"दलाई लामाः एक महान तपस्वी नहीं "नामक पुस्तक लिखने वाले प्रसिद्ध फ्रेंच लेखक मैक्सिम विवा ने हाल में कहा कि वे लोगों को असली तिब्बत की तस्वीर दिखाने के लिए चीनी तिब्बती संस्कृति व धर्म संबंधी एक और पुस्तक लिख रहे हैं।
मैक्सिम विवा ने कहा कि 2010 में उन्होंने तिब्बत की पहली बार यात्रा की। इस दौर ने उन पर गहरी छाप छोड़ी। वापस लौटकर तमाम पुस्तकें पढ़ने के बाद"दलाई लामाः एक महान तपस्वी नहीं है"नामक पुस्तक लिखी। लेकिन यह पुस्तक तिब्बत के प्रति उनकी नयी जानकारी को पूरी तरह नहीं बता सकती, खासतौर पर धर्म के बारे में उनके और कुछ विचार हैं।
विवा ने कहा कि तिब्बत जाने से पहले तिब्बत के बारे में सभी जानकारी पश्चिमी मीडिया से मिली थी। जिसमें कहा जाता है कि चीन सरकार तिब्बती संस्कृति को खत्म कर तिब्बत में स्वतंत्रता पर अंकुश लगाती है। लेकिन, जब वे असली तिब्बत पहुंचे, तो अचंभे में पड़ गए। उन्होंने तिब्बत में देखा कि जगह जगह तिब्बती भाषा में लिखे विज्ञापन व साइनबोर्ड हैं। फिर उन्होंने तिब्बत के स्कूलों में देखा कि अध्यापक तिब्बती भाषा में शिक्षा देते हैं। इतना ही नहीं उन्होंने तिब्बती में देखा कि लोग स्वतंत्रता से मठों या सार्वजनिक स्थलों में पूजा करते हैं। उन्होंने कहा कि 2010 की यात्रा के बाद उन्हें लगा कि चीन सरकार तिब्बत में धार्मिक स्वतंत्रता को सीमित नहीं करती है। बल्कि सरकार ने कुछ धार्मिक गतिविधियों को लेकर बड़ी आजादी है।
गौरतलब है कि"दलाई लामाः एक महान तपस्वी नहीं "नामक पुस्तक 2011 में फ्रांस में प्रकाशित हुई। हाल में इसका चीनी, तिब्बती, अंग्रेजी व जर्मन आदि भाषाओं में अनुवाद किया गया। इस पुस्तक में 14वें दलाईलामा के बयान, उनके शांत व भलाई के पीछे छिपे दूसरे चेहरे और चरित्र का पर्दाफाश किया और पाठकों को लेखक की नजर में तिब्बत दिखाया।
(श्याओयांग)