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    भारत स्थित चीनी राजदूत ल यूछंग का विशेष साक्षात्कार
    2016-04-26 11:05:06 cri

    भारत स्थित चीनी राजदूत ल यूछंग शीघ्र ही अपना कार्यकाल पूरा करेंगे। हाल ही में भारतीय मीडिया ने उनके साथ विशेष साक्षात्कार किया। अख़बार डेक्कन हेराल्ड ने यह इंटरव्यू छापा है।

    भारतीय मीडिया ने सबसे पहले पूछा कि चीनी राष्ट्राध्यक्ष शी चिनफिंग ने सितंबर 2014 में भारत की यात्रा की थी। आप इससे पहले भारत स्थित चीनी राजदूत बने और अब आपका कार्यकाल समाप्त होने वाला है। पिछले 19 महीनों में चीन-भारत संबंधों के विकास के बारे में आप क्या सोचते हैं ?

    ल यूछंग ने जवाब दिया कि समय तेज़ी से गुज़र जाता है, मुझे भारत स्थित चीनी राजदूत बने 19 महीने बीत चुके हैं। सौभाग्य है कि पिछले 19 महीनों में मैंने चीन-भारत संबंधों के विकास के विशेष और महत्वपूर्ण अवधि का अनुभव किया। हमारे दोनों देश दूर से करीब आ रहे हैं और सहयोग घनिष्ठ बना रहे हैं।

    मैं नेताओं के बीच बराबर और घनिष्ठ आदान-प्रदान का साक्षी बना। पिछले एक वर्ष में हमारे दोनों देशों के नेताओं ने कई बार मुलाकातें कीं, जिससे द्विपक्षीय संबंधों के विकास में जीवन शक्ति का संचार हुआ। नेताओं ने नेतृत्व में बड़ी भूमिका निभाई।

    मैं भारत में चीनी उद्यमों के उत्साह का भी साक्षी बना। कुछ वर्ष पहले भारत में पूंजी लगाने वाले चीनी उपक्रमों की संख्या बहुत कम थी, लेकिन अब अधिकाधिक चीनी कंपनियां भारत में व्यापार करना चाहती हैं। इससे ज़ाहिर है कि भारत का बाज़ार और आकर्षक बन रहा है।

    मैंने चीन-भारत सांस्कृतिक आवाजाही के तेज़ विकास के चरणों को देखा है। भारतीय तीर्थ यात्रियों को सुविधा देने के लिए चीन ने नाथुला दर्रे से कैलाश जाने वाला नया मार्ग खोला है। चीनी पर्यटकों को सुविधा देने के लिए भारत ने ई-वीजा का नियम बनाया। ये दो कदम मील का पत्थर माने जा रहे हैं। पिछले वर्ष हमारे बीच पर्यटकों की संख्या 10 लाख से अधिक रही, जो इस साल 25 प्रतिशत की दर से लगातार बढ़ रही है। भविष्य में यात्रियों की संख्या शायद 30 लाख या 50 लाख तक पहुंचेगी। यह बहुत जल्दी साकार होगा।

    मैंने अन्तरराष्ट्रीय और क्षेत्रीय मामलों में चीन और भारत के बीच सहयोग को बढ़ते देखा है। एशियाई आधारभूत संस्थापन निवेश बैंक (एआईआईबी) और ब्रिक्स विकास बैंक हमारे बीच सहयोग के नए क्षेत्र और नए हाइलाइट हैं। एआईआईबी निकट भविष्य में सौर ऊर्जा के विकास के लिए भारत को 30 से 40 करोड़ अमेरिकी डॉलर का ऋण देगा। चीन और भारत ब्रिक्स, व्यापार, जलवायु परिवर्तन और क्षेत्रीय संपर्क के क्षेत्रों में घनिष्ठ सहयोग कर रहे हैं, जिसका सक्रिय परिणाम निकला है। हमारे बीच सहयोग से दुनिया में विकासशील देशों की आवाज़ दी गई और नई अन्तर्राष्ट्रीय व्यवस्था स्थापित करने में योगदान किया गया।

    इन सबसे ज़ाहिर है कि चीन-भारत संबंध आधी सदी में सबसे अच्छे दौर से गुजर रहे हैं। देश के विकास और अन्तरराष्ट्रीय स्थान के लगातार बढ़ने के चलते चीन-भारत संबंधों की विशाल संभावना होगी। हालांकि हमारे बीच कुछ संवेदनशील मुद्दे और ऐतिहासिक कारण से पीछे छूट गए मतभेद अब भी मौजूद हैं, लेकिन चीन-भारत संबंधों की दिशा तय हो चुकी है और विकास की प्रक्रिया नहीं बदलेगी। हमें रुझान के अनुरूप द्विपक्षीय संबंधों को निरंतर बढ़ावा देना चाहिए।

    भारतीय मीडिया का दूसरा सवाल है कि चीन और भारत के बीच आर्थिक और व्यापारिक सहयोग की अब क्या स्थिति है ?

