ढोल मीनार दो भागों में विभाजित होती है, निचला भाग एक मंडप की तरह होता है, जबकि ऊपरी भाग पगोडा की तरह होता है। पूरी मीनार लकड़ी के आठ खम्भों पर टिकी होती है। ऊपरी भाग दोहरी ओलतियों व "तओकुडं"की शैली में होता है। यह चौकोर, षष्ठकोणीय अथवा अष्टकोणीय होता है तथा इसमें पांच से लेकर तेरह ओलतियां एक दूसरे पर लगी होती है। मीनार के निचले भाग में 7 से लेकर 10 मीटर चौड़ा चौकोर हॉल लटका होता है, हॉल के बीचोंबीच एक बड़ी अंगीठी होती है। इसके चारों ओर लकड़ी के तख्ते व जंगल होते हैं और हॉल में सौ-दो सौ आदमी बैठ सकते हैं। मीनार की ऊंचाई 9-15 मीटर के करीब होती है। दोहरी ओलतियों के किनारे कुछ ऊपर उठे हुए होते हैं और जिन पर नागराज व अमरपक्षी बने होते हैं। ढोल मीनार पगोडा के रूप में होने पर भी सुन्दर मंडप लगती है। यदि कोई इस शानदार वास्तु कला के सौन्दर्य का अवलोकन करना चाहता है तो उसे ऐसी शराब पीने के लिए तैयार रहना चाहिए, जो स्थानीय विधि से तैयार की जाती है।
तुडं जाति के लोग बड़े मेहमाननवाज हैं। जैसे ही उन्हें मालूम होता है कि कोई मेहमान आने वाला है तो गांव की सीमा पर मेहमान को शराब पिलाने का प्रबंध किया जाता है और वहां शराब पिलाकर उसका सत्कार किया जाता है। इसलिए इसे "मेहमान का मार्ग रोकने वाली शराब" कहा जाता है। इस रस्म के अनुसार गांव के द्वार के सामने एक लम्बी मेज रखी जाती है और मेज पर शराब, नमकीन मछली व पका मांस रखा जाता है। गांव का कोई सम्माननीय बुजुर्ग गांव की युवतियों व युवकों को दो लाइनों में खड़ा करता है। युवतियां चांदी के आभूषण पहनी होती हैं और युवक हाथों में नलकुलनल वाद्य लिए होते हैं। युवतियां शराब से भरा श्वेत कटोरा लिए ऊंची आवाज में "मार्ग रोधक गीत"गाती हैं और जवाब में मेहमान को "मार्ग खोलने वाला गीत"गाना होता है। दोनों पक्षों में गीतों के जरिए सवाल जवाब होता है। यदि मेहमान ठीक जवाब देता है तो वह गांव में दाखिल हो सकता है, वरना उसे "मार्ग रोधक शराब"पीनी पड़ती है। गायक-गायिकाओं के लिए गीत से सही जवाब देना कोई आसान काम नहीं है, ऐसी हालत में उसका एकमात्र रास्ता साहस बटोरकर शराब पी लेना है। शराब पीने का खास तरीका भी होता है, मेहमान अपने हाथ से शराब का कटोरा उठाकर नहीं पी सकता, बल्कि उसे सीधे मेजबान के हाथों शराब पीनी पड़ती है। यदि मेहमान इस नियम का उल्लंघन करे तो उसे और एक कटोरा शराब पीने की सजा दी जाती है। चाहे एक साथ कितने ही मेहमान क्यों न आएं, उन्हें एक-एक करके शराब पिलाई जाती है। शराब पीने के बाद उसके तेज प्रभाव को कम करने के लिए तुडं युवतियां शीघ्र ही मेहमान को मनकीन मछली खिलाती हैं। इसके बाद मेहमान के गांव में दाखिल होने की खुशी पटाखे छोड़े जाते हैं।