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    एनपीसी के वार्षिक सम्मेलन में तिब्बती महिला प्रतिनिधि ईशी च्वोका
    2015-03-10 16:21:45 cri

    ईशी च्वोका इन्टरव्यू देते हुए

    तिब्बती मुर्गी को छिंगहाई-तिब्बत पठार में पाला जाता है। पठारीय जलवायु के कारण पहले यहां पर मुर्गियों की संख्या बहुत कम होती थी। लेकिन आज तिब्बत के विभिन्न स्थलों में लोग तिब्बती मुर्गी खा सकते हैं क्योंकि यहां पर अब पहले के मुकाबले मुर्गी पालना आसान हो गया है औऱ इसका श्रेय तिब्बती मुर्गी पालने वाली महिला ईशी च्वोका और उनके समर्थन में मुर्गी पालने वाले कई किसानों को जाता है। इस वर्ष एनपीसी के वार्षिक सम्मेलन में तिब्बती महिला प्रतिनिधि की पहचान से ईशी च्वोगा अपने सुझाव देते हुए भाग ले रही हैं।

    41 वर्षीय ईशी च्वोका तिब्बत स्वायत्त प्रदेश के लोका प्रिफेक्चर की नाईतोंग कांउटी में एक आम किसान हैं। वे लोका प्रिफेक्चर में सबसे बड़े तिब्बती मुर्गी पालने वाले पोल्ट्री फार्म की प्रबंधक हैं, यह पोल्ट्री फार्म पूरे तिब्बत स्वायत्त प्रदेश में तिब्बती मुर्गी पालने वाला सबसे बड़ा पोल्ट्री फार्म भी है। तिब्बती मुर्गी पालने वालों में पहले स्थान पर बनी ईशी च्वोका को कई भारी मुश्किलों का सामना करना पड़ा था।

    ईशी च्वोका के पति भीतरी चीन के हूपेई प्रांत के वासी हैं और हान जाति के हैं। वर्ष 2003 में ईशी च्वोका पति के साथ हूपेई प्रांत से तिब्बत वापस लौटे और उन्होंने तिब्बती मुर्गी पालन का काम शुरु किया। शुरु शुरु में मुर्गियों के जीवित बचने की संख्या पांच के मुकाबले एक थी। इसे याद करते हुए ईशी च्वोका ने कहा:

    "शुरु में हम गांव गांव जाकर मुर्गियों के अंडे इकट्ठा करते थे। कभी कभार इक्ट्ठा किये गए पांच हज़ार अंडों में से सिर्फ एक हज़ार अंडों की क्वॉलिटी अच्छी होती थी। अंडों से कृत्रिम तौर पर चूजे निकाले जाते थे।"

    खराब मौसम के बाद कठोर श्रम करने पर भी ईशी च्वोका और उनके पति को कई बार मुर्गी पालन में असफलता का सामना करना पड़ा था। कठोर परीश्रम के कारण एक ही साल के भीतर पति का वज़न 15 किलो कम हो गया था। ईशी च्वोका ने कहा कि आज मिली सफलता में पति के समर्थन और योगदान बहुत बड़ा हिस्सा लगा है।

    लगातार प्रयास के चलते उनका तिब्बती मुर्गी पालने वाला रास्ता अब आसान हो रहा है। 30 मुर्गियों के पालन से शुरु हुआ और अब तक 10 लाख से अधिक हो गया है। वर्तमान में ईशी च्वोका के पास 30 हज़ार वर्ग मीटर का पोल्ट्री फार्म है और तिब्बत स्वायत्त प्रदेश में ढेर सारे चूजे पैदा करने वाले प्रदत्त केन्द्र हैं। शुरु में ईशी च्वोका और पति ने मात्र अपने पारिवारिक मुर्गी पालन पोल्ट्री फार्म की स्थापना की थी। बाद में उन्होंने मुर्गी पालने वाले सहयोग संघ की स्थापना की, जिसमें 300 से अधिक परिवार शामिल हुए। हर परिवार एक ही साल में 6 हज़ार की अतिरिक्त आय प्राप्त करता है।

    ईशी च्वोका का जीवन साल दर साल समृद्ध हो रहा है। वे ज्यादा से ज्यादा लोगों को समृद्धि के रास्ते पर लाना चाहती हैं। उन्होंने कहा कि अब उनके पास दूसरों की सहायता करने की क्षमता है। अधिक से अधिक लोगों का जीवन समृद्ध हो तो यह बहुत प्रसन्नता की बात है। उन्होंने कहा:

    "अधिक से लोगों की सहायता कर मैं खुश हूँ। मेरा विचार है कि अभी मेरी उम्र कुछ अधिक नहीं है इसलिये, जो काम मैं अच्छी तरह से कर सकती हूं उसे मैं अच्छी तरह करूंगी।"

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