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    दिल्ली विश्व पुस्तक मेले में चीन-भारत आदान प्रदान का नया रूप नज़र आया
    2016-01-11 09:16:28 cri

    भारतीय महान कवि रविंद्रनाथ टैगोर की कविताएं चीन में बहुत लोकप्रिय हैं। कुछ समय पूर्व उनकी रचना"स्ट्रे बर्ड्स" यानी उन्मुक्त पंछी"के नए अनुवादित संस्करण चीन में सामने आया। लेकिन भारतीय नागरिकों के पास चीनी साहित्य के प्रति कैसा अनुभव है?24वां विश्व पुस्तक मेला 9 जनवरी को भारत की राजधानी दिल्ली में शुरू हुआ। चीन प्रमुख अतिथि देश के रूप में इसमें हिस्सा ले रहा है। इस सुअवसर का लाभ उठाते हुए आज हम मेले में जाएंगे, और देखेंगे पड़ोसी देशों के रूप में विश्व में सबसे बड़े दो विकासशील देशों के रूप में चीन और भारत के बीच एक दूसरे की संस्कृति के प्रति समझ वास्तव में कैसी है।

    टैगोर भारतीय साहित्य के प्रतीक वाले कवि हैं। उनकी कविताओं को हाल में एक चीनी लेखक ने नए तौर पर अनुवाद किया, जिसे चीनी लोगों ने काफी पसंद किया। लेकिन आम भारतीय लोगों के विचार में चीनी लेखक और उनकी रचनाएं कैसी हैं?प्रगति मैदान में आयोजित मौजूदा विश्व पुस्तक मेले में हमारे संवाददाता ने एक सर्वेक्षण किया। उन्होंने पुस्तक में आने वाले आम दर्शकों से दो सवाल पूछे। यानी कि क्या आपने चीनी पुस्तक पढ़ी है?आप किस चीनी लेखक के बारे में जानते हैं?दिल्ली विश्वविद्यालय के विद्यार्थी शिवान, मीडिल स्कूल की प्रिंसिपल सोनिया लूथरा और एक सरकारी कर्मचारी ने अपने जवाब दिये।

    शिवान:"मैने चीनी पुस्तक नहीं पढ़ी।"

    सोनिया लूथरा:"नहीं पढ़ी है।"

    सरकारी कर्मचारी:"मैंने सुर्फ़ चीनी लेखक लू शुन का नाम सुना है, लेकिन कोई चीनी पुस्तक नहीं पढ़ी।"

    इन लोगों के यह जवाब आश्चर्यजनक नहीं है। प्राचीन सभ्यता वाले दोनों देशों के रूप में चीन और भारत के बीच मित्रवत आवाजाही और सांस्कृतिक आदान प्रदान का इतिहास 2 हज़ार से अधिक वर्ष पुराना है। आधुनिक जमाने में रविंद्रनाथ टैगोर की रचनाओं से चीनी साहित्य पर गहरा प्रभाव पड़ा। वहीं चीनी लेखक लू शुन को भी भारतीय पाठक भी पसंद करते हैं। लू शुन की कई रचनाएं हिन्दी, ऊर्दू, बंगाली और तमिल जैसी भाषाओं तक अनुवाद किए जाने के बाद भारत में लोकप्रिय रही हैं। लेकिन आजकल चीन और भारत के साहित्यिक आदान प्रदान टैगोर और लु शुन के दायरे को विस्तार नहीं किया गया है।

    अब चीन प्रमुख अतिथि देश के रूप में नई दिल्ली पुस्तक मेले में भाग ले रहा है। 40 से अधिक सालों के विकास के चलते दिल्ली विश्व पुस्तक मेला भारत में सबसे बड़े पैमाने वाला पुस्तक मेला बन गया है। 2014 में चीनी राष्ट्राध्यक्ष शी चिनफिंग की भारत यात्रा के दौरान दोनों देशों के बीच चीन-भारत सांस्कृतिक आदान प्रदान परियोजना बनाने पर सहमत हुए। इसके तहत संस्कृति, शिक्षा, पर्यटन, धर्म, फिल्म, रेडियो, मीडिया और मानव संसाधन जैसे क्षेत्रों में आदान प्रदान और सहयोग विस्तार किया जाएगा। इसी परियोजना में वर्ष 2016 के दिल्ली विश्व पुस्तक मेले में प्रमुख अतिथि देश के रूप में चीन की भागीदारी शामिल है।

