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अलुनछुन जाति की अपनी लिपि नहीं होने के कारण आम तौर पर शिक्षक शिष्य को फेस टू फेस भाषा सिखाते हैं। कला मंडली में अलुनछुन भाषा अच्छी तरह बोलने वाली दीदी वू श्योमिन शिक्षक के रूप में दूसरे सदस्यों को भाषा बोलने और अलुनछुन गीत नृत्य सिखाने लगा। दीदी वू ने कहा:"वर्तमान में हमारी जाति के युवक अच्छी तरह से अलुनछुन भाषा नहीं बोल सकते। उनके पास अलुनछुन भाषा बोलने का वातावरण भी नहीं है। इस तरह मुझे उन्हें धीरे-धीरे और एक-एक वाक्य पढ़ाना है।"
"मरिकन लोक कला मंडली"अभ्यास करके अभिनय और प्रदर्शन करता है। स्थानीय सरकार मंडली के विकास पर ध्यान देते हुए उसका आर्थिक समर्थन भी करती है। सामाजिक कल्याण सांस्कृतिक प्रदर्शन में भाग लेने के लिए मंडली के सदस्यों को सरकार से भत्ता मिलता है। इसके साथ ही अभिनय के वस्त्र, संबंधित प्रदर्शन-सामग्री की खरीदारी का खर्चा कस्बाई प्रशासन ने भी किया। कूली कस्बा की उप प्रमुख पाई फिंगयिंग ने कहा:"हम ने वस्त्र, प्रदर्शन सामग्री खरीदने और बनने में पूंजी समर्थन किया। अगर मंडली को कुछ जानवर की खाल और भोजपत्र से बनी हुई वस्तुओं की आवश्यकता होती है, तो हम उसे कच्ची सामग्री प्रदान करते हैं।"
वर्तमान में"मरिकन लोक कला मंडली"से प्रभावित होकर कूली कस्बा में कई 5-6 उम्र वाले बच्चों को अलुनछुन भाषा के लोकगीत आते हैं। मंडली ने कई अभिनय और प्रदर्शन के मंच में भाग लिया और दर्शकों की वाहवाही लूटी। इससे मंडली के सदस्यों के मन में विश्वास बढ़ा है। साथ ही उन्हें अपनी जातीय संस्कृति को विरासत के रूप में लेते हुए उसका आगे विकास करने का उत्तरदायित्व भी बढ़ गया।"मरिकन लोक कला मंडली"के अध्यक्ष क्वान योंगकांग ने कहा:"हमारा 'मरिकन लोक कला मंडली' न सिर्फ़ कूली कस्बा का प्रतिनिधित्व करता है, बल्कि बाहर जाकर प्रदर्शन के दौरान हम संपूर्ण अलुनछुन जाति का प्रतिनिधित्व भी करते है।"
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