प्रेम व्यक्त करने के दौरान कभी-कभी युवक तीर चलाने का कौशल भी दिखाते हैं और युवतियों को आकर्षित करते हैं।
तीर-कमान मैदान में अर्द्धगोलाकार पंक्ति में खड़े होकर लोग प्रेम का यह खेल देखते हैं। एक युवती सिर पर चावल से भरा एक कटोरा लेकर आती है। चावल के ऊपर एक कच्चा अंडा होता है। कच्चा अंडा ही तीरंदाजों का लक्ष्य होता है, उसे वेध कर वे अपनी दक्षता प्रदर्शित करते हैं। लड़का चार-पांच मीटर की दूरी से उस अंडे पर तीर चलाता है। तीर लगते ही वह अंडा फूट जाता है। अंडा फूटने के साथ चारों ओर तालियां बजाने की आवाज व वाहवाही गूंज उठती है। इस रीमांचकारी खेल में एक ओर युवक का कौशल व्यक्त होता है, दूसरी ओर युवक के प्रति युवती की वफादारी भी प्रकट होती है। लोग डरते हैं कि कहीं वह निशाना चूक जाए या तीर युवती के चेहरे पर लग जाए तो क्या होगा?अवश्य ही युवक भी यह बात साफ-साफ समझता है। यदि उसे अपने निशाने पर पक्का विश्वास न हो तो वह अपनी हार मानता है।
तीरंदाजी के बाद युवा"सहदिल की शराब"लाते हैं और प्रेमी युगल को पिलाते हैं। इस अवसर पर सभी मिलकर शराब पीते, गीत गाते व नृत्य करते हैं।