जिन पाओ दक्षिण पश्चिमी चीन के युन्नान प्रांत में ताई ओपेरा के उत्तराधिकारी हैं, जिसके ताई ओपेरा के साथ संबंध वर्ष 1967 में छह-सात वर्ष की उम्र में रहा। उस समय त्योहार के दिनों में हर गांव में ताई ओपेरा का अभिनय किया जाता था। बैल पालने वाले बच्चे जिन पाओ के लिए ताई ओपेरा का मज़ा लेना सबसे खुशी की बात थी। बाद में वह नृत्य गान मंडली में प्रवेश हुआ। इसको याद करते हुए जिन पाओ ने कहा:"नृत्य-गान मंडली के लोग कलाकारों की भर्ती करने के लिए हमारे गांव आये, उस समय मैं मिडिल स्कूल से स्नातक भी नहीं हुआ था और घर में खेती का काम करता था। मुझमें नृत्य गान मंडली में दाखिल होने की परीक्षा देने की हिम्मत नहीं थी। एक दिन, मेरे एक दोस्त की शादी हुई, मैं उसके साथ दुल्हन लेने गया। रास्ते में खेत में मेरी मुलाकात ताई ओपेरा नृत्य गान मंडली के कर्मचारियों से हुई। उन्होंने मुझसे पूछा कि क्या मैं गाना गाने में निपुण हूं। मैंने हां कहा और दो गीत गाकर सुना दिये। 5 दिन बाद मुझे नृत्य गान मंडली में शामिल होने की मंजूरी मिल गई।"
17 वर्ष की उम्र में जिन पाओ नृत्य गान मंडली में शामिल हो गया। दूसरे कलाकारों की तुलना में उसकी आयु बहुत देर थी। इसके साथ ही उसे ताई ओपेरा के बारे में कोई जानकारी भी नहीं थी। इस वजह से जिन पाओ ने बहुत प्रयास किया और छह सालों के बाद वह अभिनय दल का उप निदेशक बन गया, और फिर 8 सालों के बाद दल प्रमुख निदेशक बन गया। उसके द्वारा प्रस्तुत"अपिंग और सांगलो", "हाई हान"और"नान शीला"जैसे ताई ओपेरा के नाटक ताई लोगों के बीच बहुत लोकप्रिय हैं।
"अपिंग और सांगलो"के ओपेरा नाटक में अपिंग और सांगलो की प्रेम कहानी सुनाई गई है। सांगलो नाम के एक युवक को अपिंग नाम की युवती से प्रेम हो जाता है। शादी के लिए सांगलो मां से मंजूरी मांगने जाता है। लेकिन मां इसका विरोध करती है। बाद में अपिंग की मौत हो जाती है और सांगलो भी प्रेमिका के गम में मर जाता है। अंत में दोनों प्रेमी-प्रेमिका आकाश में दो सितारे बन जाते हैं और हमेशा एकसाथ रहने लगते हैं। यह कहानी ताई जाति के लोगों के बीच बहुत लोकप्रिय है, जिससे ताई जाति के लोगों में सुखमय जीवन की खोज जाहिर होती है।