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    बांग्लादेश की मीडिया पर प्रकाशित शी चिनफिंग का लेख
    2016-10-14 18:23:59 cri

    चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग 14 अक्तूबर को दोपहर बांग्लादेश की राजकीय यात्रा पर ढांका पहुंचे। इसके साथ उन का लिखा एक लेख बांग्लादेश के अख़बार Daily Star और The Daily Ittefaq पर छपा, जिसका शीर्षक है 'चीन-बांग्लादेश के बीच सहयोग को स्वर्णिम फल मिले'। लेख के मुख्य अंश प्रस्तुत हैं।

    लेख में लिखा गया है कि बांग्लादेश के राष्ट्रपति के आमंत्रण पर मैं पतझड़ के सुहाने मौसम में खूबसूरत बांगलादेश की यात्रा पर आया हूं। 6 सालों के अंतराल के बाद यह इस देश की मेरी दूसरी यात्रा है। मैं बांग्लादेश के अपने नए एवं पुराने दोस्तों से मैत्री, विकास एवं सहयोग पर विचारों के आदान-प्रदान की प्रतीक्षा में हूं।

    अपने लेख में शी चिनफिंग ने Padma ,Jomuna और Meghna तीनों प्रमुख नदियों के नाम लेते हुए बांग्लादेश की सुरम्य प्रकृति, पुरानी एवं समृद्ध संस्कृति, मेहनती एवं बुद्धिमान जनता की प्रशंसा की और विशेषकर विश्वविख्यात भारतीय साहित्कार रवींद्रनाथ टेगोर की बंगाली में लिखित कविताओं की अच्छी-खासी चर्चा की।

    लेख में कहा गया है कि चीन और बांग्लादेश दोनों के लोग प्राचीन काल से ही एक दूसरे के अच्छे पड़ोसी एवं अच्छे दोस्त रहे हैं। प्राचीन रेशम मार्ग दोनों देशों को एक दूसरे से जोड़ने वाला सेतु रहा है। इस मार्ग के जरिए प्राचीन काल में चीन के मशहूर बौद्ध-भिक्षु फ़ाह्यान और ह्वेन त्सांग बौद्धसूत्रों के अध्ययन और उन्हें अपने देश लेने हुते दक्षिण उपमहाद्वीप गए थे और बांग्लादेश के वरिष्ठ बौद्ध-भिक्षु Atisa बौद्ध सूत्रों के प्रचार-प्रसार के लिए चीन आए थे। चीन के मिंग राजवंश काल में प्रसिद्ध नाविक जंग ह दो बार बांग्लादेश गए थे और बांग्लादेश के तत्कालीन महाराजा ने उनके द्वारा तत्कालीन चीनी सम्राट तक मूल्यवान उपहार पहुंचाया था।

    लेख के अनुसार आधुनिक काल में चीन और बांग्लादेश दोनों देशों की जनता को युद्ध,राष्ट्रीय गरीबी एवं कमजोरी सताते रहे। राष्ट्रीय स्वतंत्रता, मुक्ति, विकास एवं प्रगति को प्राप्त करने के लिए दोनों देशों की जनता ने कठोर प्रयास किया और दोनों देशों के बीच मजबूत मैत्री एवं विश्वास कायम हुआ। पिछली सदी के 50 और 60 वाले दशकों में चीन के तत्कालीन प्रधान मंत्री चो एनलाई दो बार ढाका गए थे और बांग्लादेश के राष्ट्रपिता Mujib Rahmanने भी दो बार चीन की यात्रा की थी। असल में दोनों देशों के बीच राजनयिक संबंधों की स्थापना से पूर्व दोनों देशों के राजनेताओँ ने द्विपक्षीय मैत्री का पेड़ लगाया था। आज यह पेड़ फला-फूला है। द्विपक्षीय राजनयिक संबंधों की स्थापना के बाद पिछले 41 सालों में चीन ने बांग्लादेश को एक सच्चा दोस्त एवं साझेदार माना है और बांग्लादेश के साथ अपने रिश्तों को बड़ा महत्व दिया है। दोनों देशों ने एक दूसरे के केंद्रीय हितों से जुड़े मुद्दों पर एक दूसरे का सतत समर्थन किया है। पिछले साल सितम्बर में न्यूयार्क में संयुक्त राष्ट्र के 70वें जन्मदिवस के अवसर पर आयोजित शिखर सम्मेलन में मेरी और बांग्लादेश की प्रधान मंत्री सुश्री Sheikh Hasinaसे मैत्रीपूर्ण बातचीत हुई। इसमें चीन और बांग्लादेश के बीच विभिन्न क्षेत्रों में सहयोग को चौतरफा तौर पर आगे बढाने पर सहमति बनी और समान अभिलाषा भी व्यक्त की गई कि रूड एंड बेल्ट की रणनीति के तहत बांग्लादेश-चीन-म्यामार आर्थिक गलियार के निर्माण को गति दी जाए।

    लेख में कहा गया है कि चीन और बांग्लादेश के बीच ठोस सहयोग बहुत सफल रहे हैं। व्यापार में चीन बांग्लादेश का सब से बड़ा साझेदार हो गया है और बांग्लादेश दक्षिण एशिया में चीन का तीसरा सब से बड़ा व्यापारिक साझेदार तथा परियोजना-ठेके के बाजार में चीन का दूसरा सब से बड़ा सहयोगी बना है। दोनों देशों का व्यापार वर्ष 2000 के 90 करोड़ अमेरिकी डॉलर से बढ़कर पिछले साल के 14 अरब 70 करोड़ डॉलर हो गई।

    चीन और बांग्लादेश दोनों बड़ी आबादी वाले विकासशील देश हैं। दोनों की मिलती-जुलती परिस्थितियां हैं और विकास के लक्ष्य भी एक जैसा है। चाहे भू-स्थिति हो या जनसंख्या के पैमाने, चाहे बाजार की निहित शक्ति हो या विकास की गुंजाइश, सर्वांगीण दृष्टि से बांग्लादेश दक्षिण एशिया और हिंद महासागरीय इलाकों में चीन का निहायत जरूरी सहयोगी है।

    लेख के अंत में शी चिनफिंग ने चीन-बांग्लादेश रिश्ते एवं सहयोग को नई बुलंदी पर पहुंचाने के लिए 4सूत्रीय सुझाव पेश किए। एक, राजनीतिक आदान-प्रदान मजबूत बनाया जाए। दो, विकास की रणनीतियों में अधिक समंवय बिठाया जाए। तीन, दक्षिण-दक्षिण सहयोग को आगे बढ़ाया जाए और चार, मैत्री का नया पुल बनाया जाए, ताकि अधिकाधिक आम लोग द्विपक्षीय मैत्री को आगे ले जाने में योगदान कर सके।

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