राष्ट्रपति मुखर्जी ने कहा कि भारत दोनों देशों के संबंध को आगे बढ़ाने, चीन के साथ व्यापार और पूंजी निवेश जैसे क्षेत्रों में सहयोग व्यापक करने, मानविकी आदान-प्रदान को मज़बूत करने और अंतरराष्ट्रीय मामलों में संपर्क घनिष्ठ करने को तैयार हैं। उन्होंने कहा: "भारत और चीन विश्व में नवोदित आर्थिक समुदाय और महत्वपूर्ण शक्तियां हैं। दोनों देशों के पास विश्व भर की 40 प्रतिशत जनसंख्या है। भारत-चीन संबंधों का द्विपक्षीय संबंध के दायरे से बढ़ाकर और व्यापक रणनीतिक महत्व है। भारत और चीन को हाथ मिलाकर प्रयास करने से बड़ी शक्ति दिखा सकेगी, दोनों देशों की और वैश्विक शांति, समृद्धि और विकास को आगे बढ़ाया जा सकेगा।"
राष्ट्राध्यक्ष शी चिनफिंग और राष्ट्रपति मुखर्जी के बीच हुई वार्ता के बाद चीनी विदेश मंत्रालय के एशिया विभाग के प्रधान श्याओ छ्यान ने हमारे संवाददाता को दिए एक इन्टरव्यू में कहा कि वार्ता में दोनों देशों के नेताओं ने इतिहास द्वारा छोड़े गए चीन-भारत सीमा मुद्दे को लेकर सक्रिय रूख व्यक्त किया। श्याओ छ्यान ने कहा:"दोनों नेताओं ने माना कि चीन और भारत के बीच मौजूद मतभेदों के समाधान के लिए उपाय ढूंढ़ा जाए। वास्तविक तथ्यों के अनुसार कम समय में न सुलझाए जाने वाले मुद्दों का अच्छी तरह नियंत्रण किया जाए। मतभेदों से दोनों देशों के बीच मित्रवत सहयोग में बाधा न डाली जाए। दोनों पक्षों के बीच सहमति हुई कि विशेष प्रतिनिधि की वार्ता व्यवस्था के माध्यम से सीमा वार्ता प्रक्रिया को आगे बढ़ाया जाए। चीन-भारत सीमांत क्षेत्र में शांति और अमन चैन को बनाए रखने का प्रयास किया जाए।"
(श्याओ थांग)
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