चीनी राज्य परिषद के न्यूज़ कार्यालय और तिब्बत स्वायत्त प्रदेश की जन सरकार और ल्हासा शहर की सरकार के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित 2016•चीन के तिब्बत विकास मंच की थीम"तिब्बत के विकास का नया चरण—सृजन, समन्वय, हरे, खुले और साझेदार"है। यह वर्ष 2014 के बाद आयोजित दूसरा तिब्बत विकास मंच है।
मंच के उद्घाटन समारोह में चीनी कम्युनिस्ट पार्टी की केंद्रीय समिति के पोलित ब्यूरो के सदस्य, केंद्रीय प्रसार मंत्रालय के मंत्री ल्यू छीपाओ ने भाषण देते हुए कहा कि लम्बे समय तक चीन की केंद्र सरकार ने तिब्बत के विकास के लिए सिलसिलेवार विशेष और उदार नीतियां बनाईं। तिब्बत की सहायता का कार्य लगातार आगे बढ़ाया जाता रहा है। वर्तमान में तिब्बत में भारी परिर्वतन आया है। ल्यू छीपाओ ने कहा:"तिब्बत की स्थापना के पिछले 60 से अधिक वर्षों में देश भर के समर्थन से तिब्बत का ज़ोरदार विकास हुआ है। केंद्र सरकार ने तिब्बत के विभिन्न क्षेत्रों में 6 करोड़ युआन का वित्तीय भत्ता दिया, यह राशि तिब्बत के स्थानीय वित्तीय समर्थन का 90 प्रतिशत है। केंद्रीय विभागों, विभिन्न प्रांतों और शहरों के तिब्बत की सहायता की परियोजना के तहत पिछले 20 वर्षों में कुल 7600 से अधिक बड़ी परियोजनाओं का कार्यान्वयन किया गया है।"
ल्यू छीपाओ ने कहा कि भविष्य में तिब्बत के विकास के लिये नई विकसित विचारधारा के अनुसार आर्थिक सामाजिक विकास के संवर्द्धन में ज़ोर दिया जाएगा। जन जीवन की गारंटी देते हुए उसमें सुधार किया जाएगा। विभिन्न जातियों की जनता के बीच आवाजाही और तालमेल को बढ़ावा देते हुए तिब्बत की संस्कृति और पारिस्थितिक का संरक्षण किया जाएगा। तिब्बत में अधिक समृद्धि और स्थिरता को मज़बूत किया जाएगा। ताकि तिब्बत में विभिन्न जातियों के लोगों को ज्यादा लाभ मिल सके।
मौजूदा मंच पर"परंपरा और आधुनिकता को जोड़ना","हरा विकास और पारिस्थितिक संरक्षण","तिब्बत में 'एक पट्टी एक मार्ग'" और"गरीबी उन्मूलन और जनजीवन में सुधार"जैसे विषयों पर देसी-विदेशी विद्वानों ने व्यापाक तौर पर विचार विमर्श किया।
चीनी सामाजिक विज्ञान अकादमी के सीमा अनुसंधान केंद्र के प्रधान शिंग क्वांगछंग के विचार में तिब्बत का रणनीतिक स्थान बहुत महत्वपूर्ण है, जो "एक पट्टी एक मार्ग"की महत्वपूर्ण कड़ी है। तिब्बत और आस-पड़ोस के देशों के बीच आवाजाही और संपर्क को मज़बूत करने से विदेशों में चीन के विकास का नया रास्ता खुलेगा। शिंग क्वांगछंग ने कहा:"रेशम मार्ग आर्थिक पट्टी"के कुल छह गलियारे हैं। जिनमें एक गलियारे और तिब्बत के बीच बहुत घनिष्ठ संबंध हैं। यह बांग्लादेश, भारत, म्यांमार और चीन आर्थिक गलियारा है। इसमें तिब्बत बड़ा भूमिका निभाएगा। ये मार्ग यहां से भारत जाएगा और वहां से गुज़रते हुए हिंद महासागर तक फैलेगा।"
वर्ष 2015 में तिब्बत की जीडीपी 1 खरब युआन से अधिक रही। लेकिन प्रदेश में गरीबी उन्मूलन क्षेत्र में मिशन फिर भी कठोर है। वर्तमान में तिब्बत में कुल 5 लाख 90 हज़ार गरीब जनसंख्या रहती है। तिब्बत स्वायत्त प्रदेश के कृषि और चरागाह वैज्ञानिक अनुसंधान केंद्र के अनुसंधानकर्ता चिन थाओ ने सुझाव देते हुए कहा कि चरागाह में घास उगाने के उद्योग का जोरदार विकास किया जाए। किसानों और चरवाहों के गरीबी उन्मूलन और समृद्धि को आगे बढ़ाया जाए और साथ ही पारिस्थितिकी और पर्यावरण संरक्षण किया जाए। चिन थाओ का कहना है:"तिब्बत में घास के मैदानों का अत्याधिक प्रयोग किया जाता है। हमारा पर्यावरण धीरे-धीरे खराब हो रहा है। रेतीलेकरण की गति में तेज़ी आई है। इस तरह हम विचार कर रहे हैं कि घास उगाने के उद्योगों को स्तंभ वाले उद्योग के रूप में समर्थन किया जाएगा। कृत्रिम घास को उगाने पर जोर दिया जाएगा। इससे मांस और दुग्ध उत्पादनों की लगातार सप्लाई करने वाले मुद्दे का निपटारा होगा।"
मौजूदा तिब्बत विकास मंच में 60 से अधिक विदेशी प्रतिनिधियों ने भाग लिया। वे भारत, अमेरिका, फ्रांस, जर्मनी और दक्षिण अफ्रीका जैसे देशों से आए हैं। उनमें कुछ लोग लंबे समय तक चीन और तिब्बत के विकास के मुद्दे से जुड़े विशेषज्ञ और विद्वान हैं, कुछ लोग वरिष्ठ पत्रकार हैं।
लक्जमबर्ग के विद्वान एटिंग के विचार में बाहरी जगत को सर्वांगीण और वस्तुगत तौर पर तिब्बत के विकास और परिवर्तन को देखना चाहिए। उन्होंने कहा:"कुछ पश्चिमी लेख दलाई लामा की 'आवाज़ पहुंचाने वाले' हैं। उनके विचारों के अनुसार तिब्बती लोग आज पिंजरे में रह रहे हैं। उन्होंने तिब्बत में सक्रिय विकास की अनदेखी की है। मुझ पर यह गहरी छाप पड़ी है कि तिब्बत में यातायात बहुत विकसित हुआ है। राजधानी ल्हासा में नई बस्तियों की व्यवस्था और निर्माण बहुत अच्छा है।"
वहीं ऐयरलैंड के चीनी अनुसंधान केंद्र के अध्यक्ष केन दगन ने द्वंद्वात्मक तौर पर तिब्बत के विकास का रास्ता दिखाया:"तिब्बत नये और पुराने का मिश्रण है। कुछ समय पुराने नियम विकास के लिये बाधित होंगे। कुछ समय विकास परंपरा को नुकसान पहुंचेगा। लेकिन तिब्बत के लिए भविष्य की ओर देखना चाहिए। न कि अतीत की ओर।"