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शी चिनफिंग की प्रणब मुर्खजी से मुलाकात
2016-05-27 10:34:33 cri

चीनी राष्ट्राध्यक्ष शी चिनफिंग ने 26 मई को पेइचिंग में यात्रा पर आए भारतीय राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी से मुलाकात की। दोनों नेताओं ने एक स्वर में माना कि चीन और भारत के बीच एक दूसरे की सभ्यता से सीखते हुए परंपरा के विकास का समान प्रयास किया जाए, द्विपक्षीय सर्वांगीण सहयोग को मज़बूत किया जाए ताकि चीन-भारत रणनीतिक सहयोगी साझेदार संबंधों को नए स्तर तक पहुंचाया जा सके। शी चिनफिंग ने बल देते हुए कहा कि दोनों देशों को राजनीतिक आपसी विश्वास के आधार पर संबंधित मतभेदों का अच्छी तरह निपटारा करना चाहिए।

26 मई को दोपहर बाद शी चिनफिंग ने जन बृहद भवन के बाहर मैदान में प्रणव मुखर्जी के सम्मान में स्वागत समारोह आयोजित किया। यह मुखर्जी की भारतीय राष्ट्रपति बनने के बाद पहली चीन यात्रा है।

इसके बाद आयोजित भेंटवार्ता में शी चिनफिंग ने कहा कि कुछ वर्षों में ही चीन-भारत संबंधों का तेज़ विकास के नए काल में प्रवेश कर गया है। दोनों पक्षों को चीन-भारत संबंधों की बड़ी दिशा कायम रखते हुए पड़ोसियों के बीच मित्रता, आपसी लाभ वाले सहयोग की मुख्य धारा पर डटे रहना चाहिए। दोनों देशों के बीच ज्यादा क्षेत्रों में सहयोग का विस्तार करना चाहिए, ताकि चीन-भारत संबंधों का अधिक तेज़, बेहतर विकास हो सके और दोनों देशों की जनता को लाभ मिल सके। शी चिनफिंग ने कहा:"वर्तमान में चीन और भारत दोनों रूपांतर और विकास के कुंजीभूत काल से गुज़र रहे हैं। दोनों देश अपने राष्ट्रीय पुनरुत्थान का महान लक्ष्य खोज रहे हैं और 2 अरब 60 करोड़ जनसंख्या के बेहतर जीवन के लिए प्रयास कर रहे हैं। इसके साथ ही चीन और भारत अंतरराष्ट्रीय आर्थिक व्यवस्था को और अधिक युक्तियुक्त और न्यायपूर्ण बनाने में संलग्न हैं। दोनों देशों का स्वप्न मिला जुला है और लाभ भी समान हैं। हम भारत के साथ मिलकर एक दूसरे की सभ्यता से सीखते हुए परंपराओं का विकास करना चाहते हैं, चतुर्मुखी क्षेत्रों में सहयोग मज़बूत करने को भी तैयार हैं। ताकि चीन-भारत रणनीतिक सहयोगी साझेदार संबंधों को नई मंजिल पर पहुंचाया जा सके, दोनों देशों के समान विकास को आगे बढ़ाया जा सके इसके साथ ही क्षेत्रीय और वैश्विक शांति, स्मृद्धि के लिए और ज्यादा योगदान किया जा सके।"

शी चिनफिंग ने बल देते हुए कहा कि चीन और भारत को राजनीतिक आपसी विश्वास का आधार मज़बूत करते हुए विभिन्न प्रकार की वार्ता व्यवस्था का अच्छी तरह प्रयोग करना चाहिए, पारस्परिक समझ और विश्वास बढ़ाते हुए संबंधित मतभेदों का अच्छी तरह निपटारा करना चाहिए। दोनों पक्षों को वास्तविक सहयोग की निहित शक्ति देखते हुए रेलवे, औद्योगिक पार्क, स्मार्ट सिटी जैसे क्षेत्रों में आपसी सहयोग की आरंभिक उपलब्धियों को बढ़ाना चाहिए, नई ऊर्जा, ऊर्जा खपत और पर्यावरण संरक्षण, सूचना तकनीक और मानव संसाधन जैसे क्षेत्रों में एक दूसरे की आपूर्ति पर विचार विमर्श किया जाए। इसके साथ ही दोनों देशों को"बांग्लादेश-चीन-भारत-म्यांमार"आर्थिक गलियारे के निर्माण में वास्तविक प्रगति को आगे बढ़ाना चाहिए, समान रूप से एशियाई आधारभूत संस्थापन निवेश बैंक यानी एआईआईबी को बुनियादी संस्थापन के लिए पूंजी निवेश का एक व्यावसायिक और उच्च स्तरीय कारगर मंच बनाना चाहिए। क्षेत्रीय सर्वांगीण आर्थिक साझेदार संबंधों से जुड़ी वार्ता की शीघ्र ही आगे बढ़ाना चाहिए।

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