    9 जनवरी को पुस्तक मेले के उद्घाटन समारोह में चीनी राजकीय प्रेस, प्रकाशन, रेडियो, फिल्म और टेलीविजन ब्यूरो के उप प्रमुख सुन शोशान ने कहा:"अब चीन प्रमुख अतिथि देश के रूप में नई दिल्ली पुस्तक मेले में भाग ले रहा है। वर्ष 2010 में भारत 17वें पेइचिंग अंतरराष्ट्रीय पुस्तक मेले का प्रमुख अतिथि देश बना था। यह दोनों देशों के प्रकाशन जगत के बीच एक और आवाजाही गतिविधि है, जिसका चीन-भारत प्रकाशन आवाजाही इतिहास में सक्रिय प्रभाव पड़ेगा।"

    प्रमुख अतिथि देश के रूप में चीन ने"सभ्यता का पुनरुत्थान, आदान प्रदान और एक दूसरे से सीखे"को विषय बनाकर 81 प्रकाशन इकाईयों को मौजूदा पुस्तक मेले में भाग लेने भेजा। इन प्रकाशन इकाईयों के कुल 5 हज़ार से अधिक प्रकार की 10 हज़ार पुस्तकें प्रदर्शित की जा रही हैं। इन पुस्तकों से चतुर्मुखी तौर पर वर्तमान में चीन के राजनीति, अर्थतंत्र, समाज और संस्कृति जैसे क्षेत्रों में आने वाले परिवर्तन जाहिर हुआ। चीनी भाषा और अंग्रेज़ी की पुस्तकों के अलावा चीन में अनुवाद की गई 150 भारतीय पुस्तकें और भारत में अनुवाद की गई 19 चीनी पुस्तकें भी शामिल हैं।

    पुस्तक मेले में चीन के प्रदर्शन मंडप में विशेष तौर पर 300 से अधिक चीनी और अंग्रेज़ी भाषा वाली चीनी बाल पुस्तकें भी प्रदर्शित की जा रही हैं। इसके साथ ही《वानर》,《पंख》और《ड्रैगन की कहानी》जैसी हिंदी वाले बाल पुस्तक भी शामिल हैं।

    ये चीनी बाल पुस्तकें भारतीय मित्र गुरु को बहुत रूचि है। एक प्रकाशन ग्रुप में कार्यरत गुरु ने कहा कि उनके ग्रुप ने कुछ चीनी बाल पुस्तकों को आयात किया है। वर्तमान समय में भारत में चीन समेत पूर्वी साहित्य की मांग दिन-ब-दिन बढ़ती जा रही है। गुरु ने कहा:"भारतीय बाज़ार को नए विषय की आवश्यकता है। पश्चिमी साहित्य का भारत में इतिहास बहुत पुराना हो गया। मेरा विचार है कि आज पूर्वी साहित्य, खास कर चीनी साहित्य का भारी निहित शक्ति मौजूद है। हमारे प्राकशन ग्रुप ने कुछ चीनी पुस्तकों के कॉपीराइट्स खरीदे हैं। बाद में इसका और विस्तार किया जाएगा।"

