संगीतकार वेई मिंगरू
दक्षिण पश्चिमी चीन के युन्नान प्रांत के दअहोंग ताई और चिंगफो जातीय स्वायत्त प्रिफेक्चर में ताई बहुल क्षेत्र है। ताई जाति की अपनी भाषा और लिपि ही नहीं, संगीत शैली और खास वाद्ययंत्र भी मौजूद हैं। ताई लोग नाच-गान में निपुण हैं। खेती की जमीन पर और आग का घेराव कर ताई लोग गाते हुए नाचते हैं।दअहोंग की ताई भाषा के कुल 6 टॉन हैं, इसके आधार पर जन्मे ताई लोकगीत मधुर है। गीत के बोल चाहे कम हो, या ज्यादा, आम तौर पर सामयिक रचना है। इसका परिचय देते हुए वेई मिंगरू ने कहा:"दअहोंग में ताई जाति के लोकगीतों की दर्जन किस्में हैं। देश भर में अधिकांश ताई जातिय संगीत दअहोंग क्षेत्र के ताई लोकसंगीत के आधार पर रचे जाते हैं। ऐसा कहा जा सकता है कि दअहोंग ताई संगीत के बराबर न होने वाला गीत वास्तविक ताई गीत नहीं है।"
वेई मिंगरू द्वारा रचे गए ताई गीतों की धुन में छंगज़ी पहाड़ी गीत, पाज़ी पहाड़ी गीत, मोर धुन और रेइली धुन आदि शामिल हैं, जिनके विषयों में अधिकतर ताई लोगों के सुखमय जीवन, परंपरागत त्योहार, जन्मभूमि का गुणगान है। उनकी रचना"शराब का गीत"ताई लोगों के मिलन समारोह में अपरिहार्य गीत बन गया है। रेइली की धुन युन्नान प्रांत के रेइली क्षेत्र में ताई जाति के लोकगीत का प्रतिनिधित्व है। गायन शैली पुरुष और महिला का प्रेम गीत है, गीत के बोल भी सामयिक तौर पर रचे जाते हैं। दो व्यक्ति पूरी रात गा सकते हैं, यहां तक कि कुछ रातों में गाना भी संभव है। प्रेम और प्रेमिका गाते हुए एक दूसरे की प्रशंसा करते हैं और अपने मन की भावना व्यक्त करते हैं। वेई मिंगरू परिचय देते हुए गाते हुए कहा:"मैंने रेईली धुन के आधार पर ताई जाति के खास वाद्ययंत्र हूलूसी की एकल धुन रची, जिसका नाम है'सुन्दर रेइली'। शुरू में इस प्रकार है....यह गति धीमी है। मध्य भाग इस प्रकार है... और यह गति तेज़ है। इस प्रकार की धुन से रेईली की सुन्दरता का वर्णन किया जाता है। धुन सुनते हुए ताई जाती के लोगों के नाचगान का दृश्य सामने नज़र आ जाता है।"