ओलंपिक के इतिहास में सबसे बड़ा 119 सदस्यों का दल रियो भेजने वाले भारत की झोली अब तक खाली है। ब्राजील के रियो डि जेनेरियो में ओलंपिक गेम्स शुरू हुए चार दिन हो चुके हैं। इस दौरान चीन, अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया और अन्य देशों के एथलीट कई गोल्ड मेडल जीतकर अपने देश का गौरव बढ़ा रहा हैं। वहीं एक अरब से अधिक आबादी वाले देश भारत को एक अदद मेडल के लिए तरसना पड़ रहा है। भारत के कुछ नामी खिलाड़ी पदक के करीब पहुंचने के बाद भी मेडल हासिल नहीं कर पा रहे।
भारतीय एथलीट्स ने टेनिस, टेबिल टेनिस, शूटिंग, तैराकी, तीरंदाजी, नौकायन आदि इवेंट्स में निराश किया है। हाई प्रोफाइल शूटर अभिनव बिंद्रा, गगन नारंग, हिना सिद्धू ओलंपिक से बाहर हो चुके हैं। 2008 के बीजिंग ओलंपिक में भारत को गोल्ड दिलाने वाले अभिनव बिंद्रा 10 मीटर एयर राइफल मुकाबले में चौथे नंबर पर रहे। गगन नारंग फाइनल के लिए क्वालीफ़ाई भी नहीं कर सके। वहीं 10 मीटर पिस्टल में जीतू राय भी फिसड्डी साबित हुए, अब उन्हें 50 मीटर पिस्टल में खेलना है। जबकि टेनिस के डबल्स मुक़ाबलों में सानिया मिर्जा, लिएंडर पेस भी कुछ नहीं कर पाए। नौकायन में दत्तू बब्बन भोकनाल भी क्वार्टर फाइनल में चौथे स्थान पर रहे। जबकि पुरुष तीरंदाजी में अब भारत की एकमात्र उम्मीद अतानु दास पर टिकी है, जो कि क्वार्टर फ़ाइनल में पहुंच चुके हैं। अब भी फ्रीस्टाइल कुश्ती, जिमनास्टिक, बॉक्सिंग, हॉकी, बैडमिंटन आदि में भारत को कुछ मेडल लाने की उम्मीद है।
रियो ओलंपिक में भारतीय महिला जिम्नास्ट दीपा कर्माकर की चर्चा करना जरूरी हो जाता है। वह न केवल भारत की पहली महिला जिम्नास्ट हैं, जिन्होंने ओलंपिक के लिए क्वालीफ़ाई किया, बल्कि भारतीय जिम्नास्टिक्स के इतिहास में पिछले 52 वर्षों में ओलंपिक में शिरकत करने वाली पहली जिम्नास्ट भी हैं। त्रिपुरा के गरीब परिवार से ताल्लुक रखने वाली दीपा जिम्नास्टिक की सबसे मुश्किल इवेंट वॉल्ट के फ़ाइनल में भी पहुंच गयी हैं। 14 अगस्त को होने वाले फ़ाइनल में भारतीय खेल प्रेमी उनसे काफी उम्मीदें लगाए बैठे हैं।
उधर बॉक्सिंग के 75 किग्रा. मिडिलवेट में भारत के विकास कृष्ण अमेरिका के एल्बर्ट चार्ल्स को 3-0 से हराकर प्री-क्वार्टरफाइनल में जगह बनाने में सफल रहे हैं।
भारतीय एथलीटों के प्रदर्शन को देखकर लगता नहीं कि भारत की मेडल संख्या दोहरे अंकों में पहुंच पाएगी। पर ओलंपिक शुरू होने से पहले तमाम दावे करने वाला भारतीय ओलंपिक संघ और भारतीय खेल मंत्रालय शायद ही ओलंपिक में भारत के शर्मनाक प्रदर्शन से सबक लेंगे। भारतीय खेल मंत्री विजय गोयल रियो पहुंचे हैं और वहां उन्होंने कहा कि, हमें यह नहीं देखना चाहिए कि भारत कितने मेडल जीतता है। वह इसी में खुश हैं कि भारत ने इस बार अपना सबसे बड़ा दल रियो भेजा है। बकौल गोयल, "लंदन ओलंपिक के लिए भारत के 81 एथलीट्स ने 10 इवेंट्स के लिए क्वालीफ़ाई किया था, वहीं रियो में 119 एथलीट 15 इवेंट्स में हिस्सा ले रहे हैं, मुझे इस पर गर्व है"।
क्रिकेट के दीवाने देश में, दूसरे खेलों का ढांचा और स्तर ही ऐसा है, जब इतने बड़े देश के लिए मेडल जीतना नहीं क्वालीफ़ाई करना ही बड़ी बात होती है। मंत्री जी ने भला क्या ग़लत कहा?
अनिल आज़ाद पांडेय