    मित्रों, कॉपीराइट सहयोग मौजूदा पुस्तक मेले का महत्वपूर्ण भाग है। चीनी डिजिटल प्रकाशन में प्राप्त उपलब्धियों को प्रदर्शित करने के लिए चीनी प्रदर्शन मंडप ने विशेष तौर पर डिजिटल प्रकाशन क्षेत्र स्थापित किया। जहां चीन में प्रकाशित ई-पुस्तकें और रीडर जैसे उत्पाद प्रदर्शित किए जा रहे हैं। मौजूदा दिल्ली विश्व पुस्तक मेले के दौरान चीनी प्रतिनिधि मंडल कुल 66 कार्यक्रम आयोजित करेगा। जिनमें व्यवसायिक संगोष्ठी, लेखकों और विद्वानों के बीच आदान प्रदान और सांस्कृतिक विषय वाली प्रदर्शनी आदि शामिल हैं। इसके साथ ही छाओ वनश्वान, ल्यू चनयून, माईच्या और शूथिंग समेत चीन में बहुत लोकप्रिय 9 लेखक भारतीय संस्कृति की खोज शीर्षक यात्रा भी करेंगे। वे भारतीय लेखकों के साथ संपर्क और बातचीत करेंगे।

    भारतीय पाठकों की प्रतिक्रिया की चर्चा करते हुए पेइचिंग भाषा विश्वविद्यालय के प्रकाशन विभाग के कर्मचारी फ़ू यानपाई ने कहा कि पुस्तक मेले का पहला दिन उनकी कल्पना के बाहर है। उन्होंने कहा:"हमने भारत की यात्रा नहीं की। हमारे विचार में भारतीय लोगों के चीनी भाषा का स्तर प्रारंभिक है। इस तरह हमने चीनी भाषा सिखाने वाले कई प्रारंभिक पुस्तकें यहां लाएं। लेकिन इन दो दिनों में हमने देखा कि भारतीय पाठकों की ऊंची मांग है। उन्हें चीन के इतिहास और संस्कृति के प्रति भारी रूचि है। जैसा कि《पश्चिम की तीर्थयात्रा》उपन्यास उन्हें बहुत दिलचस्प लगा। यह देखकर हमें हैरानी होती है। भविष्य में भारत के प्रति हम अधिक उच्च स्तरीय उत्पाद दिखाएंगे।"

    एक दूसरे के पास जाकर ही आपसी समझ बढ़ेगी और एक दूसरे की मांग भी मालूम होगी। भारतीय मानव संसाधन और विकास मंत्री स्मृति ईरानी ने कहा कि भारत और चीन के बीच साहित्यिक और सांस्कृतिक आदान प्रदान में नया रूप नज़र आ रहा है। उनका कहना है:"अभी तेज़ हवा चल रही थी, कुछ लोग चिंतित हैं। लेकिन मैं कहना चाहती हूँ कि परिवर्तन की नयी हवा हमारे दोनों देशों में चल रही है। चीनी राष्ट्राध्यक्ष शी चिनफिंग ने भारत की यात्रा के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ करार किया कि अतिथि देश के रूप में चीन 2016 दिल्ली विश्व पुस्तक मेले में भाग लेगा। अब कागज़ पर लिखित यह करार वास्तविक मानविकी आवाजाही बन गई है।"

    भारत स्थित चीनी राजदूत ल यूछंग ने कहा कि चीन और भारत के बीच सांस्कृतिक आदान-प्रदान घनिष्ठ हो रहा है। उनका कहना है:"मुझे विश्वास है कि भारत में चीनी भाषा की लोकप्रियता जरूर आगे बढ़ेगी। इससे दोनों देशों के बीच प्रकाशन उद्यगों के बीच सहयोग को लगातार प्रेरित शक्ति और महत्वपूर्ण विकसित मौका मुहैया करवाया जाएगा।"

    चीन में कहावत है कि दस हज़ार पुस्तकें पढ़ने के बाद पांच हज़ार किलोमीटर की यात्रा करना चाहिए। राजदूत ल यूछंग ने कहा कि पिछले साल चीन में भारतीय पर्यटन वर्ष का कार्यक्रम आयोजित हुआ। दोनों देशों में एक दूसरे देश की यात्रा करने वालों की संख्या पहली बार 10 लाख से अधिक हो गई। इस साल भारत में चीनी पर्यटन वर्ष मनाया जाएगा। आशा है कि और अधिक भारतीय लोग चीन का दौरा करेंगे और चीनी संस्कृति महसूस करेंगे। (श्याओ थांग)

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