहीं भ्रष्टाचार से सख्ती से लड़ने की राष्ट्रपति शी की मुहिम को एनपीसी और सीपीपीसीसी में व्यापक समर्थन मिला है। इससे स्पष्ट हो जाता है कि आने वाले समय में भी चीन सरकार और कम्युनिस्ट पार्टी देश को भ्रष्टाचार मुक्त करने के लिए अभियान जारी रखेगी।

    वहीं चीन विश्व को भी शांति, सुरक्षा और एकता का संदेश दे रहा है। ऐसे वक्त में जब दुनिया आतंकवाद की विभीषिका को झेल रही है। कोरिया प्रायद्वीप में स्थिति तनावपूर्ण है। अमेरिका और दक्षिण कोरिया द्वारा थाड मिसाइल रक्षा प्रणाली की तैनाती की पूरी तैयारी की जा चुकी है। वहीं उत्तर कोरिया भी बार-बार मिसाइल परीक्षण कर तनाव बढ़ाने का ही काम कर रहा है। इस लिहाज से एशिया ही नहीं विश्व में भी चीन की भूमिका महत्वपूर्ण है।

    कुल मिलाकर कहा जाए तो एनपीसी और सीपीपीसीसी ने न केवल चीन के अंदरूनी मसलों को हल करने और योजनाएं तैयार करने में बड़ी पहल की है, बल्कि अंतर्राष्ट्रीय चिंताओं पर भी ध्यान दिया है।

    अनिल आज़ाद पांडेय

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