चीनी जन राजनीतिक सलाहकार सम्मेलन(सीपीपीसीसी) की 12वीं राष्ट्रीय समिति के तीसरे पूर्णाधिवेशन में धार्मिक जगतों के सदस्यों ने 4 मार्च को बैठक बुलाई। 25 वर्षीय ग्यारहवें पंचन अर्दनी कोइजी ग्यीबो ने इसमें उपस्थित होकर"तिब्बती बौद्ध धर्म और समाजवादी समाज के बीच अनुकूल स्थिति बनाने के लिए अधिक सुयोग्य व्यक्तियों का प्रशिक्षण करें"शीर्षक पर एक भाषण दिया।
पंचन लामा ने कहा कि सीपीपीसीसी की राष्ट्रीय समिति के अध्यक्ष यू चनशङ ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि चीनी धार्मिक जगत की शांति समिति का समर्थन करते हुए तिब्बत और शिनच्यांग से जुड़े मुद्दों को ध्यान में रखकर धर्म और समाजवाद के बीच अनुकूल स्थिति बनाने को प्रोत्साहित किया जाए। "मुझे लगता है कि तिब्बती बौद्ध धर्म देश के आर्थिक और सामाजिक विकास, सामाजिक सामंजस्य और स्थिरता में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है।"ग्यारहवें पंचन लामा ने यह बात कही।
गौरतलब है कि इस वर्ष ग्यारहवें पंचन लगातार छठी बार सीपीपीसीसी की राष्ट्रीय समिति के पूर्णाधिवेशन में भाग ले रहे हैं। उन्होंने कहा कि पिछले कुछ वर्षों में तिब्बत की प्रगति और विकास के बराबर तिब्बती बौद्ध धर्म का विकास और प्रगति भी हुआ है। वर्ष 2000 के बाद से अब तक केंद्र सरकार ने तिब्बत में कई महत्वपूर्ण सांस्कृतिक अवशषों के जीर्णोद्धार के लिए 2 अरब 4 करोड़ युआन की राशि लगाई है, जिनमें 28 करोड़ युआन का प्रयोग पोटाला महल, नोर्बूलिनका और साग्या मठ के जीर्णोद्धार में किया गया है। इससे तिब्बती बौद्ध धर्म के प्रति चीन की केंद्र सरकार की प्रतिबद्धता के बारे में पता चलता है।
(श्याओ थांग)