    ल यूछंग ने जवाब दिया कि चीन और भारत दोनों विकासशील देश हैं। दोनों की अर्थव्यवस्था तेज़ी से बढ़ रही है और विश्व आर्थिक वृद्धि का अहम इंजन बन गई। चीन और भारत की अर्थव्यवस्थाएं एक दूसरे की पूरक हैं। पिछले वर्ष हमारे दोनों देशों के बीच व्यापार 71 अरब 60 करोड़ अमेरिकी डॉलर रहा। अलीबाबा, वांडा समूह, मी फोन, लेटीवी और विवो जैसी मशहूर चीनी कंपनियां भारत के बाज़ार में बड़ी रुचि रखती हैं।

    शी चिनफिंग की भारत यात्रा के दौरान दोनों देशों ने दो औद्योगिक पार्क स्थापित करने की घोषणा की। इस समय निर्माण कार्य प्रगति पर है। गुजरात स्थित बिजली औद्योगिक पार्क में TBEA कंपनी लिमिटेड जैसे कुछ उद्यमों में उत्पादन शुरू हो चुका है। महाराष्ट्र में कार औद्योगिक पार्क का विस्तार करने का डिज़ाइन तैयार हो रहा है। दोनों औद्योगिक पार्कों के निर्माण के लिए कुल 6 अरब 80 करोड़ डॉलर की पूंजी लगाई जाएगी।

    इसके साथ साथ रेलवे, निर्माण मशीनरी, मोबाइल फोन और नवीन ऊर्जा जैसे क्षेत्रों में भी चीन और भारत ने उल्लेखनीय सहयोग किया है।

    संवाददाताओं ने आगे पूछा कि पिछले वर्ष भारत ने अमेरिका, जापान और ऑस्ट्रेलिया के साथ घनिष्ठ रणनीतिक साझेदार का विकास किया। इसपर चीन की क्या विचार है ?

    ल यूछंग ने कहा कि राष्ट्रीय शक्ति के विकास और हित के विस्तार के चलते चीन और भारत दुनिया के लिए खोलेंगे और अन्तरराष्ट्रीय समुदाय के साथ और गहरा संपर्क करेंगे। यह देश के विकास का अपरिहार्य रुझान है। चीन भारत के अन्य देशों के साथ सामान्य सहयोग पर कोई आपत्ति नहीं करता। चीन भी दुनिया में और महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है और अन्य देशों के साथ मित्रवत सहयोगी संबंधों का विकास करता है।

    भारतीय मीडिया ने अंत में चीन-भारत संबंधों की भविष्य पर ल यूछंग का विचार पूछा।

    ल यूछंग ने जवाब में कहा कि चीन-भारत संबंधों का विकास नेताओं के नेतृत्व पर निर्भर रहता है। इस साल चीन जी-20 का शिखर सम्मेलन आयोजित करेगा, जबकि भारत ब्रिक्स देशों के शिखर सम्मेलन का आयोजन करेगा। दोनों सम्मेलन हमारे नेताओं को मुलाकात और बातचीत करने का बेहतर अवसर देंगे। विश्वास है कि नेताओं के नेतृत्व में चीन-भारत संबंधों की अवश्य ही और उल्लेखनीय उपलब्धियां होंगी।

    पिछले 19 महीनों में मैंने भारत के 15 प्रदेशों और 20 शहरों का दौरा किया। सब जगह पर भारतीय लोगों ने मेरा उत्साहपूर्ण और मित्रवत स्वागत किया। हालांकि मैं शीघ्र ही भारत से रवाना होउंगा, पर भारत के बारे में मेरी याद हमेशा ताज़ा रहेगी और चीन-भारत संबंधों के मित्रवत विकास पर मेरा विश्वास दृढ़ बना रहेगा। चाहे मैं किसी भी जगह जाऊं, मैं हमेशा चीन-भारत संबंधों पर ध्यान दूंगा और इसे बढ़ाने में प्रयास करूंगा। चीन-भारत संबंधों की विशाल संभावना होगी।

    (ललिता)

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