ल्हासा में केएफ़सी का रेस्ट्रां खुलने से लंदन स्थित " फ्रिडम तिब्बत " संगठन नाराज हो गया। उसने मांग की कि रेस्ट्रां में काम करने वाले सभी लोग तिब्बती हो, उनकी पदोन्नति सुनिश्चित हो और सिर्फ तिब्बती भाषा का प्रयोग हो।
चीनी वाणिज्य मंत्रालय की वार्षिक रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2014 तक तिब्बत में विदेशी पूंजी वाले उद्योग-धंधों की संख्या 57 हो गई। तिब्बत स्वायत्त प्रदेश के सामाजिक विज्ञान अकादमी के उप डाइरेक्टर बासांगलोबु ने कहा कि केएफसी रेस्ट्रां का तिब्बत में खोला जाना सांस्कृतिक आदान-प्रदान की दृष्टि से एक बहुत अच्छी बात है। इससे न केवल तिब्बतियों को स्वाद का नया अनुभव प्राप्त हो सकता है, बल्कि विभिन्न संस्कृतियों के मिश्रण को भी मदद मिल सकती है।
चीनी अख़बार ग्लोबो टाइम्स ने अपनी एक टिप्पणी में कहा कि हो सकता है कि केएफसी भारत के धर्मशाला में, जहां दलाई लामा रहते हैं अपना रेस्ट्रां नहीं खोलेगा, क्योंकि वहां पिछड़ा है। तिब्बत में केएफसी रेस्ट्रां का खोलना इस बात का प्रतीक है कि तिब्बत और अधिक खुल गया है, और अधिक परिपक्व हो गया है।