भारत स्थित चीनी कार्यवाहक उपराजदूत ल्यू चिनसोंग ने हाल ही में समाचार पत्र द हिंदू में एक लेख जारी किया। इस लेख का शीर्षक है दो बड़े शिखर सम्मेलनों को अच्छी तरह से आयोजित कर एशियाई शताब्दी बनाएं। इसमें यह लिखा गया है कि जब विश्व आर्थिक वृद्धि एशिया खासतौर पर चीन व भारत पर निर्भर करती है, तो अंतर्राष्ट्रीय समुदाय की नज़र अवश्य चीन व भारत में आयोजित होने वाले दो शिखर सम्मेलनों पर केंद्रित होगी।
लेख में कहा गया है कि चीन के पूर्व नेता डन श्याओफिंग ने कहा था कि केवल चीन व भारत दोनों का विकास होगा, तो वास्तविक एशियाई शताब्दी आएगी। उनकी बातें अब सही साबित हो रही हैं। एशिया अब वैश्विक अर्थव्यवस्था का नया केंद्र बन रहा है। चीन व भारत क्रमशः विश्व के दूसरे व सातवें बड़े आर्थिक समुदाय हैं। दोनों की आर्थिक वृद्धि मुख्य आर्थिक समुदायों में दूसरे व पहले स्थान पर है। और वैश्विक अर्थव्यवस्था के प्रति उन का योगदान भी पहले व तीसरे स्थान पर रहा।
अगले वर्ष चीन ब्रिक्स देशों के नेताओं की नौवीं भेंट का आयोजन करेगा। चीन व भारत को इस वर्ष में गोवा में होने वाली नेताओं की बैठक को अच्छी तरह से आयोजित करना चाहिये। ताकि अगले वर्ष की भेंटवार्ता में सफलता मिल सके।
चंद्रिमा