अमेरिकी विदेश मंत्री जॉन केरी और रूसी विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव ने 2 मार्च को जिनेवा में आयोजित वार्ता में पूर्वी यूक्रेन की स्थिति, सीरिया की स्थिति और ईरान के परमाणु सवाल आदि मुद्दों पर सलाह-मशविरा किया। उसी दिन फ्रांस, जर्मनी, रूस और यूक्रेन के नेताओं ने मिंस्क के नए समझौते को अमल में लाने की स्थिति पर फोन पर बातचीत की।
केरी ने कहा कि अब तक संबंधित पक्ष चयनात्मक रूप से समझौते का कार्यान्वयन करते हैं। पूर्वी यूक्रेन में मुठभेड़ और हताहतों की स्थिति बन्द नहीं हुई। अगर सीजफायर नहीं होगा, तो समझौते में राजनीतिक विषय का गंभीरता से कार्यान्वयन नहीं किया जाएगा।
लावरोव ने कहा कि मिंस्क समझौता संपन्न होने से यूक्रेन की शांति प्रक्रिया में व्यवहारिक उपलब्धियां प्राप्त की जा सकती हैं। उन्होंने यह अपील की कि संवैधानिक सुधार से पूर्वी यूक्रेन के नागरिकों की कानूनी अधिकार की गारंटी करनी चाहिए। उसी दिन रूसी विदेश मंत्रालय ने एक वक्तव्य जारी कर कहा कि रूस पूर्वी यूक्रेन में सीजफायर की प्रक्रिया को आगे बढ़ाने में संलग्न रहेगा, ताकि राजनीतिक तरीके से यूक्रेन सवाल का समाधान किया जा सके।
फ्रांस के राष्ट्रपति भवन ने 2 मार्च को एक विज्ञप्ति जारी कर कहा कि फ्रांस के राष्ट्रपति फ्रांस्वा ओल्लांद और जर्मनी की चांसलर एंजेला मार्केल ने रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और यूक्रेन के राष्ट्रपति पेट्रो पोरोशेन्को के साथ फोन पर वार्ता की। उन्होंने 12 फरवरी को संपन्न मिंस्क के नए समझौते को अमल में लाने पर विचार-विमर्श किया।
फ्रांसीसी राष्ट्रपति ओल्लांद ने कहा कि पिछले महीने संपन्न मिंस्क का नया समझौता यूक्रेन में शांति बहाल करने का एकमात्र संभवत:आधार है। इस समझौते का सर्वांगीण रूप से कार्यान्वयन किया जाना चाहिए।
(वनिता)