एशिया के दस से अधिक देशों से आने वाले विद्वानों ने 11 अप्रैल को पेइचिंग में "21वीं सदी के समुद्री सिल्क रोड के निर्माण" पर एक संगोष्ठी आयोजित की। उन्होंने "एक पट्टी और एक मार्ग" के निर्माण को आगे बढ़ाने के लिये एक व्यापक आम सहमति प्रकट की।
"21वीं सदी के समुद्री सिल्क रोड के निर्माण" शीर्षक अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी में इंडोनेशिया, थाईलैंड, वियतनाम, म्यांमार, कंबोडिया, सिंगापुर और श्रीलंका आदि दर्जन देशों के विद्वानों ने शिरकत की।
विद्वानों ने एक साथ "21वीं सदी के समुद्री सिल्क रोड" के अंतर्राष्ट्रीय व क्षेत्रीय महत्व, एशियाई देशों के बीच समनव्य व संचार पर चर्चा की। ताकि चीन द्वारा प्रस्तुत "21वीं सदी के समुद्री सिल्क रोड" की पहल का बेहतर निर्माण किया जा सकेगा।
संगोष्ठी में उपस्थित सभी विद्वानों को आम तौर पर "21वीं सदी समुद्री सिल्क रोड" से बड़ी उम्मीदें हैं। नेपाल, अफगानिस्तान में तैनात पूर्व भारतीय राजदूत जयंत प्रसाद ने कहा कि क्षेत्रीय विकास व सुरक्षा पर भारत और चीन की आम उम्मीद है। समुद्री सिल्क रोड के विकास के लिए दक्षिण एशिया का एक महत्वपूर्ण भू-रणनीतिक महत्व है। भारत चीन के साथ इस ढांचे में आगे सहयोग बढ़ाने के लिये तैयार है।
अंजली